अगर आप कश्मीर आने की तैयारी में हैं तो जल्दी जाइए, क्योंकि एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन को आज से आम जनता के लिए खोल दिया गया है। जल्दी की बात इसलिए कि 60 से अधिक प्रजातियों के 15 लाख के करीब फूलों का दीदार करने से कहीं आप चूक न जाएं।
दुनियाभर में मशहूर डल झील के किनारे जबरवान पहाड़ी के किनारे इस ट्यूलिप गार्डन में फूल खिलने शुरू हो गए हैं। ये खूबसूरत गार्डन आठ हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इस बार गार्डन को एक नया लुक देने के प्रयास किए गए हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक इसे देखने आएं।
वैसे तो डल झील का इतिहास सदियों पुराना है, पर ट्यूलिप गार्डन को बने केवल सात साल हुए है। महज सात साल में ही इसने अपनी पहचान इस कदर बना ली है कि अब इसे देखने लोग कश्मीर आने लगे हैं।
डल झील के सामने के इलाके में सिराजबाग में बने ट्यूलिप गार्डन में आप ट्यूलिप की 60 से अधिक प्रजातियां एक साथ देख सकते है। शायद यही वजह है कि लोग बाग की सैर को रखी गई फीस देने में भी आनाकानी नहीं करते।
सिराजबाग हरवान-शालीमार और निशात चश्माशाही के बीच की जमीन पर करीब 700 कनाल एरिया में फैला हुआ है। यह तीन चरणों का प्रोजेक्ट है, जिसके तहत अगले चरण में इसे 1360 और 460 कनाल भूमि और साथ में जोड़ी जानी है। शुरू-शुरू में इसे शिराजी बाग के नाम से पुकारा जाता था। असल में महाराजा के समय गार्डन विभाग के मुखिया के नाम पर ही इसका नामकरण कर दिया गया था। पर अब यह शिराज बाग के स्थान पर ट्यूलिप गार्डन के नाम से अधिक जाना जाने लगा है।
ट्यूलिप गार्डन में खिलने वाले सफेद, पीले, नीले, लाल और गुलाबी रंग के ट्यूलिप के फूल आज हॉलैंड में खिलने वाले फूलों का मुकाबला कर रहे हैं। फूल प्रेमी यहां आकर हॉलैंड जैसा ही महसूस करते है। भारत में सिर्फ कश्मीर ही एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर मार्च से लेकर मई के अंत तक ट्यूलिप अपनी छटा बिखेरते हैं।
यह सच है कि अभी तक कश्मीर में डल झील और मुगल गार्डन, शालीमार बाग, निशात और चश्माशाही ही आने वालों के आकर्षण के केंद्र थे और कश्मीर दुनियाभर में इनके लिए ही मशहूर था। अब इन नामों की फेहरिस्त में ट्यूलिप गार्डन का भी नाम जुड़ गया है।
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