एशिया के विकासशील देशों के लोगों को लगता है कि पैसों और चीज़ों की खरीद से खुशी मिलती है।
शुक्रवार को जारी हुए 'पेव रिसर्च सेन्टर' के ग्लोबल सर्वेक्षण के अनुसार, तेजी से विकसित हो रहे देशों जैसे इंडोनेशिया, चीन और मलेशिया में लोगों को लगता है कि पैसों के जरिये से खुशियां खरीदी जा सकती हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि, यह दिखाता है कि राष्ट्रीय आय में वृद्धि का व्यक्तिगत संतोष से करीबी रिश्ता है। सर्वेक्षण करने वालों ने 43 देशों के लोगों से पूछा कि वे स्वयं को 'जीवन की सीढ़ी' के किस पायदान पर देखते हैं। इसमें सबसे उंचे पायदान का अर्थ सर्वोत्तम संभव जीवन और सबसे निचले पायदान का अर्थ है सबसे खराब जीवन। पेव ने 2002 और 2005 में भी ज्यादातर देशों में यह सर्वेक्षण कराया था, जिससे अनुसंधानकर्ताओं को वक्त के साथ आए बदलाव को समझने में मदद मिल रही है।
हालांकि आंकड़े यह भी बताते हैं कि धन से कितनी खुशियां खरीदी जा सकती हैं, उसकी भी एक सीमा है। उदाहरण के लिए मलेशिया के 56 प्रतिशत लोगों ने स्वयं को सीढ़ी के 'सातवें' या उससे ऊपर के पायदान पर रखा, जबकि उसके मुकाबले गरीब राष्ट्र बांग्लादेश में महज 36 प्रतिशत लोगों ने खुद को ऊंचे पायदान पर रखा।
एशिया के लोगों में पिछले पांच वर्षों में ना सिर्फ व्यक्तिगत संतोष बढ़ा है, बल्कि वे अपने भविष्य को लेकर भी काफी आशावान हैं। बांग्लादेश, थाईलैंड, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपीन और भारत के ज्यादातर लोगों को लगता है कि पांच साल बाद उनका जीवन स्तर आज के मुकाबले बेहतर होगा।
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