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This Article is From Jul 02, 2011

फिर गूंज सकेगी लोक गायिका अंशु की आवाज!

Patna: पटना सहित पूरे देश में शास्त्रीय व लोक संगीत गायन के बल पर ख्याति हासिल करने वाली अंशुमाला आज जिंदगी और मौत के बीच झूल रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उनके प्रशंसक एक बार फिर उनके सुरों की ताजगी महसूस कर सकेंगे? अब जबकि सरकार और समाज अंशु की मदद को आगे आए हैं तो उनके प्रशंसकों को उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। आकाशवाणी की बी-ग्रेड की गायिका एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस की टॉपर अंशु ने देश के विभिन्न हिस्सों में 16 भाषाओं में शास्त्रीय संगीत के कई कार्यक्रम दिए हैं, लेकिन वह पूरे एक वर्ष से संगीत की साधना से दूर हैं। अंशु के दोनों गुर्दे खराब हो चुके हैं। केवल 27 साल की उम्र में अपार ख्याति हासिल कर चुकीं अंशु आज सही ढंग से बोल भी नहीं पातीं। इन दिनों पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) में उनका इलाज चल रहा है। सरकार ने भी अंशु की सुध ली है और उनके इलाज का पूरा खर्च देने का आश्वासन दिया है। अंशु की मां किरण बाला कहती हैं कि अगर पटना के लोग सामने नहीं आते तो शायद आज उनकी बेटी जीवित न होती। एक सिपाही के घर में जन्मी और पटना विश्वविद्यालय से संगीत में स्नातक व दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर व एमफिल की डिग्री हासिल करने वाली अंशु का विवाह तीन वर्ष पहले अपने माता-पिता की मर्जी से रांची में हुआ था। विवाह के बाद अंशु ने दिल्ली, मुंबई और पटना को छोड़ अपने पिया के घर को ही अपना ठिकाना बना लिया, लेकिन वहां उन्हें उनकी गायकी के कद्रदान नहीं मिले। ससुराल में उसके रियाज का तो माहौल ही नहीं था। वहां किसी ने उनकी हौसला-अफजाई भी नहीं की।  परिजनों के मुताबिक अंशु जब पहली बार गर्भवती हुई थीं तभी उसके एक गुर्दे में समस्या आ गई थी, लेकिन वह अपने इस रोग को छुपाए रही। जब इस साल जनवरी-फरवरी में उन्हें काफी परेशानी होने लगी, तो उनकी यह बीमारी सबके सामने उजागर हो गई। बीमारी के चलते शारीरिक रूप से लाचार अंशु से उसके ससुराल वालों ने भी किनारा कर लिया। इसके बाद तो मानो अंशु पर दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा। बाद में वह पटना लौट आईं। पटना आने के बाद वह इलाज के लिए वेल्लूर, दिल्ली और लखनऊ तक दौड़ीं, लेकिन पैसे के अभाव में सही ढंग से इलाज नहीं करा सकीं। पटना में उनके इलाज को लेकर परेशानी हो रही थी। सरकार ने अंशु के पिता ईश्वरानंद झा का जहानाबाद से पटना स्थानांतरण कर दिया है, ताकी वह अपनी बेटी का इलाज सही ढंग से करा सकें। झा कहते हैं कि अंशु को इतनी कम उम्र में ही बड़े-बड़े लोगों की तारीफें मिल चुकी हैं, लेकिन शायद उनकी किस्मत में ठोकरें खाना लिखा था। वह कहते हैं कि वह अंशु के इलाज में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। अंशु की गायकी के प्रशंसकों में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर भी शामिल रह चुके हैं। आईजीआईएमएस के निदेशक अरुण कुमार कहते हैं कि अंशु को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था, लेकिन धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार हो रहा है। वह कहते हैं कि उनका डायलेसिस किया जा रहा है। पहले उन्हें सामान्य अवस्था में लाया जाएगा और फिर नियमित इलाज किया जाएगा। अंशु के प्रशंसक उनकी आवाज सुनने को बेकरार हैं। लोगों को आशा है कि अंशु जरूर ठीक हो जाएंगी और उनके कर्णप्रिय सुरों को एक बार फिर सुना जा सकेगा।

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