देश में झुंझुनूं की हॉकी वाली सरपंच के नाम से मशहूर नीरू यादव और युवा पूर्व सरपंच छवि राजावत दोनों ही आज (सोमवार) यानि 11 सितंबर को रात 9 बजे प्रसारित होने वाले लोकप्रिय क्विज शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के 15वें सीजन में बिग-बी अमिताभ बच्चन के साथ हॉट सीट पर नजर आएंगी. इस दौरान राजस्थान की दोनों महिलाएं मेगास्टार अमिताभ बच्चन के कठिन सवालों का जवाब देती नजर आएंगी.
बता दें कि, नीरू यादव और छवि राजावत का एपिसोड रिकॉर्ड हो चुका है. केबीसी की टीम ने गांव में सरपंच के कार्यों की शूटिंग भी पूरी कर ली है. एपिसोड का प्रसारण आज रात 9 बजे होगा. झुंझुनू के सिंघाना की हॉकी वाली सरपंच के नाम से मशहूर नीरू यादव और छवि राजावत ने बताया कि, एपिसोड की शूटिंग के समय उन्होंने अमिताभ बच्चन को अपने गांव की महिलाओं की समस्याओं को भी बताया. नीरू यादव ने जीती गई राशि महिला सशक्तिकरण, बालिकाओं की पढ़ाई और खेल के लिए देने की घोषणा की है. इस बीच अमिताभ बच्चन ने नीरू के हॉकी व बर्तन बैंक के नवाचार की खूब सराहना की.
बता दें कि, नीरू यादव झुंझुनू जिले के लांबी अहीर गांव की सरपंच हैं. वहीं छवि राजावत जयपुर के पास सोडा गांव की दो बार सरपंच रही हैं. उन्हें देश की पहली MBA सरपंच कहा जाता है. दोनों महिला सरपंचों को ग्रामीण विकास के प्रति उनके गतिशील और लीक से हटकर दृष्टिकोण के लिए सोशल मीडिया पर काफी फॉलो किया जाता है. छवि राजावत देश के प्रख्यात कॉलेज लेडी श्रीराम कॉलेज से पढ़ी हैं. छवि राजावत ने अजमेर के मेयो गर्ल्स स्कूल से पढ़ाई की है. वहीं बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ़ मॉडर्न मैनेजमेंट पुणे से MBA की डिग्री हासिल की है. बता दें कि, अपने गांव में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए छवि राजावत ने काफ़ी काम किया.
नीरू यादव को गांव में लड़कियों की हॉकी टीम बनाने की पहल के लिए 'हॉकी वाली सरपंच' के रूप में जाना जाता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने टीम को खड़ा करने और तैयार करने में अपनी सैलरी के दो साल खर्च कर दिए थे. वह लड़कियों के ट्रेनिंग का भी खास ख्याल रखती हैं. सुबह उन्हें उठाकर ग्राउंड तक ले जाती हैं. यही नहीं उन्हें झुंझुनू गांव में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई अन्य कदम उठाने का श्रेय दिया जाता है. गांव को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए, उन्होंने नाममात्र दरों पर किराए पर स्टील के बर्तन उपलब्ध कराने के लिए एक बर्तन बैंक शुरू किया. इस पहल के पीछे उनकी सोच न केवल प्लास्टिक कचरे को कम करना है, बल्कि गांव को 'कचरा मुक्त और प्लास्टिक मुक्त' बनाना है.
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