इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों के आविष्कार से किसानों को होगा लाभ. तस्वीर: प्रतीकात्मक
इलाहाबाद:
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने हवा में और पानी के भीतर काम करने में सक्षम ड्रोन और ऐसा स्वचालित हंसिया विकसित किया है, जिससे किसानों को फसलों की कटाई में बहुत मदद मिल सकती है. दावा किया जा रहा है कि इस स्वचालित हंसिया की मदद से दोगुने गति से फसलों की कटाई की जा सकेगी. आम बोलचाल की भाषा में कहें तो फसलों की कटाई के दौरान किसान दो हाथ से चार के बराबर काम करेंगे. यूनिवर्सिटी में प्राणी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर संदीप कुमार मल्होत्रा ने बताया, 'दो छात्रों ने अपने जेब खर्च से पैसे जुटाकर ये नये उपकरण ईजाद किये हैं. हमने तो केवल उन्हें मार्गदर्शन दिया और जरूरी चीजें मुहैया कराने में मदद की.'
बीएएसी द्वितीय वर्ष के छात्र अनुराग कश्यप ने बताया, 'इस ड्रोन के लिए पीसीबी चिप, मदरबोर्ड मैंने खुद तैयार किया और घर में बेकार पड़े स्मार्टफोन का कैमरा इसमें लगाया. अभी तक इस पर 25,000 रुपए खर्च हो चुके हैं. कुछ पैसे मैंने अपने जेब खर्च से लगाए और कुछ मदद मेरे गुरू प्रोफेसर संदीप मल्होत्रा ने व्यक्तिगत स्तर पर की.'
प्राणी विज्ञान और रसायन में स्नातक के द्वितीय वर्ष के छात्र अनुराग ने रिमोट से चलने वाले इस ड्रोन की प्रोग्रामिंग तैयार करने के लिए एएसपी, सी प्लस प्लस और जावा की प्रोग्रामिंग सीखी. इस ड्रोन की एक बड़ी खासियत है कि यदि पानी के भीतर रिमोट से इसका संपर्क टूट जाए तो यह पानी की सतह के बराबर ही रहेगा और पानी के उपर नहीं आएगा जिससे दुश्मन इसका पता नहीं लगा सकेंगे.
उन्होंने कहा, 'रक्षा विभाग के लिए इसे कई एप्लीकेशन में लिया जा सकता है.' इस यूनिवर्सिटी के बीए के छात्र मोहित सेंगर ने तीन अलग अलग तरह के स्वचालित हंसिया विकसित किए हैं जो बैटरी से भी चल सकते हैं और इनसे लगभग हर तरह के फसलों की कटाई की जा सकती है. मोहित ने भी जेब खर्च के पैसे से यह हंसिया विकसित किया है जिसके लिए उन्हें डिजाइन के मुताबिक ब्लेड तैयार करवाने में काफी संघर्ष करना पड़ा.
उल्लेखनीय है कि प्रतिष्ठित गांधियन यंग टेक्नोलॉजी इन्नोवेशन अवार्ड :गाइटी अवार्ड: की जूरी ने इन दोनों ही परियोजनाओं की समीक्षा की और इसमें संभावनाएं देखते हुए इन छात्रों को परियोजनाओं को अपडेट कर वर्ष 2018 के पुरस्कार के लिए आवेदन करने को कहा है. इन परियोजनाओं को पूरा करने में वित्तीय दिक्कतों के बावजूद ये छात्र इसे किसी तरह से पूरा करने में जुटे हैं.
नवीन खोज के लिए डाइटी अवार्ड हर साल मार्च के महीने में राष्ट्रपति भवन में प्रदान किए जाते हैं.
अनुराग ने बताया कि इन परियोजनाओं के सबंध में गाइटी की ओर से आए पत्रों से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन को अवगत कराए जाने के बावजूद उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
इस संबंध में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति आर.एल. हंगलू से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
अनुराग और मोहित ने प्रोफेसर संदीप कुमार मल्होत्रा और नीषमा जायसवाल के मार्गदर्शन में इन परियोजनाओं पर काम किया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बीएएसी द्वितीय वर्ष के छात्र अनुराग कश्यप ने बताया, 'इस ड्रोन के लिए पीसीबी चिप, मदरबोर्ड मैंने खुद तैयार किया और घर में बेकार पड़े स्मार्टफोन का कैमरा इसमें लगाया. अभी तक इस पर 25,000 रुपए खर्च हो चुके हैं. कुछ पैसे मैंने अपने जेब खर्च से लगाए और कुछ मदद मेरे गुरू प्रोफेसर संदीप मल्होत्रा ने व्यक्तिगत स्तर पर की.'
प्राणी विज्ञान और रसायन में स्नातक के द्वितीय वर्ष के छात्र अनुराग ने रिमोट से चलने वाले इस ड्रोन की प्रोग्रामिंग तैयार करने के लिए एएसपी, सी प्लस प्लस और जावा की प्रोग्रामिंग सीखी. इस ड्रोन की एक बड़ी खासियत है कि यदि पानी के भीतर रिमोट से इसका संपर्क टूट जाए तो यह पानी की सतह के बराबर ही रहेगा और पानी के उपर नहीं आएगा जिससे दुश्मन इसका पता नहीं लगा सकेंगे.
उन्होंने कहा, 'रक्षा विभाग के लिए इसे कई एप्लीकेशन में लिया जा सकता है.' इस यूनिवर्सिटी के बीए के छात्र मोहित सेंगर ने तीन अलग अलग तरह के स्वचालित हंसिया विकसित किए हैं जो बैटरी से भी चल सकते हैं और इनसे लगभग हर तरह के फसलों की कटाई की जा सकती है. मोहित ने भी जेब खर्च के पैसे से यह हंसिया विकसित किया है जिसके लिए उन्हें डिजाइन के मुताबिक ब्लेड तैयार करवाने में काफी संघर्ष करना पड़ा.
उल्लेखनीय है कि प्रतिष्ठित गांधियन यंग टेक्नोलॉजी इन्नोवेशन अवार्ड :गाइटी अवार्ड: की जूरी ने इन दोनों ही परियोजनाओं की समीक्षा की और इसमें संभावनाएं देखते हुए इन छात्रों को परियोजनाओं को अपडेट कर वर्ष 2018 के पुरस्कार के लिए आवेदन करने को कहा है. इन परियोजनाओं को पूरा करने में वित्तीय दिक्कतों के बावजूद ये छात्र इसे किसी तरह से पूरा करने में जुटे हैं.
नवीन खोज के लिए डाइटी अवार्ड हर साल मार्च के महीने में राष्ट्रपति भवन में प्रदान किए जाते हैं.
अनुराग ने बताया कि इन परियोजनाओं के सबंध में गाइटी की ओर से आए पत्रों से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन को अवगत कराए जाने के बावजूद उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
इस संबंध में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कुलपति आर.एल. हंगलू से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका.
अनुराग और मोहित ने प्रोफेसर संदीप कुमार मल्होत्रा और नीषमा जायसवाल के मार्गदर्शन में इन परियोजनाओं पर काम किया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)