यह ख़बर 06 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

मौत को मात देकर लौटी आठ माह की सपना...

खास बातें

  • 'जाको राखे साइयां...' की कहावत इलाहाबाद में फिर सच साबित हुई, और एक मैराथन ऑपरेशन के बाद बच्ची के गले में फंसा सरिया निकल पाया...
Allahabad:

'जाको राखे साइयां, मार सके न कोय...' यह कहावत एक बार फिर सच साबित हुई इलाहाबाद में, जहां आठ महीने की एक दुधमुंही बच्ची मौत के मुंह में जाकर वापस आ गई है... दरअसल हुआ यूं कि इलाहाबाद की रहने वाली आठ महीने की सपना के हाथ में एक कुछ मुड़ा हुआ लगभग एक फुट लम्बा लोहे के सरिये का टुकड़ा आ गया, और इस मासूम ने खेल-खेल में उसे अपने मुंह में डाल लिया... लेकिन कुछ ही पलों में बच्ची की खिलवाड़ जानलेवा नज़र आने लगा, जब वह सरिया उसके गले को चीरता हुआ सीने के ऊपरी हिस्से में जाकर फंस गया...डॉक्टरों के लिए भी यह दृश्य, जिसमें सरिये का लगभग एक-तिहाई हिस्सा सपना के मुंह से बाहर था, और दो-तिहाई उसके गले और सीने में फंसा था, बेहद खौफनाक था, और उन्होंने हाथ खड़े कर दिए, और सपना की मौत निश्चित लगने लगी... लेकिन 'जाको राखे साइयां, मार सके न कोय...' वाली कहावत को इसी किस्से में सच साबित होना था, इसलिए घटना के अगले दिन डॉक्टरों ने जी-जान से कोशिश की, और सात घंटे के मैराथन ऑपरेशन के बाद सरिये को सपना के शरीर से निकाल दिया, और उसे नई ज़िन्दगी दी...


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