यह ख़बर 12 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

श्रद्धांजलि रवि निभानापुदी को - हम राह देखते थे तेरी...

खास बातें

  • सहकर्मियों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे रवि निभानापुदी के इस तरह अकस्मात चले जाने से समूचा एनडीटीवी परिवार दुखी और व्यथित है, और उनकी यादों को शब्दों में पिरोते हुए मैंने एक कविता लिखी है, जो आपके सामने प्रस्तुत है...
नई दिल्ली:

एनडीटीवी में हमारे साथी रवि निभानापुदी अब नहीं रहे... पिछले साल नवम्बर के अंतिम सप्ताह में छुट्टियां मनाने धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) के लिए घर से निकले रवि उसी समय से लापता थे, और हाल ही में उनका पार्थिव शरीर धर्मशाला के निकट ही एक ट्रेकिंग रूट पर बरामद हुआ, जिसकी शिनाख्त उनके परिजनों ने की है...

सहकर्मियों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे रवि निभानापुदी के इस तरह अकस्मात चले जाने से समूचा एनडीटीवी परिवार दुखी और व्यथित है, और उनकी यादों को शब्दों में पिरोते हुए मैंने एक कविता लिखी है, जो आपके सामने प्रस्तुत है...

हम राह देखते थे तेरी,
जाने क्यों हुई देरी।
कैसे ये चार महीने बीते,
हम आज हुए रीते-रीते।

हम सब उदास, तू चला गया,
मौसम के हाथों छला गया।
भागा नेचर से लड़ने को,
हमसे इस तरह बिछड़ने को।

तू राह अकेली लेता था,
खुद पर न ध्यान तू देता था।
सादा चप्पल, सादा कपड़े,
तू नहीं दिखा अकड़े अकड़े।

मुश्किल में कूल दिखा सबको,
सबके अनुकूल दिखा सबको।
बस अपनी घुन का गायक था,
सबका हर टाइम सहायक था।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

सबकी चिंताएं करता था,
सबकी पीड़ाएं हरता था।
डूबी हूं दुख में गहरी मैं,
रवि अस्त हुआ दोपहरी में।