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This Article is From Apr 27, 2018

हौसले को सलाम! 90 की उम्र में किया ऐसा काम कि बन गईं मिसाल

माक्का जब एग्‍जाम में लिख रहीं थीं तो वह नहीं जानती थी कि वह ऐसे साक्षरता कार्यक्रम का हिस्सा बन रही हैं जो केरल में आदिवासियों की जिंदगियों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.

हौसले को सलाम! 90 की उम्र में किया ऐसा काम कि बन गईं मिसाल
माक्‍का एग्‍जाम में बैठने वाली सबसे उम्रदराज महिला थी (प्रतीकात्‍मक फोटो)
नई द‍िल्‍ली: वो कहते हैं न कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती और अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं लगती. इसी बात को सच कर दिखाया है 90 साल की माक्का ने जिन्होंने हाल ही में वायनाड में एक गांव में पहली बार एग्‍जाम दिया.

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माक्का जब एग्‍जाम में लिख रहीं थीं तो वह नहीं जानती थी कि वह ऐसे साक्षरता कार्यक्रम का हिस्सा बन रही हैं जो केरल में आदिवासियों की जिंदगियों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. 

मुप्पईनाड की अंबालक्कुन्नु बस्ती की रहने वाली 90 साल की माक्का उन 4,500 नए साक्षर लोगों में से एक हैं जिन्होंने इस हफ्ते वायनाड जिले में केरल राज्य साक्षरता अभियान प्राधिकरण द्वारा आयोजित साक्षरता परीक्षा दी.

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एग्‍जाम में बैठने वाली माक्का सबसे उम्रदराज स्‍टूडेंट थीं जबकि 16 साल की लक्ष्मी एग्‍जाम देने वाली सबसे युवा स्‍टूडेंट रहीं. यह परीक्षा तीन चरणों- रीडिंग, राइटिंग और मैथ्‍स में हुई.

साक्षरता अभियान की निदेशक पी एस श्रीकला ने कहा कि परीक्षा देने वाले 4,516 लोगों में से 3,598 महिलाएं थीं. 

Video: डिजिटल साक्षरता महिलाओं के लिए जरूरी

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