इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सिंध सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह प्रांत में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून का मसौदा तैयार करे, ताकि संविधान में संशोधन किया जा सके।
कराची में आयोजित एक बैठक के दौरान जरदारी ने सिंध के मुख्यमंत्री काइम अली शाह को निर्देश दिया कि वह प्रांत के कानून मंत्री एयाज सूमरो के नेतृत्व में एक समिति गठित करें, जो संविधान संशोधन के लिए इस कानून का मसौदा तयार करेगी।
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस समिति में चुने हुए प्रतिनिधि और हिन्दू पंचायत के नेता भी शामिल होंगे। राष्ट्रपति की बहन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद फरयाल ताल्पुर, और मुख्यमंत्री शाह की ओर से हिन्दुओं की समस्याएं बताई जाने के बाद राष्ट्रपति ने यह फैसला लिया।
सूत्रों के अनुसार, शाह ने कहा, बड़ी संख्या में हिन्दुओं के भारत जाने की खबरें सिर्फ कयास भर हैं, लेकिन हिन्दू समुदाय के लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाया जाए। जरदारी ने तल्पुर और शाह को निर्देश दिए कि वे कानून का मसौदा तैयार करने से पहले जकोबाबाद जाकर हिन्दू समुदाय के प्रतिनिधियों से मिलें।
जबरन धर्म परिवर्तन, अपहरण और वसूली के कारण हिन्दू समुदाय के लोगों के बड़ी संख्या में पलायन की खबरें आने के बाद राष्ट्रपति ने हाल ही में संघीय मंत्री मौला बक्स चांडिओ की अध्यक्षता में तीन सांसदों की एक समिति बनाई है। यह समिति सिंध में हिन्दू समुदाय के लोगों से मुलाकात करेगी।
सिंध मंत्रिमंडल के एक सदस्य ने हालिया प्रगति के बारे में बताया, अगर धर्मपरिवर्तन का ऐसा कोई भी मामला सामने आता है, जिसमें लड़की और उसके माता-पिता की सहमति न ली गई हो, तो (पुलिस थाने के प्रमुख) इसमें शामिल लोगों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करेंगे।
जब पीपीपी के अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले दो विधायक सलीम खुर्शीद खोखर और पीतानबेर सेवानी सिंध विधानसभा में आज से कुछ महीने पहले जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ एक प्रस्ताव लाए थे, तब सिर्फ पीपीपी के ही वरिष्ठ सांसदों की ओर से विरोध दर्ज कराया गया था। इन सांसदों का कहना था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को पहले ही संविधान के अनुच्छेद 20 के तहत सुरक्षा प्राप्त है। उन्होंने कहा था कि किसी नए कानून की कोई जरूरत नहीं है।
कराची में आयोजित एक बैठक के दौरान जरदारी ने सिंध के मुख्यमंत्री काइम अली शाह को निर्देश दिया कि वह प्रांत के कानून मंत्री एयाज सूमरो के नेतृत्व में एक समिति गठित करें, जो संविधान संशोधन के लिए इस कानून का मसौदा तयार करेगी।
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस समिति में चुने हुए प्रतिनिधि और हिन्दू पंचायत के नेता भी शामिल होंगे। राष्ट्रपति की बहन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद फरयाल ताल्पुर, और मुख्यमंत्री शाह की ओर से हिन्दुओं की समस्याएं बताई जाने के बाद राष्ट्रपति ने यह फैसला लिया।
सूत्रों के अनुसार, शाह ने कहा, बड़ी संख्या में हिन्दुओं के भारत जाने की खबरें सिर्फ कयास भर हैं, लेकिन हिन्दू समुदाय के लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाया जाए। जरदारी ने तल्पुर और शाह को निर्देश दिए कि वे कानून का मसौदा तैयार करने से पहले जकोबाबाद जाकर हिन्दू समुदाय के प्रतिनिधियों से मिलें।
जबरन धर्म परिवर्तन, अपहरण और वसूली के कारण हिन्दू समुदाय के लोगों के बड़ी संख्या में पलायन की खबरें आने के बाद राष्ट्रपति ने हाल ही में संघीय मंत्री मौला बक्स चांडिओ की अध्यक्षता में तीन सांसदों की एक समिति बनाई है। यह समिति सिंध में हिन्दू समुदाय के लोगों से मुलाकात करेगी।
सिंध मंत्रिमंडल के एक सदस्य ने हालिया प्रगति के बारे में बताया, अगर धर्मपरिवर्तन का ऐसा कोई भी मामला सामने आता है, जिसमें लड़की और उसके माता-पिता की सहमति न ली गई हो, तो (पुलिस थाने के प्रमुख) इसमें शामिल लोगों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज करेंगे।
जब पीपीपी के अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले दो विधायक सलीम खुर्शीद खोखर और पीतानबेर सेवानी सिंध विधानसभा में आज से कुछ महीने पहले जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ एक प्रस्ताव लाए थे, तब सिर्फ पीपीपी के ही वरिष्ठ सांसदों की ओर से विरोध दर्ज कराया गया था। इन सांसदों का कहना था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को पहले ही संविधान के अनुच्छेद 20 के तहत सुरक्षा प्राप्त है। उन्होंने कहा था कि किसी नए कानून की कोई जरूरत नहीं है।
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