ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक अंडर ग्रेजुएट लड़की इओन वेल्स जब अंडरग्राउंड ट्रेन से निकलकर अपने घर आ रही थीं तब उनके घर के करीब एक शख़्स ने उसपर यौन हमला किया। उसके कपड़े फाड़ डाले लेकिन उसकी एक पड़ोसी ये सब देखकर चिल्लाई, यौन हमला करने वाले भाग गया।
इओन को जानने वाले उसके करीब आए। बाद में वो हमलावर पकड़ा भी गया। इस घटना के बाद पीड़ित लड़की ने उस अनजान शख़्स के नाम एक खुली चिट्ठी लिखी है।
चिट्ठी में लिखा है कि क्या तुमने कभी तुम्हारी ज़िंदगी में शामिल लोगों के बारे में सोचा है? मैं नहीं जानती कि तुम्हारी ज़िंदगी में कौन-कौन लोग हैं। मैं तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानती। मैं एक बेटी हूं, एक दोस्त हूं, एक गर्लफ्रेंड हूं, एक स्टूडेंट हूं। मैं एक बहन, एक भतीजी हूं, एक पड़ोसी हूं। मैं रेलवे के एक क़ैफे में काम करती हूं और लोंगों को कॉफी देती हूं, वो सारे लोग जो इन रिश्तों में हैं उनसे मेरी बिरादरी बनती है और तुमने इनमें से हर एक पर हमला किया है।
तुम ये भूल गए कि मैं और ये सारे लोग इस लड़ाई में हार नहीं मानेंगे। दुनिया में अच्छे लोगों की तादाद, बुरे लोगों से बहुत ज़्यादा है। ये चिट्ठी तुम्हारे लिए नहीं है बल्कि उन सब लोगों के लिए है जो यौन हमले करते हैं, उनकी पूरी बिरादरी के लिए है।
मुझे यकीन है कि तुम्हें 7 जुलाई 2005 के बम धमाके याद होंगे। तुम्हें ये भी याद होगा कि आतंकी उस वक्त भी नहीं जीते थे। तब दूसरे ही दिन लंदन की पूरी बिरादरी ट्यूब यानी अंडरग्राउंड ट्रेन में गई थी। तुम अपने हमले जारी रखो लेकिन मैं अपनी अंडरग्राउंड ट्रेन में जाऊंगी। मेरी बिरादरी के लोग ये नहीं मानते कि अंधेरा होने पर घर जाना महफ़ूज़ नहीं है। हम घर जाने के लिए आखिरी ट्रेन लेंगे, सड़कों पर अकेले चलेंगे क्योंकि हमें नहीं लगता कि हम खुद को ख़तरे में डाल रहे हैं।
जब भी हमारी बिरादरी के किसी सदस्य को खतरा होगा, हम एक सेना की तरह साथ आएंगे। ये एक ऐसी जंग है जिसमें तुम जीत नहीं पाओगे।'
इओन को जानने वाले उसके करीब आए। बाद में वो हमलावर पकड़ा भी गया। इस घटना के बाद पीड़ित लड़की ने उस अनजान शख़्स के नाम एक खुली चिट्ठी लिखी है।
चिट्ठी में लिखा है कि क्या तुमने कभी तुम्हारी ज़िंदगी में शामिल लोगों के बारे में सोचा है? मैं नहीं जानती कि तुम्हारी ज़िंदगी में कौन-कौन लोग हैं। मैं तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानती। मैं एक बेटी हूं, एक दोस्त हूं, एक गर्लफ्रेंड हूं, एक स्टूडेंट हूं। मैं एक बहन, एक भतीजी हूं, एक पड़ोसी हूं। मैं रेलवे के एक क़ैफे में काम करती हूं और लोंगों को कॉफी देती हूं, वो सारे लोग जो इन रिश्तों में हैं उनसे मेरी बिरादरी बनती है और तुमने इनमें से हर एक पर हमला किया है।
तुम ये भूल गए कि मैं और ये सारे लोग इस लड़ाई में हार नहीं मानेंगे। दुनिया में अच्छे लोगों की तादाद, बुरे लोगों से बहुत ज़्यादा है। ये चिट्ठी तुम्हारे लिए नहीं है बल्कि उन सब लोगों के लिए है जो यौन हमले करते हैं, उनकी पूरी बिरादरी के लिए है।
मुझे यकीन है कि तुम्हें 7 जुलाई 2005 के बम धमाके याद होंगे। तुम्हें ये भी याद होगा कि आतंकी उस वक्त भी नहीं जीते थे। तब दूसरे ही दिन लंदन की पूरी बिरादरी ट्यूब यानी अंडरग्राउंड ट्रेन में गई थी। तुम अपने हमले जारी रखो लेकिन मैं अपनी अंडरग्राउंड ट्रेन में जाऊंगी। मेरी बिरादरी के लोग ये नहीं मानते कि अंधेरा होने पर घर जाना महफ़ूज़ नहीं है। हम घर जाने के लिए आखिरी ट्रेन लेंगे, सड़कों पर अकेले चलेंगे क्योंकि हमें नहीं लगता कि हम खुद को ख़तरे में डाल रहे हैं।
जब भी हमारी बिरादरी के किसी सदस्य को खतरा होगा, हम एक सेना की तरह साथ आएंगे। ये एक ऐसी जंग है जिसमें तुम जीत नहीं पाओगे।'
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