Yazidi woman ordeal in ISIS Captivity in Gaza: करीब दो हफ्ते हुए हैं जब यजीदी महिला बंधक फौजिया अमिन सिदो (Fawzia Amin Sido) को इजरायली सेना (Israeli Defence Forces) ने गाज़ा (Gaza) से मुक्त करवाया है. फौजिया को उसके परिवार के पास भेज दिया गया है. वह उत्तरी इराक के सिंजार की रहने वाली है . अपनी आजादी के बाद पहली बार वह एक इंटरव्यू के जरिए दुनिया से वह मुखातिब हुई. उसने दुनिया के सामने बड़े ही शांत स्वभाव से अपनी बात रखी. यह इंटरव्यू अलान डंकन (Alan Duncan) ने लिया. अलान पूर्व ब्रिटिश सैनिक हैं और वे पहले इराकी कुर्दों से लोहा ले चुके हैं जब उन्हें इराक में पोस्टिंग दी गई थी . अपने इस इंटरव्यू के जरिए अलान ने दुनिया के सामने अपना दर्द बयां किया है. बताया जा रहा है कि अलान ने इजरायली सेना के साथ मिलकर फौजिया की आजादी के लिए काफी प्रयास किए.
येरुसेलम पोस्ट के मुताबिक अब फौजिया आजाद है और अपने परिजनों के साथ है. लेकिन उसके दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. उसके व्यवहार में दर्द देखने को मिलता है और जुबान तथा आवाज़ में भी खौफ महसूस किया जा सकता है.
अलान के प्रयासों की परिवार काफी सराहना करता है और यही वजह है कि परिवार फौजिया के इंटरव्यू के लिए तैयार भी हुआ और फौजिया को इंटरव्यू के प्रोत्साहित भी किया. येरुसेलम पोस्ट की खबर के अनुसार यह इंटरव्यू करीब दो घंटे का है.
2014 में हुआ अपहरण
2014 में आईएसआईएस द्वारा गुलाम बनाई गई फौजिया का यह इंटरव्यू उसके दर्द की कहानी बयां करता है साथ ही यह भी बताता है कि यजीदी महिलाओं के साथ इस्लामिक स्टेट के लड़ाके कैसा व्यवहार करते थे. यह इंटरव्यू यह भी बताता है कि गुलाम बनाए गए बच्चों के साथ आईएसआईएस क्या सलूक करता रहा है.
इस इंटरव्यू में फौजिया काफी शांत दिखती हैं और पूरी बात बताती हैं. उनकी बात सुनने के बाद पता लगता है कि कैसे कोई इस स्तर पर अमानवीय हो सकता है. और कैसे इंसानों और उनके बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा सकता है.
9 साल की फौजिया का अपहरण
फौजिया सिदो की उम्र 9 साल की थी जब उसे बंधक बनाया गया था. उसके साथ उसके दो भाइयों को भी इस्लामिक स्टेट ने 2014 में बंधक बनाया था. उसने बताया कि उसे और उसके एक भाई फवाज को सिंजार शहर से ताल अफार ले जाया गया था. फौजिया बताती हैं कि इस यात्रा में 3-4 दिन लगे और इस दौरान यजीदी लोगों को अपहरणकर्ताओं ने कुछ भी खाने को नहीं दिया.
चार दिन बाद दिया खाने का निवाला
फौजिया ने बताया कि ताल अफार में पहुंचने पर उन लोगों ने कहा कि अब वे लोग हमें खाना खाने को देंगे. उन्होंने चावल और मांस खाने को दिया. मांस का स्वाद बड़ा अजीब था और हम लोगों में से कुछ के पेट में दर्द भी होने लगा था. जब हम लोगों ने खाना खा लिया तब हमें उन लोगों बताया कि ये मांस यजीदी बच्चों का था.
बच्चों का मांस परोसा, फिर दिखाए कटे हुए सिर
दर्द की इंतहा तो हो गई जब आईएसआईएस के आतंकियों ने उन बच्चों के कटे हुए सिर दिखाए जिनके मांस को खिलाया गया था. उन्होंने कहा कि ये वही बच्चे हैं जिनका मांस तुम लोगों ने अभी खाया है. एक मां ने उन बच्चों में अपने बेटे को पहचान लिया था. क्योंकि मांस में उसका कटा हुआ हाथ था. मां ने बेटे के हाथ को पहचान लिया था. फौजिया कहती हैं कि हमारा क्या दोष था, हमें उन लोगों ने मजबूर किया था.
खूबसूरत महिलाओं को आकर ले जाते थे आईएसआईएल के लोग
इराकी संसद में यजीदी सदस्य विआन दाखिल वह पहले शख्स थे जिन्होंने संसद में आईएसआईएस के इस कृत्य के बारे में 2017 में कहा था. ताल अफार में एक भूमिगत जेल में फौजिया को रखा गया. यहां करीब 200 अन्य यजीदी महिलाएं और बच्चे थे. यहां पर गंदा पानी पीने से कई बच्चे मर गए. इस कैद के दौरान आईएसआईएस के लोगों के साथ उनका कोई वास्ता नहीं रहा. फौजिया बताती हैं कि वे समय समय पर आते थे और उससे ज्यादा उम्र की यजीदी लड़कियों को अपने साथ ले जाते थे.
फौजिया को बेच दिया गया
नौ महीनों बाद उसे और अन्य चार यजीदी लड़कियों को एक स्कूलनुमा बिल्डिंग में ले जाया गया जहां एक आदमी जिसका नाम अबु मोहम्मद अल इदनानी ने उन्हें खरीदा और जबरन इस्लाम धर्म कबूल करवाया. फौजिया बताती है कि मालिक का आदेश न मानने पर उन्हें मारा जाता था.
10 की उम्र में खरीदार ने किया रेप
फौजिया बताती हैं कि जब वह 10 साल की थीं तब उसके खरीदार ने उसका रेप किया. उसके बाद उसे पांच बार और दूसरे मर्दों को बेचा गया. इसमें एक सीरिया, एक सउदी और फिर सीरिया को बेचा गया. बाद में एक गाज़ा के लड़ाके को बेचा गया जिसने उससे शादी कर ली.
गाज़ा के जिहादी से हुई शादी
फौजिया ने बताया कि उसकी उम्र करीब 15-16 साल की रही होगी जब गाज़ा के जिहादी से उसकी शादी हुई. लगातार रेप के चलते उसके तब तक दो बच्चे हो गए थे जिसमें एक लड़का और एक लड़की शामिल थे. इराक में एक हमले में उसके पति की मौत हो गई. पति की मौत के बाद किसी तरह फौजिया और उसके बच्चे आखिरकार गाज़ा में पति के परिजनों तक पहुंचे. यहां पर उसके पति के परिवार ने उसे गुलाम की तरह रखा. फिर उसके पति ने भाई ने उससे शादी कर ली जो गाज़ा में लड़ाई के दौरान मारा गया है.
कुछ समय के लिए फौजिया सुहादा अल अक्शा अस्पताल में रही जब वहां पर हमास का कब्जा था. अक्तूबर के आरंभ में उसे एक कनाडाई यहूदी के प्रयासों से इजरायल के सैनिकों ने अक्तूबर के आरंभ में इराक में उसके परिवार तक पहुंचाया. उसके बच्चे अभी गाज़ा में ही हैं और उन्हें अरब मुस्लिम की तरह ही बड़ा किया जा रहा है.
पति के परिजनों ने भी सबाया बनाया
फौजिया कहती है कि इराक में अपने परिजनों के पास पहुंच से पहले तक उसे सबाया ही समझा गया. सबाया का मतलब अरब में एक गुलाम महिला होता है जिसको बंधक रखा जाता है और जिसका यौन शोषण किया जाता है.
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