बांदा एचे (इंडोनेशिया):
कड़े प्रांतीय इस्लामिक कानूनों को तोड़ने की सज़ा के तौर पर इंडोनेशिया के एचे शहर में एक महिला को छड़ी से पीटा गया, और उसे सज़ा पाते देख वहां मौजूद भीड़ उत्साहित होकर चिल्लाती रही.
दुनिया में सबसे ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाले इंडोनेशिया देश में एचे एकमात्र प्रांत है, जहां इस्लामी शरिया कानून लागू हैं. कई अपराधों - जुआ खेलना, शराब पीना या समलैंगिक संबंध बनाना - के लिए वहां कोड़ों से पीटे जाने की सज़ा सुनाई जाती है.
यह महिला 21 से 30 वर्ष की उम्र के उन 13 लोगों (सात पुरुष, छह महिलाएं) में से एक थी, जिन्हें सोमवार को प्रांतीय राजधानी बांदा एचे में एक मस्जिद में छड़ी से पीटकर दंडित किया गया, और भीड़ उन्हें देख-देखकर शोर मचाती रही.
छह जोड़ों को आत्मीयता से जुड़े उन इस्लामी कानूनों को तोड़ने का दोषी पाया गया, जिनके तहत अविवाहित व्यक्तियों को एक-दूसरे को छूने, गले लगाने या चूमने की इजाज़त नहीं होती.
एक पुरुष को एक कम गंभीर अपराध के लिए छड़ी से पीटा गया, जो किसी महिला के साथ छिपकर इस तरह ऐसी जगह पर वक्त बिताने का दोषी था, जिससे विवाहेतर संबंधों को बढ़ावा मिल सकता है.
22-वर्षीय एक महिला, जिसे कोड़ों से पीटे जाने की सज़ा सुनाई गई थी, को इसलिए अस्थायी रूप से राहत दे दी गई, क्योंकि वह गर्भवती थी, लेकिन एचे के डिप्टी मेयर ज़ैनाल अरिफीन ने साफ कहा, "सज़ा तब दी जाएगी, जब यह बच्चे को जन्म दे देगी..."
अधिकारी ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि छड़ी से इस तरह पीटा जाना उन्हें सुधार देगा. उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि अब बांदा एचे में कोई भी भविष्य में कानून नहीं तोड़ेगा..."
वैसे, एचे में छड़ी से पिटने की सज़ा पाने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है, और हालिया समय में खासतौर से सज़ा पाने वाली महिलाओं की तादाद में काफी इज़ाफा हुआ है.
सुमात्रा द्वीप पर बसे एचे में शरिया कानून वर्ष 2001 में विशेष स्वायत्तता दिए जाने के बाद लागू किए गए थे. यह स्वायत्तता देने के पीछे जकार्ता स्थित केंद्र सरकार का मकसद लंबे समय से चले आ रहे विद्रोह को खत्म करना था.
इसके बाद वर्ष 2005 में केंद्र सरकार के साथ शांति समझौता हो जाने के बाद से प्रांत में शरिया कानून सख्त होते चले जा रहे हैं. इंडोनशिया की 90 फीसदी आबादी खुद को मुस्लिम ही बताती है, लेकिन ज़्यादातर लोग पंथ के उदार स्वरूप को मानते हैं.
दुनिया में सबसे ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाले इंडोनेशिया देश में एचे एकमात्र प्रांत है, जहां इस्लामी शरिया कानून लागू हैं. कई अपराधों - जुआ खेलना, शराब पीना या समलैंगिक संबंध बनाना - के लिए वहां कोड़ों से पीटे जाने की सज़ा सुनाई जाती है.
यह महिला 21 से 30 वर्ष की उम्र के उन 13 लोगों (सात पुरुष, छह महिलाएं) में से एक थी, जिन्हें सोमवार को प्रांतीय राजधानी बांदा एचे में एक मस्जिद में छड़ी से पीटकर दंडित किया गया, और भीड़ उन्हें देख-देखकर शोर मचाती रही.
छह जोड़ों को आत्मीयता से जुड़े उन इस्लामी कानूनों को तोड़ने का दोषी पाया गया, जिनके तहत अविवाहित व्यक्तियों को एक-दूसरे को छूने, गले लगाने या चूमने की इजाज़त नहीं होती.
एक पुरुष को एक कम गंभीर अपराध के लिए छड़ी से पीटा गया, जो किसी महिला के साथ छिपकर इस तरह ऐसी जगह पर वक्त बिताने का दोषी था, जिससे विवाहेतर संबंधों को बढ़ावा मिल सकता है.
22-वर्षीय एक महिला, जिसे कोड़ों से पीटे जाने की सज़ा सुनाई गई थी, को इसलिए अस्थायी रूप से राहत दे दी गई, क्योंकि वह गर्भवती थी, लेकिन एचे के डिप्टी मेयर ज़ैनाल अरिफीन ने साफ कहा, "सज़ा तब दी जाएगी, जब यह बच्चे को जन्म दे देगी..."
अधिकारी ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि छड़ी से इस तरह पीटा जाना उन्हें सुधार देगा. उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि अब बांदा एचे में कोई भी भविष्य में कानून नहीं तोड़ेगा..."
वैसे, एचे में छड़ी से पिटने की सज़ा पाने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है, और हालिया समय में खासतौर से सज़ा पाने वाली महिलाओं की तादाद में काफी इज़ाफा हुआ है.
सुमात्रा द्वीप पर बसे एचे में शरिया कानून वर्ष 2001 में विशेष स्वायत्तता दिए जाने के बाद लागू किए गए थे. यह स्वायत्तता देने के पीछे जकार्ता स्थित केंद्र सरकार का मकसद लंबे समय से चले आ रहे विद्रोह को खत्म करना था.
इसके बाद वर्ष 2005 में केंद्र सरकार के साथ शांति समझौता हो जाने के बाद से प्रांत में शरिया कानून सख्त होते चले जा रहे हैं. इंडोनशिया की 90 फीसदी आबादी खुद को मुस्लिम ही बताती है, लेकिन ज़्यादातर लोग पंथ के उदार स्वरूप को मानते हैं.
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