श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने मई में अपना इस्तीफा सौंपने के बाद शनिवार को पहली जनसभा को संबोधित किया. महिंदा राजपक्षे को मई में इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था और जुलाई में उनके छोटे भाई एवं पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को पद से हटा दिया गया था. अपनी पार्टी श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) द्वारा यहां कालूतारा में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान 77 वर्षीय महिंदा शुरू में इस बात को लेकर भ्रमित हो गए कि देश का वर्तमान राष्ट्रपति कौन है.
जब उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में गोटबाया का उल्लेख किया तो एक सहयोगी ने उनकी इस गलती की ओर से कान में फुसफुसाकर इशारा किया. अपनी गलती को तुरंत सुधारते हुए महिंदा ने कहा, ‘‘हम इस सरकार को बचाने के लिए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे का समर्थन करना जारी रखेंगे. वह हमारे विरोधी थे, अब वह हमारे साथ हैं.''
जुलाई के मध्य में, गोटबाया श्रीलंका से मालदीव और फिर सिंगापुर चले गये थे, जहां से उन्होंने 14 जुलाई को अपना इस्तीफा भेज दिया था. बाद में, वह अस्थायी आश्रय की तलाश में थाईलैंड चले गये थे. इसके बाद, विक्रमसिंघे गोटबाया के शेष कार्यकाल (2024 तक) के लिए राष्ट्रपति बने.
विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के साथ, विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गया, इतना ही नहीं विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकारी भवनों पर जबरन कब्जा करने के लिए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की गई. इस बीच, गोटबाया भी तीन सितंबर को श्रीलंका लौट आए.
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