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This Article is From Feb 06, 2016

विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को तुरंत रिहा कर मुआवजा दिया जाए : संयुक्त राष्ट्र पैनल

विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को तुरंत रिहा कर मुआवजा दिया जाए : संयुक्त राष्ट्र पैनल
विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे की फाइल फोटो
लंदन: संयुक्त राष्ट्र के एक वैधानिक पैनल ने शुक्रवार को ऐलान किया कि विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को रिहा किया जाना चाहिए और उन्हें 'आजादी से वंचित' करने के लिए मुआवाजा दिया जाना चाहिए। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक असांज (44) पर दुष्कर्म के एक मामले में गिरफ्तार होकर स्वीडन प्रत्यर्पित होने की तलवार लटक रही है। उन्होंने दुष्कर्म के आरोप को गलत बताया है। उन्होंने 2012 से लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली हुई है।

संयुक्त राष्ट्र के 'मनमाने हिरासत से जुड़े मामलों को देखने वाले कार्यसमूह' ने कहा कि असांज की हिरासत को अब खत्म किया जाना चाहिए, उनके आजादी से आने-जाने का सम्मान किया जाना चाहिए। कार्यसमूह ने कहा, 'असांज को मुआवजे का अधिकार दिया जाना चाहिए।' कार्यसमूह ने कहा कि असांज को शुरू में उस समय आजादी से वंचित करने वाले कई तरीकों का शिकार बनाया गया जब उन्हें 2010 में लंदन की वांड्सवर्थ जेल में 10 दिन के लिए एकांत में बंद किया गया था। 7 दिसंबर 2010 को ब्रिटेन में गिरफ्तारी के बाद से उन्हें लगातार उनकी आजादी से वंचित रखा गया। पैनल ने कहा कि उन्हें घर में गिरफ्तार रखा गया और फिर इक्वाडोर के दूतावास में 'कैद' कर दिया गया। इस बीच, ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने कहा, 'जूलियन असांज को ब्रिटेन में कभी भी मनमाने तरीके से हिरासत में नहीं रखा गया।'

असांज तीन साल से इक्वाडोर के दूतावास में रह रहे हैं। उन्होंने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र से शिकायत की थी कि उन्हें मनमाने तरीके से हिरासत में रखा गया है क्योंकि दूतावास से बाहर निकलते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसी वजह से वह दूतावास में फंसे पड़े हैं। ब्रिटेन और स्वीडन के खिलाफ दी गई शिकायत में कहा गया है कि असांज को एक अस्वीकार्य लंबी अवधि तक के लिए उनकी आजादी से वंचित किया गया है।

असांज ने गुरुवार को ट्वीट किया था कि अगर संयुक्त राष्ट्र पैनल उनके पक्ष में फैसला देता है तो उन्हें उनका पासपोर्ट लौटाया जाना चाहिए और उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि अगर फैसला उनके पक्ष में नहीं आएगा तो वह दूतावास से बाहर निकल कर ब्रिटिश पुलिस के हाथों गिरफ्तार हो जाएंगे।

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