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बेटी मरियम के बजाय भाई शहबाज को क्यों दे रहे पाकिस्तान PM की कुर्सी? क्या है नवाज शरीफ की रणनीति

शहबाज़ शरीफ लंबे समय तक पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सीएम रहे हैं. इमरान खान के सरकार छोड़ने के बाद शाहबाज़ शरीफ ने ही देश के पीएम की कुर्सी संभाली थी. उन्हीं की कोशिशों की वजह से नवाज शरीफ की मुल्क वापसी मुमकिन हो पाई थी. इसलिए नवाज शरीफ ने अपने भाई पर भरोसा जताया.

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इस्लामाबाद:

पाकिस्तान में 8 फरवरी को नेशनल असेंबली और प्रांतीय सरकारों के लिए चुनाव हुए. नतीजे आने के 12 दिन बाद सरकार बनाने के लिए नवाज शरीफ की पार्टी PML-N और PPP गठबंधन को तैयार हो गई हैं. गठबंधन की शर्तों के मुताबिक, नवाज शरीफ नहीं, बल्कि उनके भाई शहबाज शरीफ पाकिस्तान के वज़ीर-ए-आज़म (PM) होंगे. जबकि PPP के आसिफ अली जरदारी (बेनज़ीर भुट्टो के पति) राष्ट्रपति का पद संभालेंगे. 

चुनाव से पहले नवाज शरीफ के पाकिस्तान के पीएम बनने की जोरदार अटकलें थी. चुनाव से ऐन वक्त पहले ही उनका निर्वासन खत्म किया गया था और वो वतन लौटे थे. शरीफ पाकिस्तानी आर्मी की पसंद भी माने जा रहे थे. लेकिन चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, जिसके बाद गठबंधन सरकार बनाने की नौबत आ गई. गठबंधन शर्तों के मुताबिक पीएम का पद PML-N को मिल तो रहा है, लेकिन नवाज पीएम नहीं बन रहे. ऐसे में सवाल है कि खुद पीएम नहीं बनने पर नवाज शरीफ अपनी बेटी मरियम के बजाय भाई शहबाज शरीफ को पीएम की कुर्सी क्यों दे रहे हैं? ऐसा करने के पीछे उनकी रणनीति क्या है?

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करीब 4 साल नवाज़ शरीफ को देश से बाहर रहना पड़ा. उस दौरान जनता के बीच मरियम नवाज़ और शहबाज़ शरीफ़ जाते रहे. नवाज़ शरीफ अब पाकिस्तान लौट आए हैं, चुनाव में उन्होंने जमकर प्रचार भी किया. लेकिन वो खुद इस गठबंधन वाली सरकार में शामिल नहीं हो रहे हैं. दरअसल, नवाज बैसाखी वाली सरकार के मुखिया बनने से हिचकिचा रहे हैं. लिहाजा उनके भाई शहबाज़ शरीफ पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री होंगे. जबकि बेटी मरियम शरीफ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की अगली मुख्यमंत्री बनेंगी. मरियम नवाज़ पाकिस्तान के किसी सूबे की मुख्यमंत्री बनने वाली पहली महिला होंगी.

पंजाब प्रांत नवाज़ शरीफ की पार्टी का गढ़ रहा है. लगातार वहां उनकी ही सरकार रही है. जब नवाज़ शरीफ प्रधानमंत्री थे, उस वक्त अपने भरोसेमंद और भाई शहबाज़ शरीफ को उन्होंने पंजाब की ज़िम्मेदारी सौंपी थी. अब उनकी बेटी इस पद पर काबिज होंगी.

मरियम नवाज़ को विरासत सौंपने का फैसला नवाज़ शरीफ ने बहुत पहले कर लिया था. अक्टूबर 2023 में नवाज़ शरीफ के एक बयान से इसकी पुष्टि हो गई. जब वो वापस पाकिस्तान लौटें तो पहली रैली में ही नवाज़ शरीफ ने मरियम नवाज़ के बारे में कहा, "मैं इस मिट्टी का बेटा हूं, मरियम इस मिट्टी की बेटी है. वे अधिकारी उसे गिरफ़्तार करने आए थे. इस बहादुर लड़की ने जानलेवा धमकी का सामना किया." 

मरियम नवाज़ बेहद लोकप्रिय हैं और अपने पिता की तरह जनता से कनेक्ट करती हैं. उनकी रैलियों में ज़बरदस्त भीड़ उमड़ती है. वो अपने परिवार के नाइंसाफ़ी को मुद्दा बनाती हैं. इसके साथ ही पाकिस्तान की तरक्की के रास्ते पर ले जाने का वादा करती हैं. वो रैलियों में लगातार कहती हैं कि नवाज़ शरीफ देश की नाज़ुक अर्थव्यवस्था को ठीक करेंगे और आतंकवाद के ख़तरे को ख़त्म करेंगे.

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मरियम पर इतना भरोसा तो शहबाज को क्यों बना रहे PM?
इसका जवाब पाकिस्तान चुनाव के नतीजे में है. नवाज़ शरीफ की पार्टी चुनाव में दूसरे नंबर पर है. उनकी पार्टी को 79 सीटें मिली हैं. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 342 सीटें हैं. सरकार बनाने के लिए 172 सीटों की ज़रूरत है. लेकिन शरीफ की पार्टी इससे काफी दूर है. अब जो तीसरे नंबर की पार्टी है, वो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी. PPP को 54 सीटें मिली हैं. यानी सरकार बनाने के लिए दोनों को गठबंधन की ज़रूरत है. ये गठबंधन बन चुका है. इसमें नवाज़ शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के साथ ही आवामी नेशनल पार्टी, बलूचिस्तान नेशनल पार्टी और कई छोटे दल साथ आ गए हैं. 

ज़ाहिर सी बात है कि एक गठबंधन सरकार चलानी है. इसके लिए तजुर्बे की ज़रूरत है. मरियम नवाज़ शरीफ का अभी उतना सियासी तजुर्बा नहीं है. यही वजह है कि उनकी जगह उनके चाचा शहबाज़ शरीफ प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. 

शहबाज़ शरीफ लंबे समय तक पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सीएम रहे हैं. इमरान खान के सरकार छोड़ने के बाद शाहबाज़ शरीफ ने ही देश के पीएम की कुर्सी संभाली थी. उन्हीं की कोशिशों की वजह से नवाज शरीफ की मुल्क वापसी मुमकिन हो पाई थी. इसलिए नवाज शरीफ ने अपने भाई पर भरोसा जताया. गठबंधन सरकार में शाहबाज शरीफ के लिए सियासी जोड़-तोड़ करना ज़्यादा आसान है.

चुनाव में इमरान खान समर्थित उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं
चुनावी नतीजों में इमरान समर्थक निर्दलियों को सबसे ज्यादा 93 सीटें मिली थीं. इसके बाद 19 फरवरी को इमरान समर्थक निर्दलियों ने पाकिस्तान की धार्मिक पार्टी सुन्नी इत्तिहाद काउंसिल (SIC) में शामिल होने का फैसला किया. चुनाव में इस पार्टी ने केवल 1 सीट पर जीत दर्ज की थी.

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PTI के चेयरमैन गौहर खान ने 19 फरवरी को कहा था- "केंद्र में 70 और पूरे देश में 227 में रिजर्व सीटें हैं. ये सीटें सिर्फ राजनीतिक पार्टियों को ही दी जाती हैं. अपने हक की रिजर्व सीटों को बचाने के लिए हमने SIC में शामिल होने का फैसला किया है." 

इमरान खान का क्या?
पाकिस्तान की सियासत की बात करें तो पिछले 25-30 साल में भुट्टो परिवार या शरीफ परिवार का ही ज़्यादातर वक्त सत्ता पर दबदबा रहा है. इस दबदबे को इमरान खान ने तोड़ा, खूब लोकप्रिय हुए. लेकिन फिलहाल जेल में हैं. पाकिस्तान में बहुमत से कम सीटें लाने के बावजूद नई सरकार भुट्टो और शरीफ परिवार मिलकर ही बनाने जा रही है.

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