शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश (Bangladesh Political Crisis) का वर्तमान और भविष्य क्या होगा, ये हर कोई जानना चाहता है. बांग्लादेश के सहयोगी भी इसके अगले कदम पर निहागें लगाए हुए हैं. हालही में एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो देश के वर्तमान और भविष्य की पूरी कहानी बयां करने के लिए काफी है. ये तस्वीर बांग्लादेश के राष्ट्रपति के उस संबोधन की है, जब उन्होंने विपक्षी नेता खालिदा जिया की रिहाई के आदेश दिए. लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि इस दौरान राष्ट्रपति अकेले नहीं थे, उनके साथ सेना के तीन अफसर दिखाई दे रहे थे. ये तीनों वहां की सेनाओं के टॉप अफसर थे.
सवाल ये खड़ा हो रहा है कि क्या अब पाकिस्तान की तरह ही बांग्लादेश में भी सेना की ही चलेगी. क्या सरकार सेना के इशारों पर चलने वाली महज कठपुतली बनकर रह जाएगी. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में कौन होगा, इस पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजर है. बांग्लादेश के वर्तमान और भविष्य की चिंता सिर्फ यहां रहने वालों को ही नहीं बल्कि सहयोगियों को भी सता रही है.
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क्या सेना चलाएगी बांग्लदेश की सरकार?
बांग्लादेश में पिछले एक दिन में जो कुछ भी हुआ, उसके बाद ये सवाल उठना तो लाजमी हैं कि क्या अब सेना ही सत्ता चलाएगी. तख्तापलट के बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शाबुद्दीन भी अब सेना से घिरे नजर आ रहे हैं. चाहे खालिदा को रिहा करने का आदेश हो या फिर मौजूदा संसद को भंग करने का ऐलान, वह हर वक्त सेना के साथ नजर आ रहे हैं. इससे सभी के जहन में बस यही चल रहा है कि क्या पाकिस्तान की तरह ही अब बांग्लादेश में भी सेना ही सरकार चलाएगी. क्यों कि सेना तो पहले ही अंतरिम सरकार का ऐलान कर चुकी है.
बांग्लादेशी सेना से गदगद अमेरिका
वहीं अमेरिका भी बांग्लादेशी सेना की सराहना कर रहा है. भले ही बांग्लादेश से शेख हसीना की विदाई हो चुकी है, लेकिन अमेरिका अब भी देश के साथ है. बांग्लादेश में शेख हसीना के मामले में चाहे जो हुआ हो, लेकिन अमेरिका बांग्लादेश की सेना से गदगद है.अमेरिका ऐसे मुश्किल हालातों में भी सेना के दिखाए संयम की जमकर सराहना कर रहा है. विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि वह अंतरिम सरकार के गठन के ऐलान का स्वागत करते हैं. अमेरिका की यही अपील है कि अंतरिम सरकार का गठन लोकतंत्र के दायरे में रहकर हो. उनका कहना है कि अमेरिका बांग्लादेश के साथ खड़ा है. हालांकि उन्होंने लोगों से हिंसा को जल्द खत्म करने की भी अपील की.
खालिदा जिया की रिहाई से क्या संदेश?
पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता खालिदा जिया की रिहाई का आदेश भी ये बताने के लिए काफी है कि आज का बांग्लादेश क्या सोचता है और अंतरिम सरकार का रुख क्या होगा. भ्रष्टाचार समेत अन्य मामलों में 17 सालों की सजा काट रहीं खालिदा जिया 7 सालों के भीतर ही कैद से आजाद होने जा रही हैं. जैसे ही शेख हसीना ने देश छोड़ा वहां के राष्ट्रपति ने विपक्षी दलों से विचार विमर्श कर खालिदा की रिहाई के आदेश दे दिए. माना जाता है कि खालिदा जिया का झुकाव चीन और पाकिस्तान की तरफ ज्यादा है. जबकि शेख हसीना की सरकार इसके उलट थी और उसका झुकाव भारत की तरफ ज्यादा था. ऐसे में खालिदा की रिहाई के जरिए बांग्लादेश क्या संदेश देना चाहता है, ये समझना मुश्किल नहीं है.
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