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This Article is From Jun 06, 2024

गल जाती हैं हड्डियां, 800 डिग्री तक बढ़ता है पारा... जानें क्या है व्हाइट फॉस्फोरस, जिसका जंग में इस्तेमाल कर रहा इजरायल

ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल ने लेबनान में व्हाइट फॉस्फोरस बम भी गिराए. इस बीच 173 नागरिक घायल बताए जा रहे हैं. आइए, जानते हैं क्या है व्हाइट फॉस्फोरस, जिसका इस्तेमाल इजरायल गाजा और लेबनान में हमले के लिए हथियार के तौर पर कर रहा है:-

गल जाती हैं हड्डियां, 800 डिग्री तक बढ़ता है पारा... जानें क्या है व्हाइट फॉस्फोरस, जिसका जंग में इस्तेमाल कर रहा इजरायल
व्हाइट फॉस्फोरस की महक काफी हद तक लहसुन की तरह लगती है.
नई दिल्ली:

इजरायल और फिलिस्तीनी (Israel-Gaza War) संगठन हमास (Hamas) के बीच 7 अक्टूबर 2023 से जंग चल रही है. गाजा पट्टी (Gaza Strip) पर चल रहे इस जंग में दूसरे देश भी कूद पड़े हैं. लेबनान से ऑपरेट होने वाले संगठन हिजबुल्लाह ने हाल ही में इजरायल पर मिसाइल अटैक किए थे. इसके बाद इजरायल ने मंगलवार को लेबनान और गाजा में जवाबी कार्रवाई की. इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) पर ग्लोबल ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन्स एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने लेबनान और गाजा में व्हाइट फॉस्फोरस से हमले करने का आरोप लगाया है. ऐसा करना इंटरनेशनल ह्यूमनैटेररियन लॉ (IHL) के खिलाफ है. IHL का मानना है कि इजरायल ने व्हाइट फॉस्फोरस (What is White Phosphorus) का इस्तेमाल खास तौर पर ज्यादा घनी आबादी वाले इलाकों में किया, जिससे लॉन्गटर्म में लोगों पर गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं. 

आइए, जानते हैं क्या है व्हाइट फॉस्फोरस, जिसका इस्तेमाल इजरायल गाजा और लेबनान में हमले के लिए हथियार के तौर पर कर रहा है:-

क्या है व्हाइट फॉस्फोरस?
व्हाइट फॉस्फोरस एक चिपचिपा केमिकल कॉम्पोनेंट है. ये आमतौर पर पीला या मठमैला दिखाई देता है. इसकी महक काफी हद तक लहसुन की तरह लगती है. यह केमिकल ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही तुरंत जल उठता है. व्हाइट फॉस्फोरस जैसे ही ऑक्सीजन के संपर्क में आता है, यह तेज आवाज के साथ फटता है. इसके धुएं का तापमाम 800 डिग्री सेल्सियस (1500 डिग्री फारेनहाइट) तक जाता है. अगर व्हाइट फॉस्फोरस में एक बार आग लग जाए, तो इसे बुझा पाना बहुत मुश्किल होता है. यह स्किन और कपड़ों पर चिपक जाता है.

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कितना खतरनाक है व्हाइट फॉस्फोरस?
व्हाइट फॉस्फोरस हर तरह से हर किसी के लिए नुकसानदेह है. इसे जलाने से इससे निकलने वाला धुआं, फॉस्फोरिक एसिड और फॉस्फीन की मौजूदगी के कारण आंखों में तेज जलन होती है. रेस्पिरेटरी सिस्टम याना श्वसन तंत्र के लिए भी इसका नुकसान है. स्किन पर अगर व्हाइट फॉस्फोरस का थोड़ा सा भी हिस्सा लग जाए, तो ये स्किन के जरिए हड्डियों तक पहुंच जाता है. अगर कोई शख्स इसकी चपेट में आ जाए, तो उसकी हड्डियों को गला देता है. 

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फैट पर ज्यादा असरदार
व्हाइट फॉस्फोरस वसा यानी फैट पर काफी घुलनशील होती है. ऐसे में अगर ये किसी इंसान पर पड़े, तो बहुत तेज झुलसाता है. शरीर पर पड़ने पर ये मांस की परत जला देता है, जिसके बाद स्किन से होते हुए खून के बहाव में मिलकर यह अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसकी वजह से हार्ट, किडनी और लीवर को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में ऑर्गन फेलियर की भी नौबत आ सकती है.

पानी ने नहीं बुझती इसकी आग
आपको जानकर हैरानी होगी कि व्हाइट फॉस्फोरस बमों की आग पानी से नहीं बुझती, बल्कि इसके लिए रेत छिड़कने जैसे तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं. व्हाइट फॉस्फोरस का अंश बचा रह जाए, तो पट्टी हटाने के बाद भी हवा के संपर्क में आकर ये फिर से सुलग सकता है. इसके अलावा व्हाइट फॉस्फोरस की वजह से मसल्स और टिश्यू भी खराब हो सकते हैं. इससे पीड़ित विकलांग तक हो सकता है. 

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व्हाइट फॉस्फोरस को लेकर क्या हैं नियम?
व्हाइट फॉस्फोरस अंतरराष्ट्रीय कानून और सशस्त्र संघर्ष के कानून के तहत अवैध नहीं है. जब तक इसका इस्तेमाल रक्षात्मक रूप से धुएं या युद्ध के मैदान में रोशनी के रूप में किया जा रहा है, तब तक इससे कोई खतरा नहीं है. लेकिन अगर इसका इस्तेमाल किसी देश या नागरिकों पर अटैक करने के लिए किया जाए, तो ऐसा करना अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है. इस युद्ध अपराध माना जा सकता है.

सेनाएं क्यों करती हैं इसका इस्तेमाल?
सेनाएं व्हाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल अक्सर जंग के मैदानों को रोशन करने के लिए करती हैं. साथ ही आग लगाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, अब जंग में दुश्मनों पर हमला करने के लिए भी कई देश व्हाइट फॉस्फोरस को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं.

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पहले और दूसरे विश्व युद्ध में हुआ व्हाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल
पहले और दूसरे विश्व युद्ध में कई देशों ने विरोधी देशों की सेना और नागरिकों पर व्हाइट फॉस्फोरस बम से हमले किए थे. अमेरिका ने वियतनाम युद्ध, 2004 में फालुजा की लड़ाई, इराक और सीरिया पर हमलें के दौरान व्हाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया था. 22 फरवरी 2022 से यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई कर रहे रूस ने भी वहां के कई प्रांतों में व्हाइट फॉस्फोरस बम से हमले किए थे. रूस इससे पहले सीरिय पर भी ISIS लड़ाकों के खिलाफ अंधाधुंध व्हाइट फॉस्फोरस का इस्तेमाल कर चुका है.

इजरायल ने 2008-09 में गाजा में हमास के ठिकानों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए व्हाइट फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया था. यह संभावित युद्ध अपराध का सबूत था. ह्यूमन राइट्स वॉच ने इसकी कड़ी आलोचना की थी.


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