
- जर्मनी साइबर डोम स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो इजरायल के सहयोग से होगी.
- यह सेंटर साइबर रक्षा में जर्मनी और इजरायल के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा.
- गृह मंत्री डोब्रिंड्ट ने पांच सूत्री योजना की घोषणा की है.
- इसमें जर्मन-इजरायल साइबर रिसर्च सेंटर की स्थापना शामिल है.
आपने इजरायल के एयरडिफेंस सिस्टम आयरन डोम का नाम सुना होगा, अमेरिकी राष्ट्रपति के गोल्डन डोम का सपना सुना होगा. अब जर्मनी 'साइबर डोम' बनाने निकला है. जर्मन के आंतरिक मंत्री अलेक्जेंडर डोब्रिंड्ट ने रविवार को घोषणा की कि जर्मनी इजरायल के सहयोग से एक साइबर रिसर्च सेंटर स्थापित करने की योजना बना रहा है, जिसका नाम साइबर डोम होगा. यह दोनों देशों के बीच साइबर डिफेंस पर बेहतर सहयोग का काम करेगा.
इस योजना में एक ज्वाइंट जर्मन-इजरायल साइबर रिसर्च सेंटर की स्थापना, साइबर रक्षा सहयोग को मजबूत करना, इजरायल की खूफिया एजेंसी मोसाद और जर्मनी की खूफिया एजेंसी बीएनडी के बीच सहयोग बढ़ाना, जर्मनी की एंटी-ड्रोन सुरक्षा का विस्तार करना और एक नागरिक आश्रय और आपातकालीन चेतावनी प्रणाली विकसित करना शामिल है जैसा कि इजरायल ने ईरान के साथ 12 दिनों युद्ध के दौरान इस्तेमाल किया था.
आपके मन में सवाल आ सकता है कि जर्मनी ने इजरायल के साथ साइबर सहयोग बढ़ाने का निर्णय क्यों लिया है. इसकी एक वजह यह है कि हाल के युद्ध के दौरान ईरान के बड़े हमलों को विफल करने में इजरायली साइबर क्षमताओं ने अपनी भूमिका निभाई थी.
'साइबर डोम' क्या है?
'साइबर डोम' एक रणनीतिक साइबर-रक्षा पहल है जो इजरायल के आयरन डोम पर आधारित है लेकिन साइबर डोम डिजिटल क्षेत्र पर केंद्रित है. जर्मनी के प्रस्तावित साइबर डोम का उद्देश्य राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे को बढ़ते डिजिटल खतरों, विशेषकर देशों के समर्थन पर पलने वाले आतंकी समूहों (state-backed actors) से बचाने के लिए एक मजबूत, बहुस्तरीय साइबर ढाल बनाना है.
साइबर डोम के लिए क्या है प्लान?
जर्मनी के आंतरिक मंत्री ने अपने देश के लिए "साइबर डोम" स्थापित करने का लक्ष्य बनाया है. उन्होंने इजरायल के साथ साइबर और सुरक्षा समझौते के लिए पांच प्रमुख बिंदुओं की रूपरेखा तैयार की है.
- खुफिया सेवाओं (जैसे बीएनडी और मोसाद) और सुरक्षा बलों के बीच सहयोग को मजबूत किया जाना चाहिए.
- आंतरिक मंत्री जर्मन-इजरायली साइबर सुरक्षा से जुड़ी रिसर्च के लिए एक केंद्र बनाना चाहते हैं.
- दोनों देशों को साइबर रक्षा (डिफेंस) में सहयोग मजबूत करना चाहिए.
- जर्मनी को अपनी ड्रोन रक्षा क्षमताएं बढ़ानी चाहिए.
- नागरिक सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली को मजबूत करें.
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