
प्रतीकात्मक फोटो
लंदन:
उसने अपनी सहयोगी से रेप किया और फिर आत्महत्या करने जा रहा था। आत्महत्या करने के पीछे कोई पछतावा नहीं था, बल्कि वो चाहता था कि वो पकड़ा न जाए। लेकिन पीड़िता ने उसे मरने नहीं दिया और आत्महत्या करने से बचा लिया।
दरअसल यह कहानी इंग्लैंड की है और 56 साल की पीड़िता सूसन कोपेस्टिक ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा, ‘वह तो मरकर शायद अपने कर्मों से मुक्ति पा जाता, लेकिन मैं अपनी मौत तक तार-तार हुई आत्मा के साथ जीती। अब वो सलाखों के पीछे है, और मेरे जेहन में सुकून है। सुकून इस बात का कि मैं हारी नहीं और वह जब तक जीएगा, उसके पापों का अहसास उस पर हावी रहेगा।’
सूसन ने न्याय पाने के लिए उनके साथ बलात्कार करने वाले दरिंदे को मरने नहीं दिया। यही नहीं उन्होंने रेप पीड़ित को मिलने वाले पहचान छुपाने के अधिकार का भी इस्तेमाल नहीं किया। सूसन कोपस्टिक के साथ उन्हीं के पूर्व पार्टनर पीटर ड्रूमोंड ने रेप किया था। उसकी योजना रेप के बाद सूसन को मारकर, खुद भी आत्महत्या करने की थी, ताकि पकड़ा न जा सके। यह घटना पिछले साल नवंबर में ग्रेट मैनचेस्टर के रोशडेल में हुई थी।
आरोपी पीटर को इसी साल अप्रैल में 10 साल कैद की सुनाई गई है। सूसन की साहस भरी कहानी आज दुनियाभर के सामने मिसाल बनकर आई है। सूसन ने बताया, 'डेविड और मैं 10 साल रिलेशनशिप में रहे। उसके हिंसक व्यवहार से तंग आकर मैं अलग हो गई। उसने मेरे घर में कब्जा जमा लिया। मैं तीन बच्चों के साथ अपनी मां के घर में शिफ्ट हो गई। वह अक्सर मेरे ऑफिस में आ धमकता। मेरा पीछा करता रहता। ऐसे ही एक दिन पिछले नवंबर में पीटर कुछ फॉर्म लेकर घर आया। मां कहीं गई हुईं थीं। मैंने उसे बैठाया और उसके लिए चाय बनाने लगी। चाय बना ही रही थी कि वह पीछे से आया और मेरी गर्दन पर चाकू टिका दिया। फिर उसने मेरे साथ ज्यादती की। फिर मुझे जान से मारने की धमकी देते हुए दूसरे कमरे में चला गया। मैंने खुद को समेटा और उसके पीछे भागी। वह किचन में था उसने एक शीशी में से ढ़ेर सारी गोलियां निकाली और खा लीं। फिर चाकू लहराते हुए बोला कि आज तुम नहीं बचोगी, मैं तो मर ही रहा हूं, तुम्हें भी मार डालूंगा। इसी बीच दवा के असर से वह लड़खड़ा गया और गिर गया। मैंने तुरंत एंबुलेंस और पुलिस को फोन किया। मदद आने तक उसकी देखरेख की। फिर उसे अस्पताल पहुंचाया। पीटर ने जो किया, उसकी सजा भुगते बिना मैं उसे मरने नहीं देना चाहती थी।’
रेप के बाद पहचान सार्वजनिक करने के फैसले पर सूसन का कहना है कि ‘कुछ लोगों के लिए मेरा यह कदम अजीब हो सकता है, लेकिन रेप के बाद एक महिला के पास पहचान के नाम पर बचता ही क्या है? पहचान सामने रख कर लड़ने से ही मैं मजबूत हुई और लड़ती गई।’
दरअसल यह कहानी इंग्लैंड की है और 56 साल की पीड़िता सूसन कोपेस्टिक ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा, ‘वह तो मरकर शायद अपने कर्मों से मुक्ति पा जाता, लेकिन मैं अपनी मौत तक तार-तार हुई आत्मा के साथ जीती। अब वो सलाखों के पीछे है, और मेरे जेहन में सुकून है। सुकून इस बात का कि मैं हारी नहीं और वह जब तक जीएगा, उसके पापों का अहसास उस पर हावी रहेगा।’
सूसन ने न्याय पाने के लिए उनके साथ बलात्कार करने वाले दरिंदे को मरने नहीं दिया। यही नहीं उन्होंने रेप पीड़ित को मिलने वाले पहचान छुपाने के अधिकार का भी इस्तेमाल नहीं किया। सूसन कोपस्टिक के साथ उन्हीं के पूर्व पार्टनर पीटर ड्रूमोंड ने रेप किया था। उसकी योजना रेप के बाद सूसन को मारकर, खुद भी आत्महत्या करने की थी, ताकि पकड़ा न जा सके। यह घटना पिछले साल नवंबर में ग्रेट मैनचेस्टर के रोशडेल में हुई थी।
आरोपी पीटर को इसी साल अप्रैल में 10 साल कैद की सुनाई गई है। सूसन की साहस भरी कहानी आज दुनियाभर के सामने मिसाल बनकर आई है। सूसन ने बताया, 'डेविड और मैं 10 साल रिलेशनशिप में रहे। उसके हिंसक व्यवहार से तंग आकर मैं अलग हो गई। उसने मेरे घर में कब्जा जमा लिया। मैं तीन बच्चों के साथ अपनी मां के घर में शिफ्ट हो गई। वह अक्सर मेरे ऑफिस में आ धमकता। मेरा पीछा करता रहता। ऐसे ही एक दिन पिछले नवंबर में पीटर कुछ फॉर्म लेकर घर आया। मां कहीं गई हुईं थीं। मैंने उसे बैठाया और उसके लिए चाय बनाने लगी। चाय बना ही रही थी कि वह पीछे से आया और मेरी गर्दन पर चाकू टिका दिया। फिर उसने मेरे साथ ज्यादती की। फिर मुझे जान से मारने की धमकी देते हुए दूसरे कमरे में चला गया। मैंने खुद को समेटा और उसके पीछे भागी। वह किचन में था उसने एक शीशी में से ढ़ेर सारी गोलियां निकाली और खा लीं। फिर चाकू लहराते हुए बोला कि आज तुम नहीं बचोगी, मैं तो मर ही रहा हूं, तुम्हें भी मार डालूंगा। इसी बीच दवा के असर से वह लड़खड़ा गया और गिर गया। मैंने तुरंत एंबुलेंस और पुलिस को फोन किया। मदद आने तक उसकी देखरेख की। फिर उसे अस्पताल पहुंचाया। पीटर ने जो किया, उसकी सजा भुगते बिना मैं उसे मरने नहीं देना चाहती थी।’
रेप के बाद पहचान सार्वजनिक करने के फैसले पर सूसन का कहना है कि ‘कुछ लोगों के लिए मेरा यह कदम अजीब हो सकता है, लेकिन रेप के बाद एक महिला के पास पहचान के नाम पर बचता ही क्या है? पहचान सामने रख कर लड़ने से ही मैं मजबूत हुई और लड़ती गई।’