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This Article is From Aug 30, 2013

सीरिया पर अलग-थलग पड़ा अमेरिका

सीरिया पर अलग-थलग पड़ा अमेरिका
सीरिया के मामले में अमेरिका अलग-थलग पड़ गया है।
पेरिस/ओटावा/बर्लिन/मास्को/मनीला: सीरिया पर संभावित सैन्य हस्तक्षेप को लेकर अमेरिका अलग-थलग पड़ता जा रहा है। उसके निकट सहयोगी देशों ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी ने किसी भी सैन्य कार्रवाई में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति ने सीरिया पर हमले का समर्थन किया है।

कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने कहा है कि सीरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की उनके देश की कोई योजना नहीं है, यद्यपि उनकी सरकार अपने सहयोगियों का समर्थन करती है और इस बात से सहमत है कि सीरिया के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।

ब्रिटिश संसद, हाउस ऑफ कामन्स ने गुरुवार को सीरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से संबंधित सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। प्रस्ताव पर आठ घंटे तक बहस चली। यह प्रस्ताव 272 के मुकाबले 285 मतों से खारिज हो गया।

मतदान के बाद प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि यह साफ है कि "ब्रिटेन के लोगों के विचारों को प्रतिध्वनित करने वाली ब्रिटिश संसद नहीं चाहती कि ब्रिटिश सेना कार्रवाई करे। मैं कहना चाहूंगा कि सरकार उसी के अनुरूप काम करेगी।"

कैमरन ने कहा, "मैं यह आश्वासन दे सकता हूं। मेरा यह पक्का विश्वास है कि रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के खिलाफ एक कड़ा जवाब जरूरी है।"

सीरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के सवाल पर ब्रिटेन में गहरा मतभेद है। सर्वेक्षण में 50 प्रतिशत लोगों ने प्रक्षेपास्त्र हमले के खिलाफ और 40 प्रतिशत लोगों ने किसी भी रूप में ब्रिटेन की संलिप्तता का विरोध किया है, जबकि 25 प्रतिशत लोगों ने सीरिया के खिलाफ प्रक्षेपास्त्र हमले का समर्थन किया है।

इस बीच जर्मनी के विदेश मंत्री गुइडो वेस्टरवेल ने कहा कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार के खिलाफ किसी भी सैन्य हमले में जर्मनी शामिल नहीं होगा और जर्मनी से ऐसी किसी हिस्सेदारी के लिए कहा भी नहीं गया है।

वेस्टरवेल ने न्यू ऑसनाब्रुकर जीतंग समाचार पत्र से कहा, "इस तरह की भागीदारी के लिए न तो कहा गया है और न तो हम इसपर विचार कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आग्रह करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र निरीक्षकों का काम जैसे ही पूरा हो, कोई एक आम राय बनाई जाए।"

रूस का मानना है कि किसी भी देश को यह अधिकार नहीं है कि वह संयुक्त राष्ट्र की अनुमति के बगैर सीरिया से संबंधित कोई निर्णय ले। राष्ट्रपति के सहयोगी यूरी उशाकोव ने कहा है कि किसी भी देश या देशों के समूह को आरोप तय करने, फैसला सुनाने और अपने द्वारा सुनाए गए फैसले को क्रियान्वित करने का अधिकार नहीं हो सकता।

उशाकोव ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को दरकिनार कर यदि इस तरह की कार्रवाई की गई, तो इससे संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका पर आधारित व्यवस्था को, और पूरी आधुनिक वैश्विक व्यवस्था को भारी क्षति होगी।" उशाकोव ने कहा है कि उन स्थितियों में सीरिया के हालात बेहतर या स्थिर नहीं होंगे।

रूस ने कहा है कि 2011 से सीरिया को नए हथियारों की आपूर्ति नहीं की गई है। सिर्फ उन्हीं हथियारों की आपूर्ति की गई है, जिनके लिए करार 2011 से पहले ही हुए थे।

अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाएगा अमेरिका : हेगल

अमेरिकी रक्षा मंत्री चुक हेगल ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका सीरिया सरकार द्वारा किए गए रासायनिक हथियारों के कथित इस्तेमाल का जवाब देने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है।

हेगल ने फिलीपींस के राष्ट्रपति भवन में हीरोज हाल में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सीरिया की कथित कार्रवाई का जवाब देने के लिए सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श की जरूरत है।

हेगल ने कहा, "राष्ट्रपति बराक ओबामा और हमारी सरकार का यह लक्ष्य है कि जो भी निर्णय लिया जाए वह एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं प्रयास हो।" उन्होंने कहा, "हम ब्रिटेन के साथ और अपने सभी सहयोगियों व साझेदारों के साथ लगातार विचार-विमर्श कर रहे हैं। और यह विमर्श इस बात के लिए है कि सीरिया में हुए इस रासायनिक हमले का जवाब हमें मिलकर देने चाहिए।"

हेगल ने कहा है कि वाशिंगटन ब्रिटिश संसद के रुख का सम्मान करता है, जिसने सीरिया सरकार के खिलाफ किसी सैन्य हमले में भागीदारी को खारिज कर दिया है।

सीरिया पर कार्रवाई करेगा फ्रांस : होलांद

फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा होलांद ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश सीरिया के खिलाफ किसी भी सैन्य कार्रवाई में हिस्सा लेगा भले ही ब्रिटिश संसद ने सिद्धांत रूप से ऐसी कार्रवाई के लिए अधिकृत करने के सरकारी प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार जब उनसे पूछा गया कि बिना ब्रिटेन के भी फ्रांस अरब देशों में हस्तक्षेप कर सकता है तो होलांद ने उसका जवाब हां में दिया। उन्होंने कहा, "हर देश किसी अभियान में हिस्सा लेने या न लेने के लिए स्वतंत्र है। यह ब्रिटेन के लिए वैध और फ्रांस के लिए भी।"

होलांद के अनुसार कुछ देशों के पास एक प्रतिबंध को प्रभावी तौर पर थोपने की क्षमता है और फ्रांस उनमें से एक है। उन्होंने कहा कि सीरिया में रासायनिक हमला सरकारी सेनाओं ने किया है और उनको दंड दिया जाना चाहिए। फ्रांस ऐसी कार्रवाई चाहता है जो सीरिया शासन की कार्रवाई के अनुपात में कड़ा हो। उन्होंने कहा कि बुधवार को संसद के आपात सत्र के शुरू होने से पहले ही सीरिया में हस्तक्षेप की शुरुआत हो सकती है।

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