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This Article is From Aug 06, 2012

अमेरिकी 'क्यूरियॉसिटी’ यान मंगल पर उतरा

अमेरिकी 'क्यूरियॉसिटी’ यान मंगल पर उतरा
न्यूयार्क: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का परमाणु क्षमता सम्पन्न और विभिन्न प्रकार के उपकरणों से लैस एक टन वजनी रोवर क्यूरियोसिटी रविवार को मंगल ग्रह की सतह पर पहुंच गया। रोवर मंगल ग्रह पर अतीत व वर्तमान के जीवन की सम्भावना वाले वातावरण के प्रमाण खोजेगा।

रोवर को लाल ग्रह की सतह पर उतारना एक तनावपूर्ण व साहसिक वैज्ञानिक मिशन था। इस मिशन को सफलता मिली है। नासा की ओर से लिखे गए एक ट्विटर संदेश में बताया गया कि रोवर के मंगल की सतह पर उतरने की पुष्टि हो गई है और वैज्ञानिक जश्न मना रहे हैं।

रोवर को मंगल पर भेजने का मकसद यह पता लगाना है कि क्या इस ग्रह पर कभी सूक्ष्मजीवों का जीवन था और यदि ऐसा था. तो क्या किसी दिन वहां मानव के जीवन लायक स्थितियां भी बनेंगी।

छह पहियों वाले इस रोवर का वजन करीब एक टन है, जो मंगल की सतह पर पूर्व में भेजे गए सभी रोबोटों से बौना है। यह पूर्व में भेजे गए रोवरों से दुगुनी लम्बाई का व उनसे पांच गुना ज्यादा भारी है।

इसमें 10 वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं। इनमें से दो उपकरण रोवर के रोबोटिक बाजू द्वारा पेश किए गए मंगल की चट्टानों के धूल युक्त अवशेषों के अध्ययन में इस्तेमाल होंगे। नासा के मुताबिक रोवर दो साल तक वहां वैज्ञानिक खोज कार्य को अंजाम देगा।

वैज्ञानिक वहां यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि क्या वहां पर कभी सूक्ष्मीजीवों का जीवन था। 2.5 अरब डॉलर के मार्स साइंस लेबोरेटरी मिशन के तहत क्यूरियोसिटी रोवर को वहां भेजा गया है। इस मिशन की शुरुआत फ्लोरिडा के केप कैनेवेराल में 26 नवंबर, 2011 को हुई थी।

रोवर के मंगल ग्रह पर उतरने के बाद ट्विटर पर लिखा गया कि वह मंगल की सतह पर सुरक्षित उतर गया है। इससे पहले लिखे एक और ट्विटर संदेश में बताया गया था कि यान से बैकशेल अलग हो गया है। मंगल पर उतरने के तुरंत बाद रोवर ने अपना पहला फोटो जारी किया, जिसमें लाल ग्रह पर रोवर की परछाईं दिखाई दे रही थी।
(इनपुट भाषा से भी)

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