- अमेरिकी सरकार ने जनवरी में पोटोमैक नदी के ऊपर हुई विमान दुर्घटना में आंशिक गलती स्वीकार की है
- दुर्घटना में अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट और सेना के ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर की टक्कर में 67 लोगों की मौत हुई
- सरकारी दस्तावेज़ में बताया गया कि एयर ट्रैफिक कंट्रोलर ने दृश्य दूरी नियमों का उल्लंघन किया था
अमेरिकी सरकार ने बुधवार को जनवरी में पोटोमैक नदी के ऊपर हुई विमान दुर्घटना में अपनी गलती स्वीकार की है. अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 5342 और अमेरिकी सेना के ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर के बीच हुई इस टक्कर में विमान में सवार कुल 67 लोगों की मौत हो गई. यह दो दशकों से अधिक समय में अमेरिकी धरती पर हुई सबसे घातक विमान दुर्घटना थी. इस दुर्घटना में कोई भी जीवित नहीं बचा.
कौन सी मानी गलती
ईएसपीएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कोर्ट के दस्तावेज़ में कहा गया है, "अमेरिका यह स्वीकार करता है कि वादी के प्रति उसकी देखभाल का कर्तव्य था, जिसका उसने उल्लंघन किया, जिसके कारण 29 जनवरी, 2025 को यह दुखद दुर्घटना हुई." पीड़ितों के परिवारों में से एक द्वारा दायर पहले मुकदमे के आधिकारिक जवाब में कहा गया है कि दुर्घटना के लिए सरकार आंशिक रूप से उत्तरदायी है, क्योंकि उस रात एयर ट्रैफिक कंट्रोलर ने दृश्य दूरी संबंधी प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया था.
एयलाइंस ने नहीं मानी गलती
इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि सेना के हेलीकॉप्टर पायलटों द्वारा एयरलाइन जेट को देखने और उससे बचने के लिए सतर्कता बनाए रखने में विफलता भी सरकार को उत्तरदायी बनाती है. लेकिन याचिका में यह भी संकेत दिया गया है कि जेट और एयरलाइन के पायलटों सहित अन्य लोगों की भी इसमें भूमिका हो सकती है. मुकदमे में दुर्घटना के लिए अमेरिकन एयरलाइंस और उसके क्षेत्रीय सहयोगी, पीएसए एयरलाइंस को भी दोषी ठहराया गया है, लेकिन इन एयरलाइंस ने मुकदमे को खारिज करने के लिए याचिका दायर की है.
सरकार ने पूरी गलती नहीं मानी
हालांकि, अमेरिकी सरकार पूरी तरह से दोष स्वीकार नहीं कर रही है और इस बात से इनकार करती है कि एयर ट्रैफिक कंट्रोलर या फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन और सेना के अधिकारियों की कार्रवाई में लापरवाही थी. अधिकारियों ने बताया कि वाशिंगटन डीसी के ठीक सामने, उत्तरी वर्जीनिया में रोनाल्ड रीगन नेशनल एयरपोर्ट पर उतरते समय एक हेलीकॉप्टर की अमेरिकन एयरलाइंस के क्षेत्रीय जेट से टक्कर के बाद पोटोमैक नदी के बर्फीले पानी से कम से कम 28 शव निकाले गए. विमान में 60 यात्री और चार चालक दल के सदस्य सवार थे, जबकि हेलीकॉप्टर में तीन सैनिक सवार थे. बुधवार को दायर याचिका से पीड़ितों के परिवारों को हर्जाना मांगने का अवसर मिल गया है.
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