सैन फ्रांसिस्को:
अमेरिकी शहर कैलिफोर्निया के तट के करीब पानी के नीचे चलाए जा रहे अभियान के दौरान पहली बार एक ऐसे डूबे हुए विमानवाहक जहाज का पता चला है, जो दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान सक्रिय रहा था, और जिसे कभी आणविक हथियारों के परीक्षण के लिए प्रशांत महासागर में इस्तेमाल किया गया था.
जाने-माने समुद्रविज्ञानी रॉबर्ट बलार्ड के नेतृत्व में चलाए गए अभियान के दौरान मंगलवार को अमेरिकी विमानवाहक पोत 'यूएसएस इन्डिपेंडेंस' का मलबा पाया गया, जो ग्रेटर फैरालोन्स नेशनल मरीन सैंक्चुअरी में समुद्र के आधा मील नीचे मिला.
समुद्र का अध्ययन करने निकले जहाज़ नॉटिलस पर मौजूद वैज्ञानिकों ने इसके बाद दो मानवरहित सबमर्सिबल समुद्र की तलहटी की तरफ रवाना किए, जिन्होंने वहां एक हैलकैट लड़ाकू विमान, विमानरोधी तोपें, दरवाज़े और जहाज़ के ढांचे पर पूरा नाम लिखा पाया.
बलार्ड ने कहा, "गहरे पानी में पड़े इस तरह के मलबे, जैसे यह जहाज़, टाइटैनिक, या बिस्मार्क, के बारे में सबसे अच्छी बात यह होती है कि वह बेहद अच्छी हालत में होते हैं... वर्ष 1951 में नौसेना द्वारा इस जहाज़ को खत्म कर दिए जाने के बाद से अब इसमें भी बहुत कम बदलाव आया है..."
उन्होंने कहा, "गहरा समुद्र दुनिया का सबसे बड़ा अजायबघर (म्यूज़ियम) है..."
उस जहाज़ पर उग आई समुद्री वनस्पति के नमूने सतह पर लाए जाएंगे, और संभावित रेडियोएक्टिविटी के लिए उनका परीक्षण किया जाएगा कि कहीं बम परीक्षणों का कोई असर बचा न रह गया हो. इसके अलावा इस कोण से भी विश्लेषण किया जाएगा कि कहीं उस पर जलवायु परिवर्तन का कोई असर न हुआ हो.
चार महीने तक चलने वाले इस अभियान के दौरान वैज्ञानिकों की योजना वर्ष 1886 के ऐतिहासिक स्टीम यॉट और मालवाहक जोरोथी विन्डरमोट जहाज़ का मलबा तलाश करने की है.
आइए, आप भी देखिए इस अभियान के दौरान बनाया गया एक बेहद खूबसूरत वीडियो...
जाने-माने समुद्रविज्ञानी रॉबर्ट बलार्ड के नेतृत्व में चलाए गए अभियान के दौरान मंगलवार को अमेरिकी विमानवाहक पोत 'यूएसएस इन्डिपेंडेंस' का मलबा पाया गया, जो ग्रेटर फैरालोन्स नेशनल मरीन सैंक्चुअरी में समुद्र के आधा मील नीचे मिला.
समुद्र का अध्ययन करने निकले जहाज़ नॉटिलस पर मौजूद वैज्ञानिकों ने इसके बाद दो मानवरहित सबमर्सिबल समुद्र की तलहटी की तरफ रवाना किए, जिन्होंने वहां एक हैलकैट लड़ाकू विमान, विमानरोधी तोपें, दरवाज़े और जहाज़ के ढांचे पर पूरा नाम लिखा पाया.
बलार्ड ने कहा, "गहरे पानी में पड़े इस तरह के मलबे, जैसे यह जहाज़, टाइटैनिक, या बिस्मार्क, के बारे में सबसे अच्छी बात यह होती है कि वह बेहद अच्छी हालत में होते हैं... वर्ष 1951 में नौसेना द्वारा इस जहाज़ को खत्म कर दिए जाने के बाद से अब इसमें भी बहुत कम बदलाव आया है..."
उन्होंने कहा, "गहरा समुद्र दुनिया का सबसे बड़ा अजायबघर (म्यूज़ियम) है..."
उस जहाज़ पर उग आई समुद्री वनस्पति के नमूने सतह पर लाए जाएंगे, और संभावित रेडियोएक्टिविटी के लिए उनका परीक्षण किया जाएगा कि कहीं बम परीक्षणों का कोई असर बचा न रह गया हो. इसके अलावा इस कोण से भी विश्लेषण किया जाएगा कि कहीं उस पर जलवायु परिवर्तन का कोई असर न हुआ हो.
चार महीने तक चलने वाले इस अभियान के दौरान वैज्ञानिकों की योजना वर्ष 1886 के ऐतिहासिक स्टीम यॉट और मालवाहक जोरोथी विन्डरमोट जहाज़ का मलबा तलाश करने की है.
आइए, आप भी देखिए इस अभियान के दौरान बनाया गया एक बेहद खूबसूरत वीडियो...
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