दुनियाभर में संघर्षों, हिंसा, मानवाधिकारों के हनन और जुल्म की वजह से 10 करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. शरणार्थियों की चौका देने वाली यह संख्या यूक्रेन(Ukraine) , अफगानिस्तान (Afghanistan), सीरिया (Syria), दक्षिण सूडान (South Sudan), म्यांमा (Myanmar) और सोमालिया (Somalia) में जंग की वजह से है. फरवरी में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से पूर्वी यूरोपीय देश से बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन हुआ है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (UNHRC) ने हाल में जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी थी.
द कन्वरसेशन के मुताबिक , मैकमास्टर विश्वविद्यालय में भूगोल प्रोफेसर ब्रूस न्यूबॉल्ड के अनुसार रूस के हमले के बाद यूक्रेन से 66 लाख से ज्यादा लोग भाग चुके हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. 18-64 साल की उम्र के लोगों का देश में ही रहना जरूरी है ताकि वे रक्ष बलों की मदद कर सकें. इसलिए शरणार्थियों में अधिकतर संख्या महिलाओं और बच्चों की ही है.
यह द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के बाद यूरोप (Europe) का सबसे बड़ा और तेज़ी से होने वाला पलायन है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1945 तक करीब 1.1 करोड़ लोग अपने ही देशों में विस्थापित हुए थे.
युद्ध के बाद का यूरोपीय इतिहास भी सोवियत संघ और पश्चिम के बीच संघर्ष के कारण होने वाले पलायन से अटा पड़ा है.
शीत युद्ध शरणार्थियों की आमद
आंदोलन के पैमाने के कारण इन संघर्षों से उत्पन्न शरणार्थियों की कुल संख्या की पहचान करना मुश्किल है. हम जानते हैं कि शीत युद्ध ने द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद के वर्षों में कम्युनिस्ट यूरोप से लाखों शरणार्थियों को जन्म दिया.
इसमें अनुमानित 35 लाख वे लोग भी शामल हैं जो बर्लिन की दीवार बनने से पहले पूर्वी जर्मनी भागे थे.
1956 की हंगरी की क्रांति के कारण अनुमानित तौर पर दो लाख लोग शरणार्थी बन गए थे.
1968 में प्राग स्प्रींग के कारण करीब 80,000 लोग शरणार्थी बने . यह चेकोस्लोवाक सोशलिस्ट रिपब्लिक (अब चेक गणराज्य और स्लोवाकिया) के लोगों का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करके राजनीतिक उदारीकरण स्थापित करने की कोशिश थी। इसे सोवियत संघ ने कुचल दिया था.
पूर्ववर्ती यूगोस्लाविया के विघटन से जुड़े युद्धों के कारण 1991 से 2001 के बीच 24 लाख से ज्यादा लोगों को शरणार्थी बनना पड़ा. यह देश बाद में टूटा और इसके टुकड़े होकर क्रोएशिया, सर्बिया, स्लोवेनिया, कोसोवो और बोस्निया देश बने.
यूक्रेन के अधिकतर लोग पौलेंड में गए हैं, लेकिन हंगरी, रोमानिया, स्लोवाकिया और माल्डोवा तक में शरणार्थी पहुंचे हैं. यूक्रेन के कुछ लोग कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे अन्य मुल्कों में भी गए हैं.
यूक्रेनियन विस्थापित हैं या फंसे हुए हैं
यूएनएचसीआर ने अनुमान जताया है कि यूक्रेन में 70 लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं, खासकर वे लोग जो पूर्वी यूक्रेन में भीषण लड़ाई से बचकर पश्चिमी शहर ल्वीव गए हैं और राजधानी कीव की घेराबंदी के दौरान बच कर भागे हैं.
शरणार्थी हुए और देश में ही विस्थापित हुए लोगों की संख्या यूक्रेन की आबादी का एक चौथाई है.
अपने तबाह हुए घरों और समुदायों में अब भी बहुत से लोग फंसे हुए हैं। इसका मतलब है कि वे बिना घर-बार छोड़े ही विस्थापित हो गए हैं.
हालांकि इस तरह की खबरें हैं कि लोग यूक्रेन के कुछ इलाकों में लौट रहे हैं, क्योंकि रूसी बलों ने उन इलाकों को छोड़ दिया है.
यूक्रेन की 4.4 करोड़ की आबादी को देखते हुए, इस बात की आशंका है मौजादू संघर्ष के कारण शरणार्थियों की संख्या द्वितीय विश्व युद्व के दौरान हुए पलायन को पार कर जाए.
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