संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून (Reuters)
संयुक्त राष्ट्र:
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी विवाद सुलझाने में उनकी मदद करने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने का प्रस्ताव रखा है. उन्होंने परमाणु हथियार सम्पन्न दोनों पड़ोसी देशों से क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया. बान के प्रवक्ता ने एक बयान जारी किया‘महासचिव हालिया घटनाओं, विशेष तौर पर 18 सितंबर को उरी में भारतीय सैन्य अड्डे पर हमले के बाद संघर्ष विराम के उल्लंघन की खबरों के मद्देनजर दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव को लेकर बहुत चिंतित हैं.’ बयान में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने दोनों देशों से ‘अधिकतम संयम बरतने’ और ‘तनाव कम करने के लिए तुरंत कदम उठाने’ का आग्रह किया है.
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पढ़ें - क्या है संयुक्त राष्ट्र सैन्य निगरानी दल
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इससे पहले संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा था कि इन दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की निगरानी की जिम्मेदारी संभाल रहे उसके मिशन को नियंत्रण रेखा पर सीधे तौर पर कोई फायरिंग नजर नहीं आई.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टेफेन दुजार्रिक ने संवाददाताओं से कहा, 'भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य निगरानी दल (UNMOGIP) को नई घटनाओं के संबंध में नियंत्रण रेखा के पार से सीधे तौर पर कोई फायरिंग नजर नहीं आई.' उनसे जब इस बात पर स्पष्टीकरण मांगा गया कि भारत ने कहा है कि उसने नियंत्रण रेखा के पार लक्षित हमला किया तो UNMOGIP को कैसे कोई फायरिंग नजर नहीं आई, तब उन्होंने दोहराया कि UNMOGIP को सीधे तौर पर कोई फायरिंग नजर नहीं आई.
बान ने भारत और पाकिस्तान की सरकारों से कश्मीर समेत आपसी मसलों को ‘कूटनीति एवं वार्ता के जरिये शांतिपूर्ण’ तरीके से सुलझाने की अपील की है. उन्होंने दोनों देशों से कहा कि यदि दोनों पक्ष स्वीकार करते हैं तो वह मध्यस्थता के लिए उपलब्ध हैं. बता दें कि भारत ने 28 और 29 सितंबर की दरम्यानी रात एलओसी पर सर्जिकल स्ट्राइकल किये जाने का दावा किया है. भारतीय सेना ने कश्मीर के उरी स्थित सैन्य अड्डे पर पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के हमले के बाद यह कार्रवाई की. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि हमलावर सजा से बच नहीं पाएंगे और जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र भारत और पाकिस्तान के बीच विवादास्पद क्षेत्र में लंबे समय से अपनी संस्थागत उपस्थिति बनाये हुये है. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1971 के प्रस्ताव 307 के जनादेश के अनुसार भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र का सैन्य पर्यवेक्षक समूह दोनों देशों के बीच कामकाजी रेखा और नियंत्रण रेखा पर और उसके पार संघषर्विराम उल्लंघनों पर नजर रखता है और इसकी सूचना देता है.
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पढ़ें - क्या है संयुक्त राष्ट्र सैन्य निगरानी दल
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इससे पहले संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा था कि इन दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की निगरानी की जिम्मेदारी संभाल रहे उसके मिशन को नियंत्रण रेखा पर सीधे तौर पर कोई फायरिंग नजर नहीं आई.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टेफेन दुजार्रिक ने संवाददाताओं से कहा, 'भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य निगरानी दल (UNMOGIP) को नई घटनाओं के संबंध में नियंत्रण रेखा के पार से सीधे तौर पर कोई फायरिंग नजर नहीं आई.' उनसे जब इस बात पर स्पष्टीकरण मांगा गया कि भारत ने कहा है कि उसने नियंत्रण रेखा के पार लक्षित हमला किया तो UNMOGIP को कैसे कोई फायरिंग नजर नहीं आई, तब उन्होंने दोहराया कि UNMOGIP को सीधे तौर पर कोई फायरिंग नजर नहीं आई.
बान ने भारत और पाकिस्तान की सरकारों से कश्मीर समेत आपसी मसलों को ‘कूटनीति एवं वार्ता के जरिये शांतिपूर्ण’ तरीके से सुलझाने की अपील की है. उन्होंने दोनों देशों से कहा कि यदि दोनों पक्ष स्वीकार करते हैं तो वह मध्यस्थता के लिए उपलब्ध हैं. बता दें कि भारत ने 28 और 29 सितंबर की दरम्यानी रात एलओसी पर सर्जिकल स्ट्राइकल किये जाने का दावा किया है. भारतीय सेना ने कश्मीर के उरी स्थित सैन्य अड्डे पर पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के हमले के बाद यह कार्रवाई की. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि हमलावर सजा से बच नहीं पाएंगे और जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र भारत और पाकिस्तान के बीच विवादास्पद क्षेत्र में लंबे समय से अपनी संस्थागत उपस्थिति बनाये हुये है. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1971 के प्रस्ताव 307 के जनादेश के अनुसार भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र का सैन्य पर्यवेक्षक समूह दोनों देशों के बीच कामकाजी रेखा और नियंत्रण रेखा पर और उसके पार संघषर्विराम उल्लंघनों पर नजर रखता है और इसकी सूचना देता है.
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