लंदन:
ब्रिटेन ने साल 2009 में हुई जी-20 समूह की दो बैठकों में शामिल नेताओं और अधिकारियों की जासूसी कराई थी, ताकि इन महत्वपूर्ण वित्तीय वार्ताओं में अपना पक्ष मजबूत कर सके।
समाचार पत्र 'द गार्डियन' के अनुसार भंडफोड़ करने वाले अमेरिकी युवक एडवर्ड स्नोडेन की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों से यह बात सामने आई है। साल 2009 में लंदन में अप्रैल और सितंबर महीने में जी-20 की दो अहम बैठकें हुई थीं और इनमें कई विदेशी नेता एवं अधिकारी शामिल हुए थे। इन लोगों के कंप्यूटर मॉनीटर और फोन कॉल पर नजर रखी गई थी।
ब्रिटिश खुफिया सेवा ने विदेशी प्रतिनिधियों की बातचीत को इंटरसेप्ट किया। कई प्रतिनिधियों ने उन इंटरनेट कैफ का इस्तेमाल किया, जो ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों द्वारा स्थापित किए गए थे। इस तरह से ब्रिटिश खुफिया एजेंसियां इनके ईमेल और दूसरी बातचीत को पढ़ने में कामयाब रहीं।
इन दस्तावेजों में कहा गया है कि तुर्की के वित्त मंत्री महमेत सिसके और 15 दूसरे विदेशी प्रतिनिधियों को संभवत: निशाना बनाया गया।
समाचार पत्र 'द गार्डियन' के अनुसार भंडफोड़ करने वाले अमेरिकी युवक एडवर्ड स्नोडेन की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों से यह बात सामने आई है। साल 2009 में लंदन में अप्रैल और सितंबर महीने में जी-20 की दो अहम बैठकें हुई थीं और इनमें कई विदेशी नेता एवं अधिकारी शामिल हुए थे। इन लोगों के कंप्यूटर मॉनीटर और फोन कॉल पर नजर रखी गई थी।
ब्रिटिश खुफिया सेवा ने विदेशी प्रतिनिधियों की बातचीत को इंटरसेप्ट किया। कई प्रतिनिधियों ने उन इंटरनेट कैफ का इस्तेमाल किया, जो ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों द्वारा स्थापित किए गए थे। इस तरह से ब्रिटिश खुफिया एजेंसियां इनके ईमेल और दूसरी बातचीत को पढ़ने में कामयाब रहीं।
इन दस्तावेजों में कहा गया है कि तुर्की के वित्त मंत्री महमेत सिसके और 15 दूसरे विदेशी प्रतिनिधियों को संभवत: निशाना बनाया गया।
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