ऑपरेशन ब्लू स्टार मामले की सुनवाई के दौरान ब्रिटिश अधिकारी फाइलों की गोपनीयता का बचाव करते नजर आए. ब्रिटेन के विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय( एफसीओ) के वरिष्ठ नौकरशाहों ने न्यायाधिकरण की बंद कमरे में मंगलवावर को हुई सुनवाई में 1984 के ब्लूस्टार ऑपरेशन से जुड़ी कैबिनेट की कुछ फाइलों को 30 वर्ष से अधिक समय बाद भी सार्वजनिक नहीं करने के कारण समझाये.
‘फर्स्ट टायर ट्रिब्यूनल’ की तीन दिवसीय सुनवाई लंदन में शुरू हुई. इसमें से सत्र का बड़ा हिस्सा बंद दरवाजे के पीछे हुआ. एफसीओ के अधिकारियों ने इस बारे में अपना रुख स्पष्ट किया कि फाइलों को सार्वजनिक करने से राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए खतरा उत्पन्न होगा.
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ब्रिटेन में काम करने वाले स्वतंत्र पत्रकार फिल मिलर की ओर से सूचना की स्वतंत्रता अपील दायर करने वाली मानवाधिकार विधिक कंपनी केआरडब्ल्यू लॉ के प्रवक्ता ने कहा, ‘यह बहुत ही असामान्य है कि हमें अपनी ही अपील का हिस्सा होने की इजाजत नहीं दी गई.’
प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारी यह समझ है कि भारत की भाजपा सरकार को इन फाइलों को सार्वजनिक करने पर कोई आपत्ति नहीं है. इसके बावजूद ब्रिटिश सरकार इन्हें गोपनीय रखने के पक्ष में तर्क दे रही है जबकि इसमें काफी लोकहित है.’ \
VIDEO : ऑपरेशन ब्लू स्टार की 32वीं बरसी, कई शहरों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम (इनपुट भाषा से)
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