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This Article is From Jun 19, 2024

कनिष्क, खालिस्तान, ट्रूडो सीनियर ... भारत ने यूं ही कनाडा को आईना नहीं दिखाया, पढ़ें बदनसीब प्लेन की कहानी

Kanishka Plane Bombing: कनाडा और भारत के बीच के रिश्तों की कड़वाहट नई नहीं, बल्कि दशकों पुरानी है. वो बात अलग है कि भारत इसे भुलाकर हमेशा अच्छे रिश्तों की पहल करता रहा है.

कनिष्क, खालिस्तान, ट्रूडो सीनियर ... भारत ने यूं ही कनाडा को आईना नहीं दिखाया, पढ़ें बदनसीब प्लेन की कहानी
कनिष्क विमान ब्लास्ट ने भी कनाडा की आंखें अब तक नहीं खोलीं . (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:

निज्जर को लेकर कनाडा इतना आक्रामक क्यों है? यह सवाल हर भारतीय के मन में होगा. आखिर कनाडा क्यों एक आतंकवादी के लिए सारी सीमा पार कर रहा है? इसका जवाब जानने के लिए कनिष्क विमान (Kanishka Plane Bombing) ब्लास्ट को जानना होगा. कनिष्क विमान में ब्लास्ट आज तक भारतीयों के दिल पर एक घाव बना हुआ है, जिसका अब तक इलाज नहीं हुआ है. यह साल 1985 की बात है. 23 जून 1985 को कनिष्क विमान में सवार 86 बच्चों समेत 329 लोगों को अंदाजा तक नहीं था कि वह जीवन के अंतिम सफर पर निकल पड़े हैं. अचानक विमान में एक धमाका हुआ और सबकुछ खत्म हो गया. आरोप खालिस्तानी आतंकवादियों पर लगे और इसे ऑपरेशन ब्लू स्टार का जवाब माना गया, मगर मानव अधिकारों का ढिंढोरा पीटने वाला कनाडा अब तक इस घटना में न तो किसी आरोपी को सजा दिलवा सका और न ही इसकी जांच पूरी कर सका. 

टेकऑफ के महज 45 मिनट बाद हादसा

23 जून 1985 को माट्रियाला से एयर इंडिया के कनिष्क-182 ने नई दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. इस फ्लाइट को लंदन होते हुए भारत पहुंचना था. इसे लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर स्टे कराया जाना था. इस फ्लाइट के टेकऑफ के महज 45 मिनट के बाद ही आयरलैंड के हवाई क्षेत्र में 31 हजार फीट की ऊंचाई पर ही बम से उड़ा दिया गया. इनमें मारे गए 22 लोगों भारतीय नागरिक थे, जबकि 280 लोग भारतीय मूल के कनाडा के नागरिक थे. बाकी 27 अन्य देशों के नागरिक थे.

सांकेतिक फोटो

सांकेतिक फोटो

अटलांटिक महासागर में मिला मलबा

329 में से 131 लोगों के परिवार इस मामले में खुशकिस्मत थे कि उनको अपने परिवार के सदस्यों के शव मिल गए. वरना बाकी के शव भी नहीं मिले. दरअसल, फ्लाइट ब्लास्ट होने के बाद इसका मलबा अटलांटिक महासागर में देखा गया. समुद्र में लाशें तैर रही थीं. विमान का मलबा कागज के टुकड़ों की तरह पानी में तैर रहा था. मरने वाले 329 लोगों में 22 क्रू मेंबर्स भी शामिल थे.  

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इस तरीके से रखा बम

इस विमान हादसे की जब जांच हुई तो इसका खालिस्तानी कनेक्शन सामने आया. पता चला कि साल 1984 में पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में हुए ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेने के लिए खालिस्तानी चरमपंथियों ने फ्लाइट में बम प्लांट किया था. उन्होंने बम को सूटकेस में रखने के बाद फ्लाइट के कॉकपिट के पास रख दिया. इस धमाके का दोषी चरमपंथी और बब्बर खालसा इंटरनेशनल का कुख्यात आतंकी इंदरजीत सिंह रेयात था. उसने सिर्फ कनिष्क को ही नहीं, बल्कि जापान की राजधानी टोक्यो के नरिता हवाई अड्डे पर एयर इंडिया की एक और फ्लाइट को भी निशाना बनाया था. इस हादसे में जापानी एयर सर्विसेज के दो लोडर मारे गए थे. 

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क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार?

पाकिस्तान की मदद से जरनैल सिंह भिंडरवाले के नेतृत्व में जब खालिस्तानी ताकतें मजबूत होने लगीं तो इंदिरा गांधी सरकार ने आतंकियों को पकड़ने के लिए 8 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया. इसका मकसद हरमिंदर साहिब परिसर को खालिस्तानी समर्थक भिंडरवाले और उसके समर्थकों से मुक्त कराना था. इस ऑपरेशन के दौरान 493 लोग मारे गए थे. वहीं 83 जवानों ने भी शहादत दी थी. आतंकी इंदरजीत सिंह रेयात ने खुद ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने की बात कही थी. वहीं बम धमाके की बात भी उसने कबूल की थी. मगर इस मामले में लंबे समय तक केस चलने के बावजूद भी कुछ नहीं हुआ. 

हादसे से पहले भारत ने दी थी चेतावनी

भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस तरह के आतंकवादी खतरे की चेतावनी कनाडा के तत्कालीन पीएम और जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो को खुद भी दी थी. मगर उन्होंने इस मामले को अनदेखा किया और इसका नतीजा पूरी दुनिया ने देखा. अब उनके बेटे यानी कि जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी आतंकी निज्जर को हीरो बना रहे हैं और उसकी हत्या का आरोप भारत पर मढ़ रहे हैं. पियरे ट्रूडो ने खालिस्तान मुद्दे को भड़ कनाडा का खालिस्तानी प्रेम कम होने का नाम नहीं ले रहा है. पहले तो जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर मढ़ा और अब उसे कनाडा की संसद में हीरो भी बनाया जा रहा है. उसके सम्मान में मौन सभा रखी जा रही है. यह सब ट्रूडो खालिस्तानियों को खुश करने के लिए कर रहे हैं ताकी कनाडा में रह रहे सिखों को यह एहसास दिला सकें कि वह उनके लिए लड़ रहे लोगों के साथ हैं, मगर जल्द ही ट्रूडो का यह भ्रम टूट जाएगा, क्योंकि सिख समुदाय खालिस्तानियों के साथ नहीं भारत के साथ है. मोदी सरकार ने कनाडा पर क्या कहा, यहां पढ़ें 

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