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This Article is From Jan 28, 2017

'सीक्रेट' कोर्ट को लेकर पाकिस्‍तानी हुक्‍मरान और पॉवरफुल सेना के बीच टकराव

'सीक्रेट' कोर्ट को लेकर पाकिस्‍तानी हुक्‍मरान और पॉवरफुल सेना के बीच टकराव
कमर जावेद बाजवा पिछले नवंबर में पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ बने.
पाकिस्‍तान में नए आर्मी जनरल कमर जावेद बाजवा के नियुक्‍त होने के बाद पहली बार शक्तिशाली सेना और हुक्‍मरान में टकराव की स्थिति पैदा हुई है. अबकी बार मामला आर्मी के 'सीक्रेट' कोर्ट को लेकर है. दरअसल मानवाधिकार और अन्‍य मुद्दों को लेकर पाकिस्‍तानी राजनेताओं का एक इन कोर्ट को बंद करने की मांग करने लगा है लेकिन सेना ऐसा नहीं चाहती. दरअसल दिसंबर, 2014 में पाकिस्‍तानी तालिबान ने जब एक स्‍कूल में हमला करके 100 से भी अधिक बच्‍चों को मार दिया था.

उसके एक महीने के बाद आतंकियों पर लगाम लगाने के लिए सेना ने कोर्ट का गठन किया. इनकी बंद दरवाजों के भीतर होने वाली कार्यवाहियों के चलते इन्‍हें पाकिस्‍तान में गुप्‍त कोर्ट कहा जाने लगा है. इन सैन्‍य अदालतों ने पिछले दो सालों के भीतर 100 से भी अधिक आतंकियों को फांसी देने का हुक्‍म दिया है.

इसके चलते पहली बार राजनेता खुलकर सेना के खिलाफ इस मसले पर बोलने लगे हैं और इस तरह की अदालतों को बंद करने की मांग कर रहे हैं. दरअसल इन कोर्ट का गठन सीमित अवधि के लिए हुआ था. उसकी मियाद इस महीने की शुरुआत में खत्‍म हो गई थी लेकिन विपक्षी दलों के बढ़ते असंतोष के चलते सरकार ने अभी तक इन कोर्ट को सेवा विस्‍तार देने के मसले पर फैसला नहीं किया है.

हालांकि वहीं दूसरी तरफ सेना का कहना है कि इन कोर्ट के गठन के चलते बेहद सकारात्‍मक नतीजे निकले हैं और पूर्ववर्ती जनरल राहील शरीफ ने इन कोर्ट के पक्ष में दलील देते हुए कहा है कि मानव अधिकारों और अभिव्‍यक्ति की आजादी की बातें अपनी जगह ठीक हैं, लेकिन उनकी अपनी सीमाएं हैं और जब बात कट्टर आतंकियों से निपटने की आती है तो इन तौर-तरीकों से उनसे निपटने में मुश्किलें आती हैं.

आमतौर पर पाकिस्‍तान में सेना को सबसे शक्तिशाली प्रतिष्‍ठान माना जाता है और अामतौर पर उसके खिलाफ आवाजें नहीं उठतीं. पिछले नवंबर में जनरल राहील शरीफ के रिटायर होने के बाद कमर जावेद बाजवा नए आर्मी चीफ बने हैं. माना जाता है कि सरकार के साथ राहील शरीफ के संबंध बहुत मधुर नहीं थे.
 

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