तुर्की के राष्ट्रपति रेकप तैयप एर्डोगान का फाइल फोटो
इस्तांबुल:
पिछले सप्ताह तुर्की में सरकार के तख्तापलट की विफल कोशिशों के बाद राष्ट्रपति रेकप तैयप एर्डोगान ने बुधवार को तीन महीने के लिए देश में इमरजेंसी की घोषणा की है। इसके साथ ही इस घटना के लिए पीछे जिम्मेदार 'आतंकी' समूह का पता लगाने का भी संकल्प लिया है।
उन्होंने इसके लिए अपने प्रतिद्वंद्वी और अमेरिका में रह रहे धार्मिक नेता फतुल्लाह गुलेन के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया है। नतीजतन अब तक देशभर में 50 हजार गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और संदिग्ध षड़यंत्रकर्ताओं को उनके पदों से हटा दिया गया है।
इस मसले पर अंकारा में राष्ट्रपति पैलेस में कहा, 'इस तख्तापलट की कोशिश करने वाले आतंकी संगठन के सभी तत्वों को तत्काल रूप से हटाने के लिए आपातकाल घोषित करना जरूरी था।' उल्लेखनीय है कि आपातकाल घोषित होने के बाद सरकार की शक्तियां काफी बढ़ जाती हैं।
एर्डोगान ने जोर देकर कहा कि 'लोकतंत्र के मसले पर कोई समझौता नहीं होगा।' राष्ट्रपति पैलेस में एर्डोगान की अध्यक्षता में तुर्की की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और कैबिनेट की लंबी बैठकों के बाद यह घोषणा की गई।
इस बाबत एक अधिकारी ने कहा, इससे सरकार को आवागमन की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए अतिरिक्त शक्तियां मिल जाती हैं । हालांकि यह भी जोड़ा कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों का अनुपालन करते हुए इससे वित्तीय और व्यावसायिक गतिविधियों पर पाबंदी नहीं लगाई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले 1987 में देश के दक्षिण-पूर्व प्रांतों में कुर्द लड़ाकों से लड़ने के लिए उन जगहों पर इमरजेंसी घोषित की गई थी। 2002 में उसको अंतिम रूप से हटाया गया था। देश में संविधान के अनुच्छेद 120 में इमरजेंसी लागू करने संबंधी प्रावधान हैं।
उन्होंने इसके लिए अपने प्रतिद्वंद्वी और अमेरिका में रह रहे धार्मिक नेता फतुल्लाह गुलेन के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया है। नतीजतन अब तक देशभर में 50 हजार गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और संदिग्ध षड़यंत्रकर्ताओं को उनके पदों से हटा दिया गया है।
इस मसले पर अंकारा में राष्ट्रपति पैलेस में कहा, 'इस तख्तापलट की कोशिश करने वाले आतंकी संगठन के सभी तत्वों को तत्काल रूप से हटाने के लिए आपातकाल घोषित करना जरूरी था।' उल्लेखनीय है कि आपातकाल घोषित होने के बाद सरकार की शक्तियां काफी बढ़ जाती हैं।
एर्डोगान ने जोर देकर कहा कि 'लोकतंत्र के मसले पर कोई समझौता नहीं होगा।' राष्ट्रपति पैलेस में एर्डोगान की अध्यक्षता में तुर्की की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और कैबिनेट की लंबी बैठकों के बाद यह घोषणा की गई।
इस बाबत एक अधिकारी ने कहा, इससे सरकार को आवागमन की स्वतंत्रता को सीमित करने के लिए अतिरिक्त शक्तियां मिल जाती हैं । हालांकि यह भी जोड़ा कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों का अनुपालन करते हुए इससे वित्तीय और व्यावसायिक गतिविधियों पर पाबंदी नहीं लगाई जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले 1987 में देश के दक्षिण-पूर्व प्रांतों में कुर्द लड़ाकों से लड़ने के लिए उन जगहों पर इमरजेंसी घोषित की गई थी। 2002 में उसको अंतिम रूप से हटाया गया था। देश में संविधान के अनुच्छेद 120 में इमरजेंसी लागू करने संबंधी प्रावधान हैं।
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