चीन में कोरोना वायरस (Covid-19 Outbreak in China) की नई 'सुनामी' ने भारत समेत दुनियाभर के देशों को टेंशन में डाल दिया है. चीन में कोरोना संक्रमण के हालात 2020 की याद दिला रहे हैं. तब से अब तक शी जिनपिंग सरकार (Xi Jinping Government) ने इससे निपटने के लिए सख्त नियम लागू किए. जीरो कोविड पॉलिसी लाई गई. बेहद सख्त लॉकडाउन लगाए गए. लेकिन, तमाम दावों और वादों के बावजूद कोरोना कंट्रोल नहीं किया जा सका. नई लहर की वजह से अस्पतालों में तेजी से मरीज बढ़ रहे हैं. परेशानी की बात यह है कि मेडिकल स्टाफ भी संक्रमित हो रहा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी एक्सपर्ट चीन में अगले 3 महीनों में लगभग 60 फीसदी आबादी के कोविड संक्रमित होने की बात कर रहे हैं. वहीं, 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका है. ऐसे में सवाल है कि चीन कोरोना की इस नई और डरावनी लहर में कैसे पहुंच गया. आखिर शी जिनपिंग सरकार से कहां-कहां चूक हो गई?
ट्रैकिंग
चीन में कोरोना संक्रमण और मौतों की अपेक्षित वृद्धि एक अंदर ही अंदर हो रही है, क्योंकि सरकार अब विस्तृत कोविड डेटा जारी नहीं कर रही है. ऐसे में दुनिया को चीन की वास्तविक स्थिति के बारे में नहीं पता चल रहा है. नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर वायरल डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के निदेशक जू वेनबो ने 20 दिसंबर को बीजिंग में एक ब्रीफिंग में कहा कि चीन देश में घूम रहे ऑमिक्रॉन सब-वेरिएंट्स को बारीकी से देख रहा है. उन्होंने कहा कि इसने एक राष्ट्रीय कोविड वायरल सीक्वेंसिंग डेटाबेस स्थापित किया है, जो हर हफ्ते हर प्रांत में तीन अस्पतालों से आनुवंशिक अनुक्रम प्राप्त करेगा. ताकि किसी भी उभरते वेरिएंट को पकड़ा जा सके.
हालांकि, असलियत में ऐसा नहीं हुआ. चीन में संक्रमण और मौतों के बारे में अब बहुत कम स्पष्टता है, क्योंकि देश ने बड़े पैमाने पर टेस्टिंग करना छोड़ दिया है या बहुत कम कर दिया है. चीन पहले जिस तरह से कोविड डेथ रेट को मापता था, उसे भी सीमित कर दिया है. ऐसे में कितने केस आ रहे हैं और कितने ठीक हुए, इसका पता नहीं लग पाता है.
अलग-अलग रास्ते
चीन में नई लहर आने की दो संभावनाएं हो सकती हैं. पहला- ओमिक्रॉन और इसके सैकड़ों सब-वेरिएंट सीधे अटैक कर सकते हैं जैसा कि 2022 में बाकी दुनिया में हुआ था. वैक्सीनेशन और इंफेक्शन इम्यूनिटी को तब तक मजबूत कर सकते हैं, जब तक कि पूरी आबादी में इंफेक्शन के बाद एंटीबॉडीज नहीं बन जाती.
दूसरी संभावना यह है कि सब-वेरिएंट पूरी तरह से विकसित हो सकता है. ठीक उसी तरह जैसे 2021 के अंत में दक्षिणी अफ्रीका में मूल ऑमिक्रॉन उभरा था. यह दुनिया के लिए एक नया खतरा पैदा कर सकता है.
लो हर्ड इम्युनिटी
चीन की जीरो कोविड पॉलिसी के पीछे सरकार की मंशा देश में कोरोना का एक भी केस नहीं होने देना था. लेकिन चीन में हालिया कुछ घटनाओं के बाद देश में इस पॉलिसी के खिलाफ लोगों ने मोर्चा खोल दिया. कोरोना के बीच कई देशों ने चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन हटाना शुरू किया था. रोजमर्रा के कामों के लिए लोगों का घर से बाहर निकलना शुरू हुआ. लेकिन इसके उलट चीन सरकार ने लोगों को घरों में कैद कर दिया. इससे कोरोना से निपटने के लिए चीन के लोगों की तैयारी दुनिया के अन्य मुल्कों के लोगों के मुकाबले बहुत पीछे है.
यात्रा से ग्रामीण इलाकों में फैल रहा कोरोना
चीन में हालात ऐसे बन पड़े हैं कि शहरी इलाकों से ग्रामीण आबादी में कोरोना तेजी से फैल रहा है. दरअसल, लंबे समय से चीन में लगी जीरो कोविड पॉलिसी के हटते ही लोगों का बाहर निकलना शुरू हो गया है. ग्रामीण क्षेत्रों से लोग रोजगार और अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए शहर आ-जा रहे हैं और कोरोना लेकर लौट रहे हैं. ऐसे में कोरोना से कुछ हद तक बचे ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना दोबारा फैलना शुरू हो गया है.
इसके अलावा चीन पर कोविड डेटा को दुनिया से छिपाने का आरोप भी है. जानकारों का मानना है कि महामारी जैसे हालात में आंकड़े छिपाना और खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे बीमारी की गंभीरता का सही आकलन लगा पाना मुश्किल हो जाता है, जिसका नतीजा लोगों को भुगतना पड़ता है.
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