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वक्त वक्त की बात है! सीरिया में कल तक असद के गीत गा रहा मीडिया अब बना बागियों का भोंपू

सत्ता बदलते ही सरकारी मीडिया ने भी अपना सुर बदल लिया. जो कभी असद सरकार का गुणगान करता था, अब नई सरकार के बारे में जनता को बता रहा है.

वक्त वक्त की बात है! सीरिया में कल तक असद के गीत गा रहा मीडिया अब बना बागियों का भोंपू
नई दिल्ली:

सीरिया से बशर अल-असद के जाते ही इसका असर वहां के मीडिया पर देकने को मिल रहा है. जो बशर अल-असद के दमनकारी शासन की महिमा का बखान करते थे,उनके पद से हटते ही अपना सुर बदल लिया. दशकों से सीरिया की सत्तारूढ़ बाथ पार्टी और असद परिवार ने प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर भारी अंकुश लगाया है. अब सीरियाई मीडिया बशर अल-असद की कमियों के बारे में चर्चा कर रहा है. साथ ही साथ नए सरकार की इमेज बदलने की कोशिश कर रहा है.

जब इस्लामी समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेतृत्व में विद्रोही गठबंधन ने 8 दिसंबर को दमिश्क पर कब्जा कर लिया और 11 दिनों के आक्रमण के बाद असद को उखाड़ फेंकने की घोषणा की, तो भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और सरकारी समाचार एजेंसी SANA, जो सरकार का मुखपत्र है, 24 घंटे से अधिक समय तक चुप रही.

सत्ता बदलते ही सरकारी मीडिया ने भी अपना सुर बदल लिया. जो कभी असद सरकार का गुणगान करता था, अब नई सरकार के बारे में जनता को बता रहा है. इतना ही नहीं, "दमिश्क शहर की मुक्ति और तानाशाह बशर अल-असद के पतन" जैसे हेडलाइन भी चलाए गए, जो बेहद अकल्पनीय थे. 

देखा जाए तो दो सप्ताह पहले ये शब्द अकल्पनीय थे. इसके बाद चैनल ने घंटों तक लाल पृष्ठभूमि पर पूर्ण स्क्रीन पर "महान सीरियाई क्रांति की विजय" की घोषणा वाला संदेश प्रसारित किया.

पहले मनाही अब विदेशी मीडिया की एंट्री

असद सरकार में विदेशी मीडिया का प्रवेश काफी हद तक कंट्रोल में था, असद के जाते ही विदेशी मीडिया की सीरिया में एंट्री हुई और असद द्वारा किए गए कार्यों की विवेचना होने लगी. उसके सत्ता से बाहर होते ही वहां उमड़ पड़ा, तथा कुख्यात जेलों और अन्य स्थलों की ओर दौड़ पड़ा, जो उसके पागलपन भरे शासन के तहत पहुंच से बाहर थे.

2011 में सीरिया में युद्ध छिड़ने के बाद सरकार ने लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों पर क्रूर दमन किया, जिसके बाद असद ने स्वतंत्र पत्रकारिता पर प्रतिबंध कड़े कर दिए.उन्हें उम्मीद थी कि सरकार के कथन का पालन होगा.

तेजी से आगे बढ़ रहे विद्रोही हमले की कुछ ही रिपोर्टें शुरू में आधिकारिक मीडिया पर आईं, तथा सेना को छोड़कर किसी भी सैन्य टिप्पणी की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि विद्रोहियों ने सरकारी कब्जे वाले क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था.

जिसकी सत्ता, उसकी कथा

असद के सत्ता से बेदखल होने के बाद पत्रकारों ने - विशेष रूप से सरकारी मीडिया में - तुरंत ही अपने ऑनलाइन प्रोफाइल फोटो को क्रांति समर्थक चित्रों से बदल दिया तथा पूर्व अधिकारियों के साथ अपनी संलिप्तता को दर्शाने वाली सभी तस्वीरें हटा दीं.

अगले दिन SANA ने मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम पर अपनी कवर तस्वीर बदल दी और सीरिया के विद्रोह के प्रतीक तीन सितारा झंडे से मेल खाने लगी.एजेंसी ने विद्रोहियों के सैन्य संचालन कक्ष से घोषणाओं सहित समाचार प्रकाशित करना शुरू कर दिया.

निजी सरकार समर्थक प्रकाशन अल-वतन ने - जो अन्य प्रकाशनों की तुलना में अपेक्षाकृत आलोचनात्मक है - जिस दिन विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा किया, उस दिन अपने बचाव में एक बयान प्रकाशित किया. इसमें कहा गया है, "सीरियाई मीडिया और मीडियाकर्मी दोषी नहीं हैं."

2006 में स्थापित अल-वतन ने तब से नए प्रशासन से संबंधित समाचार प्रकाशित किए हैं, और अब्द रब्बो ने कहा कि सूचना मंत्रालय के अधिकारियों ने "हमें बताया कि हमारी टीम काम करना जारी रख सकती है".उन्होंने टेलीफोन पर एएफपी को बताया, "हमें उम्मीद है कि भविष्य में हम पुनः मुद्रण की ओर लौट सकेंगे, विशेषकर इसलिए क्योंकि सीरिया एकमात्र ऐसा देश है जो एक भी समाचार पत्र नहीं छापता है."

सुरक्षा चिंताओं के कारण नाम न बताने का अनुरोध करते हुए एक कर्मचारी ने कहा कि एचटीएस के नागरिक सदस्य - सशस्त्र विद्रोहियों के साथ - स्टेशन में घुस गए और कर्मचारियों को वापस जाने के लिए कहा.

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