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This Article is From Jul 22, 2022

अमेरिका में करीब 10 साल बाद सामने आया पोलियो का पहला केस

पोलियो एक अपंग और संभावित घातक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है. पोलियो के मामले साल 1988 से अब तक लगभग 99 प्रतिशत कम हो गए हैं.   

अमेरिका में करीब 10 साल बाद सामने आया पोलियो का पहला केस
न्यूयोर्क:

संयुक्त राज्य में गुरुवार को करीब दस सालों बाद पोलियो वायरस का पहला केस सामने आया. न्यूयोर्क राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि मैनहट्टन से 30 मील (48 किलोमीटर) उत्तर में रॉकलैंड काउंटी में रहने वाले एक व्यक्ति पोलियो के लिए किए गए टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया है. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार, अमेरिका ने आखिरी बार 2013 में पोलियो का मामला दर्ज किया था. अधिकारियों ने कहा कि नया मामला किसी दूसरे व्यक्ति से संक्रमित होने का है, जिसने ओरल पोलियो वैक्सीन ली होगी. साल 2000 में संयुक्त राज्य अमेरिका में ओपीवी बंद कर दिया गया था. 

न्यूयोर्क राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस तरह का संक्रमण ये संकेत देता है कि वायरस की उत्पत्ति कहीं अमेरिका के बाहर हुई है, जहां ओरल पोलियो वैक्सीन दी जा रही है. गौरतलब है कि वायरस के नए स्ट्रेन ओपीवी से कंट्रोल नहीं हो सकते. ऐसे में अधिकारियों ने स्वास्थ्यकर्मियों को सचेत किया है कि वो अन्य केसों को चिन्हित करने के लिए कार्य करें. साथ ही इलाके के वैसे लोगों से पोलियो वैक्सीन लेने की अपील है, जिन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं ली है.  

बता दें कि पोलियो वायरस से निजात पाने के लिए हाल के कुछ दसकों में वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रयास किए गए हैं. पोलियो एक अपंग और संभावित घातक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है. पोलियो के मामले साल 1988 से अब तक लगभग 99 प्रतिशत कम हो गए हैं.   

गौरतलब है कि 25 देशों में पोलियो स्थानिक था और दुनिया भर में इसके 350,000 मामले दर्ज किए गए थे. संयुक्त राज्य अमेरिका में, 1950 के दशक के अंत में और 1960 के दशक की शुरुआत में एक वैक्सीन विकसित होने के बाद मामलों में तेजी से गिरावट आई. अमेरिका में पोलियो के स्वाभाविक रूप से होने वाले अंतिम मामले 1979 में दर्ज किए गए थे. 

ओपीवी आंत में प्रतिकृति बनाता है और मल-दूषित पानी के माध्यम से दूसरों को पारित किया जा सकता है, जिसका अर्थ है कि ये उस बच्चे को चोट नहीं पहुंचाएगा जिसे टीका लगाया गया है, लेकिन पड़ोसियों को संक्रमित कर सकता है, जहां स्वच्छता और टीकाकरण का स्तर कम है.

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