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This Article is From Sep 01, 2023

बचपन में पोलियो से संक्रमित हुए, लगवा ली आयरन लंग्स वाली मशीन, 70 सालों से इसके अंदर जी रहा है अमेरिकी शख्स

आयरन लंग्स "फ्रॉग ब्रीदिंग" नामक एक तकनीक पर काम करते हैं, जो गले की मांसपेशियों का उपयोग करके एयर को वोकल कोड्स के पार धकेलता है.

बचपन में पोलियो से संक्रमित हुए, लगवा ली आयरन लंग्स वाली मशीन, 70 सालों से इसके अंदर जी रहा है अमेरिकी शख्स
पॉल अलेक्जेंडर 1952 से पोलियो के कारण गर्दन के नीचे से लकवाग्रस्त हैं.

अमेरिका में एक व्यक्ति ने 6 साल की उम्र में पोलियो से पीड़ित होने के बाद 600 पाउंड के आयरन के लंग्स लगवाए और उनके साथ सात दशक से ज्यादा समय बिताया है. इस बीमारी के कारण 1952 से पॉल एलेक्जेंडर की गर्दन से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है, जिससे वह खुद से सांस लेने में असमर्थ हो गए. न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, "पोलियो पॉल" ने आधुनिक मशीन में अपग्रेड करने से इनकार कर दिया है. मार्च में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (जीडब्ल्यूआर) ने 77 वर्षीय व्यक्ति को अब तक का सबसे लंबे समय तक आयरन लंग्स का रोगी घोषित किया.

1946 में पैदा होने के बाद से श्री अलेक्जेंडर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. उन्होंने अमेरिकी इतिहास में सबसे खराब पोलियो प्रकोप को सहन किया, जिसमें लगभग 58,000 मामले थे, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे.

पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बीमारी ने अलेक्जेंडर को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिससे उन्हें सांस लेने के लिए मशीन का उपयोग करना पड़ा.

पोलियन या पोलियोमाइलाइटिस, पोलियोवायरस के कारण होने वाली एक अनफॉरगिवेबल और लाइफ-थ्रिएटनिंग बीमारी है. ये वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी को संक्रमित कर सकता है, जिससे पैरालाइसिस हो सकता है. इससे अलेक्जेंडर सांस लेने में बहुत कमजोर हो गए.

1955 में पूरे अमेरिका में पोलियो वैक्सीन को मंजूरी दी गई और व्यापक रूप से बच्चों को दी गई. 1979 में देश को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया, लेकिन उस समय तक अलेक्जेंडर के लिए बहुत देर हो चुकी थी.

उनके शरीर को घातक बीमारी से लड़ने में मदद करने के लिए एक आपातकालीन ट्रेकियोटॉमी की गई और उन्हें आयरन लंग्स में रखा गया. तब से वह जीवित रहने के लिए गर्दन से पैर तक की मशीन पर निर्भर है.

द गार्जियन की एक पुरानी रिपोर्ट में कहा गया है कि मशीन उन्हें हिलने-डुलने, खांसने या घरघराहट की अनुमति नहीं देती है. उसका देखने का क्षेत्र भी सीमित है.

उन्होंने द गार्जियन को बताया कि जब तक नई मशीनें विकसित हुईं, उन्हें अपने "पुराने आयरन लंग्स" की आदत हो गई थी.

इसमें "फ्रॉग श्वास" नामक एक तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो गले की मांसपेशियों का उपयोग करके एयर को वोकल कोड्स के पार ले जाती है, जिससे रोगी को एक बार में एक कौर ऑक्सीजन निगलने की अनुमति मिलती है, जो इसे गले के नीचे और फेफड़ों में धकेलती है.

स्कूल खत्म करने के बाद, अलेक्जेंडर ने कानून की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कई सालों तक लॉ की प्रैक्टिस की. उनका कहना है कि उनका कभी हार न मानने का जज्बा ही उन्हें यहां तक लेकर आया है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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