Afghanistan crisis: तालिबान (Taliban)के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से संगठन के कई नेता, कमांडोज, सशस्त्र मदरसा स्टूडेंट राजधानी काबुल में प्रवेश कर चुके हैं लेकिन इन सबके बीच यदि कोई नेता नजर नहीं आया है तो वह है सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा (Hibatullah Akhundzada). हालांकि अब तालिबान ने पुष्टि की है कि हिबतुल्लाह अखुंदजादा अफगानिस्तान में ही है और जल्द ही पहली बार लोगों के बीच नजर आएगा. तालिबान के प्रवक्ता जैबिहुल्लाह मुजाहिद (Taliban spokesman Zabihullah Mujahid) ने कहा, 'वह इस समय कांधार में है. वह शुरुआत से ही वहीं रह रहा है.' तालिबान के उप प्रवक्त बिलाल करीमी ने कहा, 'वह (हिबतुल्लाह अखुंदजादा) जल्द ही सार्वजनिक तौर पर दिखाई देगा.'
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हिबतुल्लाह अखुंदजादा को मई 2016 में तालिबान प्रमुख नियुक्त किया गया था. पूर्व नेता अख्तर मंसूर के अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे जाने के बाद यह नियुक्ति की गई थी. उस समय ग्रुप की ओर से शेयर किए गए एक वीडियो के अनुसार, मंसूर के दो प्रमुख डिप्टी में से एक हैबतुल्लाह को पाकिस्तान में हुई एक बैठक में प्रमोट किया गया था. 50 वर्षीय हैबतुल्लाह अखुंदजादा को एक सैनिक/लड़ाके के बजाय एक कानूनविद के रूप में बताया गया है और उसे संगठन में इस्लाम की चरम व्याख्याओं (extreme interpretations)का लागू करने का श्रेय दिया गया है. अखुंदजादा, तालिबान के प्रमुख सात नेताओं में से एक माना जाता है. अखुंदजादा के दिन-प्रतिदिन की भूमिका के बाद में फिलहाल ज्यादा जानकारी नहीं है. उसकी सार्वजनिक प्रोफाइल इस्लामिक हॉलीडेज/पर्वो पर वार्षिक सदस्यों को जारी करने तक ही सीमित मानी गई है.
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तालिबान की ओर से जारी की गई एक फोटोग्राफ को छोड़ दें तो यह नेता सार्वजनिक स्तर पर लोगों के बीच कम ही दिखा है और उनका ठिकाना अज्ञात ही रहा है. अगस्त माह के मध्य में राजधानी काबुल पर कब्जे के बाद से तालिबान ने भी अखुंदजादा की गतिविधियों के बारे में चुप्पी साध रखी है. तालिबान के प्रवक्ता जैबिहुल्लाह मुजाहिद ने अखुंदजादा के ठिकाने के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, 'आप उसे जल्द ही देखेंगे.' यह कमेंट ऐसे समय आया जब हाल के दिनों में विभिन्न तालिबानी नेताओं ने काबुल की मस्जिदों में सार्वजनिक तौर पर प्रवचन दिए हैं, विपक्ष के दिग्गज नेताओं से भेंट की है और अफगानिस्तान के क्रिकेट पदाधिकारियों से भेंट की है. तालिबान का अपने शीर्ष नेताओं को 'छाया' में रखने का इतिहास रहा है. तालिबान जब 1990 के दशक में सत्ता में था तब संगठन के प्रमुख नेता मुल्ला मोहम्मद उमर कभीकभार ही काबुल की यात्रा करते थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं