
स्वीडन (Sweden) ने फिनलैंड (Finland) की तरह नाटो सदस्यता (NATO membership) के लिए आवेदन किया है. इसे रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को तगड़ी चुनौती माना जा रहा है. स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन ने सोमवार को घोषणा की कि यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर स्वीडन भी फिनलैंड की तरह नाटो की सदस्यता के लिए अनुरोध करेगा. यह ऐतिहासिक बदलाव, इस नॉर्डिक देश में 200 से अधिक वर्षों के सैन्य गुटनिरपेक्षता के बाद आया है. हालांकि इससे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नाराजगी और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. पुतिन पहले ही यूक्रेन के सैन्य गठबंधन नाटो की ओर बढ़ने जैसे मुद्दों को लेकर युद्ध छेड़ चुके हैं. दोनों देशों के बीच करीब तीन महीने से सैन्य संघर्ष चल रहा है. रूसी सेनाओं ने राजधानी कीव के आसपास से तो सेना पीछे हटा ली है, लेकिन डोनबास रीजन में उसने सैन्य कार्रवाई तेज कर दी है. माना जा रहा है कि रूस यूक्रेन को पूरी तरह समुद्री सीमा से दूर करना चाहता है.
स्वीडन और फिनलैंड भी रूस के सीमावर्ती देश हैं और रूस की यूक्रेन पर कार्रवाई के बाद से इन पर दबाव बढ़ा है. फिनलैंड के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने पहले ही कह दिया है कि उनका देश उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने का समर्थन करता है. हालांकि इन दोनों देशों को नाटो की सदस्यता मिलने में एक बड़ा अड़ंगा तुर्की बन सकता है. तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगान ने कहा है कि वो इन देशों की नाटो सदस्यता के रुख का समर्थन नहीं करता. किसी नए देश को नाटो सदस्यता के लिए सभी मौजूदा सदस्य देशों का समर्थन चाहिए होता है. अगर तुर्की वीटो करता है तो यह मामला खटाई में पड़ सकता है.
पुतिन पहले ही कह चुके हैं कि नाटो का पूर्वी सीमा में विस्तार उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता के लिए चुनौती है और वो इसका पुरजोर तरीके से विरोध करेगा. रूस के यूक्रेन पर हमले से पहले जब अमेरिकी अगुवाई वाले नाटो गठबंधन से उसकी बातचीत चल रही थी तो उसने कड़ी शर्तें सामने रखी थीं. रूस ने तब यूक्रेन और अन्य पड़ोसी देशों को नाटो में शामिल होने से रोकने और यूरोप में सैनिकों और हथियारों के जमावड़े पर रोक की शर्तें लगाई थी. उसने अमेरिकी और रूसी युद्धपोतों को भी एक दूसरे पर हमले के दायरे से दूर रखने का प्रस्ताव भी दिया था. नाटो में अभी 30 सदस्य देश हैं और अमेरिका इन्हें किसी भी हमले या कार्रवाई पर सैन्य सुरक्षा की गारंटी देता है.
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