
29 जुलाई होता है अभिनेता संजय दत्त का जन्मदिन और इस मौके पर एनडीटीवी ने बात की निर्माता निर्देशक सुभाष घई से जिन्होंने उनके साथ विधाता और खलनायक, दो फिल्मों में काम किया है. सुभाष घई ने इस मौके पर अपनी फिल्म खलनायक का जिक्र करते हुए कुछ किस्से साझा किए, उन्होंने खलनायक की शूटिंग से पहले का जिक्र करते हुए कहा, “मुझे याद है, संजय दत्त के बारे में जब मैं खलनायक बना रहा था, तो मैंने उनके बारे में सोचा. उससे 10 साल पहले मैंने उनके साथ विधाता बनाई थी. लेकिन मेरा एक एक्सपीरियंस हमेशा मुझे याद रहता है, जो मैं अपने बच्चों को, स्कूली छात्रों और फिल्म स्टूडेंट्स को भी बताता हूं. और आज आपसे भी शेयर करता हूं.”
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सुभाष घई ने कहा, “जो स्टार यह समझते हैं कि फिल्म सिर्फ उनसे चलती है हां, फिल्म चल सकती है, लेकिन 30, 35 या 40 साल तक क्लासिक नहीं बनती. क्लासिक फिल्म बनने के लिए एक कहानी, एक कैरेक्टर, एक प्रोड्यूसर, एक्टर, म्यूजिक और राइटर कम से कम पांच लोगों की जरूरत होती है. सब लोग मिलकर फिल्म बनाते हैं. जब फिल्म रिलीज होती है और कैरेक्टर पसंद किया जाता है, तो लोग एक्टर को भी स्टार मान लेते हैं. लेकिन असल में बात यह होती है कि पूरी टीम का काम होता है. मुझे याद है जब मैंने संजय दत्त को खलनायक के लिए बुलाया, तो वह बहुत तत्पर था. क्योंकि तब तक वह फिल्मों में मेच्योर हो चुका था. सड़क और साजन जैसी फिल्में कर चुका था.”
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए डायरेक्टर बोले, “मैंने उससे कहा, “भैया, जो कैरेक्टर हमने लिखा है, उसके लिए मेहनती एक्टर चाहिए. हमारी तरफ से भी मेहनत होनी चाहिए और तुम्हारी तरफ से भी.” मैंने सुना है तुम मेहनती नहीं हो, केयरलेस हो.” उसने बोला, “साहब, आपने जो सुना है वो पुरानी बात है, मैं अब बदल गया हूं. और यह पिक्चर मुझे करनी है.” मैंने उसे कहानी सुनाई, वह बोला, “सर, आप जो कहिए, वो होगा.” उसने कैरेक्टर को पकड़ा और इतनी मेहनत की कि मैं खुद हैरान हो जाता था उसे देखकर.”
उन्होंने आगे कहा, “वही संजय दत्त जो विधाता में था, वही खलनायक में था. रात 2 बजे तक शूटिंग करता था, कहता था, “सीन खत्म करके ही जाऊंगा. मजा आ रहा है, यह सीन भी करते हैं.” फाइट सीन भी करता था, सब करता था. मैं कहूंगा कि खलनायक की जो कामयाबी है उसका श्रेय, वो संजय दत्त को जाता है. क्योंकि उसे पता था कि यह कैरेक्टर कॉम्प्लेक्स है अच्छे घर का बच्चा खलनायक बन जाता है, चिल्लाता है… “मैं खलनायक हूं” मतलब, नायक उसके अंदर छुपा हुआ है.”
सुभाष घई ने कहा, “डबल डायमेंशनल कैरेक्टर था बहुत सारी लेयर्स थीं उस किरदार में. वह किरदार किसी आम एक्टर या स्टार के लिए निभाना आसान नहीं था. खलनायक जो आज 30–35 साल से क्लासिक बना है, उसका सबसे बड़ा श्रेय मैं संजय दत्त और उसकी मेहनत को देता हूं. उसका जो सरेंडर था डायरेक्टर के प्रति यानी मेरे प्रति वह कमाल का था. मैंने कहा, “पांच रुपये में काम करना है.” उसने कहा, “ठीक है.” मैंने कहा, “मुझे डेट की प्रेफरेंस चाहिए.” उसने वो भी दी. सिर्फ एक आइडिया सुनकर मान गया, पूरी स्क्रिप्ट भी नहीं दी थी. 5–10 मिनट की कहानी सुनी और खुद को समर्पित कर दिया. आज वह कैरेक्टर आइकॉनिक बन गया है. तो यह क्रेडिट जाता है एक ऐसे एक्टर को जो पहले लापरवाह समझा जाता था, लेकिन सीरियस एक्टर बन गया और फिल्म की जान बन गया. यह हमारी फिल्म थी और इससे आने वाले एक्टर्स, बच्चों को सीख लेनी चाहिए जो आजकल आंकड़ों और एंडोर्समेंट पर ज्यादा ध्यान देते हैं, क्योंकि कमाई बहुत होती है.”
जब एनडीटीवी ने उनसे पूछा की आपने जो संजय दत्त के समर्पण की बात की क्या उससे जुड़ा कोई किस्सा फिल्म खलनायक से उन्हें याद है? हां, मैं बताता हूं जब प्राइस की बात चली, उस वक्त वह तीन गुना ज्यादा फीस ले रहा था. मैंने कहा, “मैंने माधुरी को इतना दिया है, जैकी को इतना और आपको भी उतना ही दूंगा. तीनों को इक्वल प्राइस दूंगा ताकि किसी को कॉम्प्लेक्स न हो.” वो बोला, “सर, मुझे भी उतना ही दीजिए, लेकिन पिताजी को मत बताइए. नाराज हो जाएंगे. मुश्किल से सुपरस्टार बना हूं, अब पैसे क्यों नहीं मांग रहा!” मैं बोला, “डोंट वरी, पिताजी को मैं समझा दूंगा जब वो फिल्म देखेंगे तो खुद कहेंगे कि ठीक किया.” बाद में जब मैंने यह बात सबसे शेयर की तो सब बहुत हंसे.” खलनायक हिंदी सिनेमा की एक कल्ट क्लासिक फिल्म है जिसके सिर्फ गाने ही नहीं बल्कि फिल्म भी बड़ी कामयाब थी, ये फिल्म 1993 में रिलीज हुई थी और इसमें संजय दत्त के साथ माधुरी दीक्षित और जैकी श्रॉफ थे .
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