नेपाल सरकार ने मीडिया में आई इन खबरों को रविवार को खारिज कर दिया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से नेपाली नेताओं को संविधान रचना के लिए आम सहमति बनाने की सलाह देना देश के मामलों में हस्तक्षेप है।
नेपाल के विदेश मंत्री महेंद्र बहादुर पांडेय ने कहा, 'यह भारत की मित्रवत सलाह थी। हमें इसे हस्तक्षेप के रूप में नहीं लेना चाहिए।' पांडेय ने साफ किया, 'सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति से संविधान की समय पर रचना करने का प्रयास तो हम भी कर ही रहे हैं और मैं इसे हमारे मामलों में दखलअंदाजी के रूप में नहीं देखता।'
नेपाल में विरोधी राजनीतिक दलों को संविधान निर्माण प्रक्रिया में सहमति बनाने की मोदी की सलाह की आलोचना करते हुए नेपाली मीडिया ने इसे 'राजनयिक कायदों का उल्लंघन' करार दिया था।
नेपाल के कुछ अखबारों में इस तरह की आलोचना सामने आई थी।
मोदी ने दक्षेस के शिखर सम्मेलन के लिए अपनी हालिया नेपाल यात्रा में वहां के राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान उनसे अनुरोध किया था कि संविधान रचना के लिए आम सहमति बनाई जाए और प्रक्रिया में विलंब नहीं करते हुए 22 जनवरी की समयसीमा में इसे पूरा किया जाएा।
पांडेय ने एक दूसरे सवाल पर कहा कि जनकपुर की मोदी की यात्रा को निरस्त करना उनकी नेपाल यात्रा को लेकर यहां के राजनीतिक दलों के बीच मतभेदों का नतीजा नहीं था बल्कि भारतीय प्रधानमंत्री के व्यस्त कार्यक्रम के चलते ऐसा हुआ।
उन्होंने कहा, 'मोदी जनकपुर और लुंबिनी समेत नेपाल के धार्मिक स्थलों की यात्रा करना चाह रहे थे और वह वापस आएंगे तथा यथासंभव जल्दी इन स्थलों का भ्रमण करेंगे।'
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