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This Article is From May 30, 2015

जापान में 7.8 तीव्रता का भूकंप, दिल्ली-NCR में भी महसूस किए गए झटके

जापान में 7.8 तीव्रता का भूकंप, दिल्ली-NCR में भी महसूस किए गए झटके
जापान में भूकंप से सहमे लोग
नई दिल्ली: जापान में राजधानी टोक्यो और आसपास के इलाकों में शनिवार शाम काफी शक्तिशाली भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस भूकंप के चलते करीब एक मिनट तक कई इमारतें हिलती दिखीं और कई गाड़ियों के अलार्म तक बज उठे।

हालांकि, अभी तक जानमाल के किसी नुकसान की खबर नहीं है। वहीं जापान प्रशासन ने भी तत्काल सुनामी की चेतावनी जारी नहीं की है।

जापान के साथ-साथ भारत की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में भी भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। इसके अलावा अमेरिका के कैलिफॉर्निया और न्यूजीलैंड में भी 5.5 तीव्रता के झटके आए।

अमेरिकी जिऑलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) के मुताबिक भूकंप की तीव्रता 7.8 थी और इसका केंद्र टोक्यो से 874 किलोमीटर दूर प्रशांत महासागर में था। यह भूकंप सागर में 696 किलोमीटर गहराई से पैदा हुआ।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार जापान में आए भूकंप का झटका दिल्ली में भी महसूस किया गया। दिल्ली और आसपास के इलाकों में भूकंप के इन झटकों से अफरा-तफरी मच गई और लोग अपने घरों से बाहर निकल गए। हालांकि यहां जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।

वहीं जापान में आए भूकंप के केंद्र के करीब बसे इलाकों में से एक चिचिजिमा में पारंपरिक गेस्ट हाउस चलाने वाले योशियुकी सासामोतो ने बताया कि मकान काफी जोरदार तरीके से हिले। उन्होंने बताया, 'शुरुआत में हल्का भूकंप आया और यह रुक गया। उसके बाद शक्तिशाली भूकंप आया। यह इतना अधिक भीषण था कि मैं सीधे खड़ा नहीं रह सका और चल भी नहीं सका।'

टोक्यो के प्रमुख नरीता हवाई अड्डे के दोनों रनवे अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं और जांच पड़ताल की जा रही है। टोक्यो में ट्रेनों को भी अस्थायी रूप से रोक दिया गया है और शहर में एक फुटबॉल मैच भी कुछ समय के लिए टाल दिया गया है।

क्षेत्र के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में से किसी में भी किसी तरह की गड़बड़ी की कोई खबर नहीं है। जापान में मार्च 2011 में समुद्र के नीचे आए भीषण भूकंप से देश के उत्तर पूर्वी तट पर सुनामी आ गई थी, जिसने हजारों लोगों की जान लेने के साथ ही शहरों को तबाह कर दिया था और सूनामी की लहरों ने फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र के कूलिंग सिस्टम को भी प्रभावित किया था, जिससे तीन रिएक्टर ठप पड़ गए थे।

चेर्नोबिल के बाद दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु त्रासदी माने जाने वाली इस घटना में लाखों लोग विस्थापित हुए थे और बड़ा भूभाग कई दशकों के लिए बंजर हो गया था।

जापान चार टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन स्थल पर टिका है और हर साल दुनिया के सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से करीब 20 फीसदी भूकंप जापान में आते हैं।

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