श्रीलंका (Sri Lanka) की राजधानी में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) को हटाने की मांग पर शुक्रवार को रैली का आयोजन किया जा रहा है. रैली से पहले भारी हथियारों से लैस सैनिकों को तैनात किया गया. यह देश अभूतपूर्व वित्तीय संकट से जूझ रहा है. देश के 2.2 करोड़ लोगों ने वर्ष की शुरुआत के बाद से ही बढ़ती महंगाई, लंबे समय तक ब्लैकआउट के साथ ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी को सहन किया है. आर्थिक कुप्रबंधन के लिए प्रदर्शनकारी राजपक्षे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग को लेकर महीनों से कोलंबो कार्यालय के बाहर डेरा डाले हुए हैं.
असॉल्ट राइफलों से लैस सैनिकों को राजपक्षे के आधिकारिक आवास की रखवाली करने वाली पुलिस को मजबूत करने के लिए कोलंबो भेजा गया. एक शीर्ष रक्षा अधिकारी ने एएफपी को बताया, "आज दोपहर करीब 20,000 सैनिकों, पुलिसकर्मियों और महिलाओं को शामिल करते हुए एक अभियान शुरू किया गया. हम उम्मीद कर रहे हैं कि कल का विरोध हिंसक नहीं होगा." उन्होंने कहा कि कम से कम तीन न्यायाधीशों द्वारा शनिवार के विरोध प्रदर्शन को रोकने से इनकार करने के बाद प्रांतों से और सैनिकों को राजधानी में लाया गया है.
संयुक्त राष्ट्र ने श्रीलंकाई अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों दोनों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि शनिवार का प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने कहा, ‘हम श्रीलंकाई अधिकारियों से विधानसभा की पुलिसिंग में संयम दिखाने और हिंसा को रोकने के लिए हर आवश्यक प्रयास सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं.‘
राजपक्षे के वफादारों द्वारा मई में राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के बाद देश भर में हुई झड़पों में नौ लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए थे.
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