श्रीलंका में भारी बारिश के कारण हुए भीषण भूस्खलन में करीब 200 लोगों के दफन होने की आशंका है। इस भूस्खलन में अधिकतर भारतीय मूल के बागान कामगारों के घर नष्ट हो गए हैं। इस आपदा से निपटने के लिए सेना के साथ ही भारी मशीनों को बचाव कार्य में लगाया गया है।
बुधवार को हुए इस भूस्खलन के कारण मध्य बादुला जिले के मीरियाबेद्दा चाय बागान में 120 कामगारों के घर नष्ट हो गए।
आपदा प्रबंधन केंद्र के सहायक निदेशक प्रदीप कोडिपिल्ली ने ताजा सूचना के हवाले से बताया कि मीरियाबेद्दा चाय बागान में भूस्खलन के बाद 192 लोग लापता बताए जा रहे हैं और बचाव कार्य जारी है।
उन्होंने बताया कि इस आपदा के कारण विस्थापित हुए 817 लोगों को अमपिटीकांडा और कोसलांदा में दो शिविरों में रखा गया है।
शीर्ष अधिकारियों के अनुसार, मलबे में दबे लोगों में से किसी के जिंदा होने की उम्मीद बहुत कम है, लेकिन सेना और पुलिसकर्मी राष्ट्रीय भवन शोध संगठन (एनबीआरओ) की पांच टीमों के साथ राहत अभियानों में जुटे हुए हैं।
श्रीलंकाई सेना ने मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए सुरक्षा बल मुख्यालय से 500 से अधिक टुकड़ियों को तैनात किया है।
इस बीच, बागान मंत्री महिंदा समरसिंघे ने कहा कि वर्ष 2011 में जारी भूस्खलन चेतावनी की मीरियाबेद्दा चाय बागान ने अनदेखी की। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में जांच की जानी चाहिए कि चाय बागान मालिकों ने चेतावनी की अनदेखी क्यों की, जिसके कारण अब इतने लोग मारे गए।
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