Sri Lanka Crisis: श्रीलंका का आर्थिक संकट गहराया
नई दिल्ली:
Sri Lanka Economic Crisis: श्रीलंका में खाने पीने के साथ जरूरी चीजों की कमी हो जाने पर आगजनी, हिंसा, प्रदर्शन, सरकारी संपत्तियों में तोड़ फोड़ की गई. लंबे पावर कट, और ईंधन की कमी ने लोगों की दिक्कतें और बढ़ा दी. देश में बिगड़ते हालात देख राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने आपातकाल लागू कर दिया है.
श्रीलंका के आर्थिक सकंट से जुड़ी बड़ी बातें
- श्रीलंका में विरोध प्रदर्शनों पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू लगाया गया है. इस दौरान आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य कामों से लोग बाहर नहीं निकल पाएंगे. 2.2 करोड़ की आबादी वाला श्रीलंका आजादी के बाद से सबसे बुरी त्रासदी झेल रहा है. विदेशी मुद्रा की कमी के कारण वो आवश्यक वस्तुओं का आयात नहीं कर पा रहा है.
- श्रीलंका में आपातकाल 1 अप्रैल से लागू किया गया है. श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि देश में कानून व्यवस्था कायम रखने, आवश्यक चीजों की सप्लाई को जारी रखने के लिए ये फैसला लिया गया. श्रीलंका का आर्थिक संकट अब लोगों के जी का जंजाल बन चुका है. यही वजह है कि देशभर में आगजनी, हिंसा, प्रदर्शन, सरकारी संपत्तियों में तोड़ फोड़ चल रही है. लंबे पावर कट, खाने-पीने की चीजों समेत श्रीलंका कई दिक्कतों से जूझ रहा है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने आपातकाल लागू कर दिया है.
- पड़ोसी देश श्रीलंका इस समय अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. इस बीच, भारत की तरफ से 40,000 टन डीजल की खेप श्रीलंका के तटों तक पहुंच चुकी है. भारत ने डीजल की ये खेप क्रेडिट लाइन के तहत दी है. पुलिस ने 50 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया और कोलंबो और उसके आसपास के इलाकों में शुक्रवार को कर्फ्यू लगा दिया, ताकि छिटपुट विरोध प्रदर्शनों को रोका जा सके.
- श्रीलंका में सरकारी बसों और वाहनों के लिए तो डीजल उपलब्ध है, लेकिन परिवहन में दो तिहाई से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले निजी बस ऑपरेटरों का कहना है कि उनके पास ईंधन नहीं है कि वो बसों का संचालन कर पाएं. श्रीलंका की आम लोगों को लगता है कि देश की आर्थिक बदहाली के लिए मौजूदा सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार है, इसलिए कोलंबो में हिंसा का दौर जारी है. सरकार के नीतियों के खिलाफ लोगों ने गाड़ियों में आगजनी की.
- श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने एक गजट जारी करते हुए एक अप्रैल से इमरजेंसी लागू करने का ऐलान कर दिया है. देश की अर्थव्यवस्था बिल्कुल चरमरा चुकी है. राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपनी सरकार के कार्यों का बचाव करते हुए कहा कि विदेशी मुद्रा संकट उनकी देन नहीं है. आर्थिक मंदी काफी हद तक महामारी से प्रेरित थी. जिससे श्रीलंका का टूरिज्म भी चौपट हो गया.
- श्रीलंका में रोजाना 10 घंटे बिजली कटौती हो रही है. श्रीलंका रुपया डॉलर के मुकाबले गिरकर 90 तक पहुंच गया है. कोरोना के दो साल में पर्यटन सेक्टर पर बुरी मार पड़ने के बाद से अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है. पेट्रोल-डीजल, गैस के साथ खाद्य वस्तुओं की भी कमी भी देखी जा रही है.
- कोलंबो में जनता सड़कों पर उतर आई है और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रही है. लोगों के पास खाने-पीने की चीजों की भी भारी कमी हो गई हैं. वहीं खाने-पीने की कीमतें भी आसमान छू रही है.
- श्रीलंका में जारी आर्थिक संकट के बीच विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन जैसी आवश्यक चीजों की कमी हो गई है. रसोई गैस की भी कमी हो गई है. सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा कि सरकार के कुप्रबंधन के कारण विदेशी मुद्रा संकट और गंभीर हो गया है.
- जरूरी चीजों की भारी किल्लत से जूझ रही श्रीलंका की जनता शुक्रवार रात को कोलंबो में सड़कों पर उतर आई थी. 5000 से ज्यादा लोगों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के घर की ओर रैली निकाली. इस दौरान भीड़ की पुलिस से झड़प हुई है जिसके बाद कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के संघर्ष में 10 लोगों की मौत हो गई. घायलों में कई पत्रकार भी घायल हुए हैं.
- भारत ने श्रीलंका के लिए एक अरब डॉलर का सस्ता कर्ज जारी किया है और उसके तहत आवश्यक खाद्य वस्तुओं के 1500 कंटेनर रिलीज भी हो चुके हैं, लेकिन कई शिप ऑपरेटर भारतीय मुद्रा में भुगतान लेने के लिए तैयार नहीं है. कुछ शिप ऑपरेटर अमेरिकी डॉलर में भुगतान मांग रहे हैं. भारतीय दूतावास से भी कुछ औपचारिकताएं पूरी होनी बाकी हैं.