नई दिल्ली/इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी रविवार को एक निजी दौरे पर सूफी संत ख्वाजा मोहनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर सजदा के लिए अजमेर शरीफ पहुंचने वाले हैं। उनकी यात्रा हालांकि पूरी तरह निजी व धार्मिक है, लेकिन इससे भारत-पाकिस्तान सम्बंधों को बेहतर बनाने के लिए हो रही कोशिशों में तेजी आने की सम्भावना है।
इस्लामाबाद से अजमेर जाने के रास्ते जरदारी रविवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ उनके आधिकारिक आवास पर दोपहर का भोजन करेंगे।
पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव शहरयार एम. खान ने उम्मीद जताई कि इस यात्रा से दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की ओर से आपसी सम्बंधों में बेहतरी के लिए दिए गए बयानों एवं भाषणों को लागू करने में तेजी आएगी।
खान ने इस्लामाबाद से फोन पर कहा, "वीजा नियमों को आसान बनाने के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर आपसी सहयोग को आसान बनाने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।"
खान ने इसे आपसी सम्बंधों में आगे बढ़ने की दिशा में एक अच्छा अवसर बताया। उन्होंने कहा कि आपसी सम्बंधों में ठोस कदम कूटनीतिक व सार्वजनिक दोनों स्तरों पर उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, "आम लोगों के लिए वीजा नियम आसान बनाने और विभिन्न स्तरों पर आपसी मेलजोल बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। दोनों ओर से कूटनीतिक स्तर पर विश्वास बहाली के उपाय भी होने चाहिए।"
कश्मीर को बेहद अहम मसला बताते हुए उन्होंने कहा, "इसे पूर्णता के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।"
खान ने यह भी कहा कि दोनों देशों की सेना के बीच बैठक होनी चाहिए और यह बाघा बॉर्डर पर हो सकती है।
पाकिस्तान स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रिजनल स्टडीज के अध्यक्ष अशरफ आजिम ने कहा कि जरदारी की यात्रा का उद्देश्य हालांकि पूरी तरह धार्मिक है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है। इससे द्विपक्षीय सम्बंधों को आसान बनाने में मदद मिलेगी।
वहीं, नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसि के अशोक बेहुरिया ने कहा कि यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण है। आगे बढ़ने के लिए आपस में सम्पर्क स्थापित करना महत्वपूर्ण है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय सम्बंध की प्रोफेसर सविता पांडे ने कहा कि जरदारी की इस यात्रा को इस साल फरवरी में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा की चार दिवसीय पाकिस्तान यात्रा से जोड़कर देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "दो देशों के बीच वार्ता कभी खराब नहीं होती।"
इस्लामाबाद से अजमेर जाने के रास्ते जरदारी रविवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ उनके आधिकारिक आवास पर दोपहर का भोजन करेंगे।
पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव शहरयार एम. खान ने उम्मीद जताई कि इस यात्रा से दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की ओर से आपसी सम्बंधों में बेहतरी के लिए दिए गए बयानों एवं भाषणों को लागू करने में तेजी आएगी।
खान ने इस्लामाबाद से फोन पर कहा, "वीजा नियमों को आसान बनाने के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर आपसी सहयोग को आसान बनाने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।"
खान ने इसे आपसी सम्बंधों में आगे बढ़ने की दिशा में एक अच्छा अवसर बताया। उन्होंने कहा कि आपसी सम्बंधों में ठोस कदम कूटनीतिक व सार्वजनिक दोनों स्तरों पर उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, "आम लोगों के लिए वीजा नियम आसान बनाने और विभिन्न स्तरों पर आपसी मेलजोल बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। दोनों ओर से कूटनीतिक स्तर पर विश्वास बहाली के उपाय भी होने चाहिए।"
कश्मीर को बेहद अहम मसला बताते हुए उन्होंने कहा, "इसे पूर्णता के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए।"
खान ने यह भी कहा कि दोनों देशों की सेना के बीच बैठक होनी चाहिए और यह बाघा बॉर्डर पर हो सकती है।
पाकिस्तान स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रिजनल स्टडीज के अध्यक्ष अशरफ आजिम ने कहा कि जरदारी की यात्रा का उद्देश्य हालांकि पूरी तरह धार्मिक है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है। इससे द्विपक्षीय सम्बंधों को आसान बनाने में मदद मिलेगी।
वहीं, नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसि के अशोक बेहुरिया ने कहा कि यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण है। आगे बढ़ने के लिए आपस में सम्पर्क स्थापित करना महत्वपूर्ण है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय सम्बंध की प्रोफेसर सविता पांडे ने कहा कि जरदारी की इस यात्रा को इस साल फरवरी में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा की चार दिवसीय पाकिस्तान यात्रा से जोड़कर देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "दो देशों के बीच वार्ता कभी खराब नहीं होती।"
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