लाहौर:
भारतीय कैदी सरबजीत सिंह के वकील ओवैस शेख और उनके बेटे का आज अज्ञात लोगों ने भारत की सीमा के समीप स्थित इलाके से अपहरण करने के कुछ देर बाद रिहा कर दिया।
शेख और उनके पुत्र शाहरुख फार्महाउस के लिए जमीन खरीदने के मकसद से आज सुबह बुरकी हुदायरा इलाके के एक गांव में गए थे ।
शेख के दूसरे बेटे हारून ने बताया कि मोटरसाइकिल पर सवार और पुलिस की वर्दी पहने दो लोगों ने उन्हें रोका। वकील और उनके बेटे को पकड़ कर पिकअप ट्रक में बैठाया और उन्हें अज्ञात स्थान की ओर ले गए। हारून ने पुलिस को यह जानकारी दी थी।
करीब डेढ़ घंटे बाद शेख तथा उनके बेटे को अपहर्ताओं ने एक राजमार्ग पर छोड़ दिया। शेख ने मीडिया को बताया कि अपहर्ताओं ने उन्हें कार से बाहर फेंकने से पूर्व उनकी तथा उनके बेटे की पिटाई की। इन दोनों ने स्थानीय लोगों से मदद मांगी जिन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी। किसी ने अभी इस अपहरण मामले की जिम्मेदारी नहीं ली है ।
शेख भारतीय कैदी सरबजीत सिंह के वकील थे। यहां कोट लखपत जेल में साथी कैदियों के हमले में बुरी तरह घायल होने के बाद करीब एक सप्ताह तक कोमा में रहने के बाद दो मई को सरबजीत की मौत हो गई थी।
शेख ने हाल ही में कहा था कि उन्हें सरबजीत की पैरवी करने के लिए धमकियां मिल रही थीं, जिन्हें पाकिस्तान के पंजाब में 1990 में बम हमलों के मामले में कथित संलिप्तता को लेकर मौत की सजा सुनाई गई थी।
शेख और उनके पुत्र शाहरुख फार्महाउस के लिए जमीन खरीदने के मकसद से आज सुबह बुरकी हुदायरा इलाके के एक गांव में गए थे ।
शेख के दूसरे बेटे हारून ने बताया कि मोटरसाइकिल पर सवार और पुलिस की वर्दी पहने दो लोगों ने उन्हें रोका। वकील और उनके बेटे को पकड़ कर पिकअप ट्रक में बैठाया और उन्हें अज्ञात स्थान की ओर ले गए। हारून ने पुलिस को यह जानकारी दी थी।
करीब डेढ़ घंटे बाद शेख तथा उनके बेटे को अपहर्ताओं ने एक राजमार्ग पर छोड़ दिया। शेख ने मीडिया को बताया कि अपहर्ताओं ने उन्हें कार से बाहर फेंकने से पूर्व उनकी तथा उनके बेटे की पिटाई की। इन दोनों ने स्थानीय लोगों से मदद मांगी जिन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी। किसी ने अभी इस अपहरण मामले की जिम्मेदारी नहीं ली है ।
शेख भारतीय कैदी सरबजीत सिंह के वकील थे। यहां कोट लखपत जेल में साथी कैदियों के हमले में बुरी तरह घायल होने के बाद करीब एक सप्ताह तक कोमा में रहने के बाद दो मई को सरबजीत की मौत हो गई थी।
शेख ने हाल ही में कहा था कि उन्हें सरबजीत की पैरवी करने के लिए धमकियां मिल रही थीं, जिन्हें पाकिस्तान के पंजाब में 1990 में बम हमलों के मामले में कथित संलिप्तता को लेकर मौत की सजा सुनाई गई थी।
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