Blog: यूक्रेन के नरक बन चुके एक कस्बे में जहां छोटे बच्चों के स्कूल में बिछाईं गईं लैंडमाइन

Ukraine War: रूसी सैनिकों की अति की दास्तां कई लोगों ने बयां कीं. एक व्यक्ति ने मुझे बताया कि एक कार जिस पर साफ तौर से "बच्चे" लिखा हुआ था, उसे रूसी सैनिकों ने निशाना बनाया, उसे पता नहीं कि उसके भीतर कितने बच्चे मारे गए."

Blog: यूक्रेन के नरक बन चुके एक कस्बे में जहां छोटे बच्चों के स्कूल में बिछाईं गईं लैंडमाइन

Russia Ukraine War: यू्क्रेन के कई शहर रूसी हमले में तबाह हो चुके हैं

यूक्रेन (Ukraine) में राजधानी कीव (Kyiv) के उत्तर में स्थित कस्बे बोरोदयांका (Borodyanka) के पूरे अपार्टमेंट ब्लॉक में केवल एक टैडी बियर (stuffed bear) बचा था जिसके पैर के पास एक बिल्ली का बच्चा मरा हुआ था. उसके पास ही एक टूटा हुआ फोन और एक छोटा छाता पड़ा था. यह एक बच्चे का कमरा हुआ करता था. जिसमें खिलौने फैले हुए थे. आसपास मलबा पड़ा था. जिसे हटाने का काम शुरू हो चुका था. बोरदयांका, जो मध्यमवर्गीय यूक्रेन निवासियों के रहने की जगह थी, वो अब नरक में बदल चुकी है.

इस कस्बे ने युद्ध का सबसे बुरा दौर देखा. यहां अंतरराष्ट्रीय क्रिमिनल कोर्ट रूसी सैनिकों के खिलाफ मानवाधिकार हनन की जांच कर रही है. आरोप है कि रूसी सैनिकों ने लौटते हुए यहां युद्ध अपराध किए.  

इस कस्बे के सेंट्रल स्क्वायर पर मैं एक बूढी महिला से मिला जो इस कस्बे पर हुए हमले में बच गईं. मैंने जब उनके पास जाकर "हैलो" कहा तो वो भी मुस्कुराईं, लेकिन जैसे ही मैंने पूछा कि, "क्या यह सच है कि यहां महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार हुआ और उन्हें मारा गया", उनकी मुस्कान आंसुओं में बदल गई.  उन्होंने मुझे बताया कि जब रूसी सेना का यहां कब्जा था तब वो खाने की तलाश में बाहर निकली थीं, वहां टैंक खड़े थे. उसके पास उन्होंने एक युवा महिला को देखा और उससे सुरक्षित जगह पर जाने को कहा. उस युवा महिला ने जवाब दिया, मुझे उनके टैंकों से डर नहीं लगता, जो रूसी सैनिकों ने मेरे साथ किया उसके बाद मैं टैंकों से नहीं डरती."

बच्चों की मौत 

रूसी सैनिकों की अति की दास्तां लोगों ने बयां कीं. एक दूसरे व्यक्ति ने मुझसे कहा कि एक कार जिसपर साफ तौर से "बच्चे" लिखा हुआ था, उसे रूसी सैनिकों ने निशाना बनाया, उसे पता नहीं कि उसके भीतर कितने बच्चे मारे गए."

बोरदयांका के केंद्रीय चौक से दूसरी तरफ एक बड़े प्लॉट पर एक बच्चों का स्कूल है. किसी को वहां खेल का मैदान दिख सकता है, रंगबिरंगी बाड़ लगी हुई है जिसपर बच्चों ने पेंटिंग बनाई है. ....साथ ही यहां बंकर बने हैं, लैंड माइन हैं और बॉबी ट्रैप्स हैं.  

यह इस शहर में रूसी सेना का मुख्य ठिकाना रहा था. जब मैं बोरदयांका में उस बच्चों के स्कूल में पहुंचा, तो वहां से अधिकतर लैंड-माइन हटा दी गईं थीं, लेकिन हमें चेतावनी दी गई थी कि यह अभी भी बहुत खतरनाक है. यूक्रेनी सैनिकों ने साफ चेतावनी लिखी थी कि स्कूल के चारों तरफ रूसी सैनिकों की तरफ से खोदे गए बंकरों में जाने की कोशिश ना करें. जब रूसी सैनिक वापस गए तब वो स्कूल के चारों तरफ जाल बिछा गए.  जहां ग्रेनेड के तार ढ़ीली मिट्टी में दबाए गए. इसका मकसद साफ था कि यूक्रेनी सैनिकों को इन इलाकों को वापस अपने कब्जे में लेने में समय लगे और जितना हो सके, उतने लोगों को मार सकें.  

यूक्रेनी नगर-निगम अधिकारी तबाह हुई इमारतों का मलबा उठाने में दिन-रात लगे हैं.  मैं एक इमारत के नजदीक पहुंचा जो सही सलामत खड़ी थी, उस पर स्प्रे-पेंटिंग से खोपड़ियां बनाई गईं थीं. मुझे बताया गया कि यह रूसी स्नाइपर्स की जगह थी क्योंकि यहां से आस-पास की जगह साफ दिखती थी. यहां काम कर रही एक महिला ने बताया कि रूसी सैनिक अपनी लूट सामान यहां रखते थे, जब वो सारा सामान साथ नहीं ले जा पाए तो उन्होंने इस जगह को जलाने की कोशिश की. यह इमारत बोरोदयांका का प्रशासनिक मुख्यालय हुआ करती थी. यहां कौन रहा , कब रहा इस सबकी जानकारी इस जगह पर थी, और रूसी सेना ने इसे जलाने की कोशिश की.  

बंदूकों से निशाना 

बिल्डिंग में स्नाइपर्स की पोजीशन के नीचे पेंसिल से स्कैच बना हुआ था जिससे बंदूकधारियों को निशाने उड़ाने में मदद मिले. यह बेहद व्यंगात्मक था कि पास ही दीवार पर एक संदेश लिखा हुआ था, "दुनिया के लिए शांति."

इसके बाद हम कीव की ओर बढ़े जहां रूसी सेना ने तेज हमला किया था, साथ ही यूक्रेनी सेना की तरफ नाटो से मिले हथियारों के साथ हुए हमलों का सामना भी कर रहे थे. अफरातफरी में उनके सामने जो आया, स्कूल, अपार्टमेंट, स्टोर, सबकुछ उन्होंने ध्वस्त कर दिया.   

हमने चेरनिही के बाहरी इलाकों, इरपिन, माकारीव, बूचा और बोरोदयांका में हर तरफ तबाही का मंजर देखा.  

चेर्नीहीव, जो कि एक एतिहासिक जगह थी, वह बेलारूस के बॉर्डर दक्षिण में केवल 30 किलोमीटर दूर है, जहां से रूसी सैनिकों ने हमला किया था. हम उस कब्रिस्तान के नजदीक पहुंचे जिसे बढ़ाया गया था.  

यहां कम से कम एक हजार नई कब्रें थीं. हर कब्र पर क्रॉस के नीचे मरने वाले की मौत का दिन लिखा था. लगभग वहां हर कोई इस साल मार्च में मारा गया. ध्वस्त हुई इमरातों में से अब भी मृतकों के अवशेष लाकर यहां दफनाया जा रहा है. 

कब्र खोदने वाले विक्टर ने बताया कि अकेली कब्र में जो भी हैं, उनकी पहचान हो गई थी, यहां पास ही में सामूहिक कब्र भी है. इसमें उन लोगों को दफनाया गया जिनकी पहचान नहीं हो पाई. 

उसने कहा, शव आते रहे, रूसी हवाईजहाज आसमान से बम बरसा रहे थे. मैं बस कब्र खोदता रहा."

यूक्रेन पर हमले के दूसरे दिन, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पत्रकारों से कहा था, " यूक्रेन के लोगों पर कोई हमला नहीं करने जा रहा है. रिहायशी इलाकों पर कोई हमले नहीं होंगे."

कई हफ्तों तक कोशिश करने के बाद मैं आखिरकार युद्धग्रसित देश में जाने में कामयाब हो पाया. हम पूर्वी पोलैंड की सीमा पार करने पर सहमति बना पाए. हमें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बहुत से इंस्पेक्टर, कई सवाल, यह उत्सुकता कि कोई यूक्रेन में प्रवेश क्यों करना चाहेगा. लेकिन यह हम काफी समय से करना चाह रहे थे. मैं उस एयर इंडिया के विमान में था, जिसे कीव से रास्ते से वापस दिल्ली लौटना पड़ा था क्योंकि रूसी बमबारी के कारण यूक्रेनी राजधानी का एयरस्पेस बंद कर दिया गया था. तभी से हालात तेजी से बिगड़े और उद्देश्य यह था कि यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से में पोलैंड से घुसा जाए.  पोलैंड से यूक्रेन में हम एक जर्मन NGO के ट्रक के पीछे बैठ कर घुस पाए. उसे कम से कम 6 बार रोका गया. और कई बार पोलैंड और यूक्रेनी तरफ से इंस्पेक्टर्स से सवालों का सामना करना पड़ा.   

पश्चमी यूक्रेन में लवीव से रिपोर्टिंग 

कई बार ऐसा लगा कि यह नहीं हो पाएगा. और पोलैंड और यूक्रेन की नो मैन्स लैंड में युद्ध के दौरान की अनिश्चितता में फंस जाना बेहद संभव था.  

यूक्रेन में घुसने के बाद मैंने देखा कि कई दर्जन वाहन पार्क हैं जो दूसरी तरफ से पोलैंड में घुसना चाह रहे हैं. हर वाहन लोगों से लदा था. वाहनों से कहीं अधिक पैदल थे. लाइन लगाए जो पोलैंड में घुसना चाह रहे थे.  

 मैंने वहां कोई भारतीय छात्र नहीं देखा, शायद भारतीय नागरिक और छात्र बहुत पहले इस मुकाम से जा चुके थे और यू्क्रेन की सीमा से इस तरफ हालात तनावपूर्ण थे. 

यह भी देखें :- खंडहर बना मिकोलाइव शहर 

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