गूगल ने चार्ल्स मैकिनटोस के 250वें जन्मदिन पर बनाया डूडल
अगर बारिश हो रही है तो घर या दफ्तर से बाहर निकलते वक्त आपको सबसे ज्यादा रेनकोट की जरूरत होती है. इसी जरूरत को महसूस करते हुए सबसे पहले स्कॉटलैंड के एक वैज्ञानिक ने बारिश से बचाव के लिए एक रेनकोट बनाया था. आज उसी वैज्ञानिक चार्ल्स मैकिनटोस का 250वां जन्मदिन है.
अपने आविष्कार के जरिये दुनिया को यह खूबसूरत तोहफा देने वाले चार्ल्स को याद करते हुए गूगल ने डूडल की शक्ल में उनका एक इलस्ट्रेशन लगाया है. इस इलेस्ट्रेशन में चार्ल्स को रेनकोट पहने दिखाया गया है और बारिश के बूंदें उनके ऊपर गिर रही हैं.
स्कॉटलैंड के केमिस्ट चार्ल्स मैसिनटोस ने बारिश से बचने वाली वाटरप्रूफ सामग्री बनाई थी, जिसके चलते आधुनिक रेनकोट बनाया गया. बाद में मैकिनटोस रेनकोट को उन्हीं के नाम से जाना गया. मैकिनटोस का जन्म 1766 में ग्लासगो में हुआ था. उन्होंने क्लर्क के रूप में अपने करियर की शुरुआत की.
विज्ञान में गहन रुचि के कारण वह खाली समय में विशेष रूप से कैमिस्ट्री में प्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करते थे. उसी का नतीजा था कि उनको अहसास हुआ कि तार के बाई प्रोडक्ट नेफ्था का इंडियन रबर में आसानी से विलय हो सकता है. इसी मिश्रण से उन्होंने एक ऐसे पेस्ट का निर्माण किया जो पानी को प्रतिकर्षित करने की क्षमता रखता था. इसको सैंडविच की तरह कपड़ों के दो टुकड़ों के बीच कोट करने से वह वाटरप्रूफ फ्रैबिक बनाने में कामयाब हुए. 1823 में उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का पेटेंट हासिल किया.
अपनी इस उपलब्धि के चलते 1823 में रॉयल सोसायटी के सदस्य चुने गए. 1843 में चार्ल्स का निधन हो गया. 17वीं सदी की प्रभावी सेंचुरी स्मारक में उनका नाम को जगह दी गई.
अपने आविष्कार के जरिये दुनिया को यह खूबसूरत तोहफा देने वाले चार्ल्स को याद करते हुए गूगल ने डूडल की शक्ल में उनका एक इलस्ट्रेशन लगाया है. इस इलेस्ट्रेशन में चार्ल्स को रेनकोट पहने दिखाया गया है और बारिश के बूंदें उनके ऊपर गिर रही हैं.
स्कॉटलैंड के केमिस्ट चार्ल्स मैसिनटोस ने बारिश से बचने वाली वाटरप्रूफ सामग्री बनाई थी, जिसके चलते आधुनिक रेनकोट बनाया गया. बाद में मैकिनटोस रेनकोट को उन्हीं के नाम से जाना गया. मैकिनटोस का जन्म 1766 में ग्लासगो में हुआ था. उन्होंने क्लर्क के रूप में अपने करियर की शुरुआत की.
विज्ञान में गहन रुचि के कारण वह खाली समय में विशेष रूप से कैमिस्ट्री में प्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करते थे. उसी का नतीजा था कि उनको अहसास हुआ कि तार के बाई प्रोडक्ट नेफ्था का इंडियन रबर में आसानी से विलय हो सकता है. इसी मिश्रण से उन्होंने एक ऐसे पेस्ट का निर्माण किया जो पानी को प्रतिकर्षित करने की क्षमता रखता था. इसको सैंडविच की तरह कपड़ों के दो टुकड़ों के बीच कोट करने से वह वाटरप्रूफ फ्रैबिक बनाने में कामयाब हुए. 1823 में उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का पेटेंट हासिल किया.
अपनी इस उपलब्धि के चलते 1823 में रॉयल सोसायटी के सदस्य चुने गए. 1843 में चार्ल्स का निधन हो गया. 17वीं सदी की प्रभावी सेंचुरी स्मारक में उनका नाम को जगह दी गई.
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