नई दिल्ली:
अमेरिका के एक बोगस विश्वविद्यालय द्वारा ठगे गए भारतीय छात्रों को घुटने में रेडियो कॉलर पहनाए जाने से भारत में गुस्से का माहौल है। भारत ने मंगलवार को कहा कि वह अमेरिका से पूछेगा कि एक 'जालसाज' संस्थान को काम करने की अनुमति कैसे दी गई। अगले महीने विदेश सचिव निरुपमा राव की अमेरिकी यात्रा के दौरान वार्ताओं में इस मुद्दे के हावी रहने की सम्भावना है। ट्राई वैली विश्वविद्यालय को 'संदिग्ध' करार देते हुए विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा, "हम इस मुद्दे को अमेरिका में शैक्षिक अधिकारियों के साथ उठाएंगे कि भारतीय छात्रों को ठगने के लिए विश्वविद्यालय को अनुमति कैसे दी गई।" ज्ञात हो कि कृष्णा ने दो दिन पहले भारतीय छात्रों पर रेडियो कालर लगाए जाने की घटना की तीव्र निंदा करते हुए इसे अमानवीय बताया। कृष्णा की कड़ी प्रतिक्रिया पर अमेरिकी अधिकारियों ने उनसे कहा कि रेडियो कालर केवल 12 से 18 छात्रों को लगाया गया है जबकि अमेरिका में एक लाख से अधिक भारतीय छात्र पढ़ाई करते हैं। भारतीय छात्रों पर लगे रेडियो कॉलर के बारे में पूछे जाने पर कृष्णा ने कहा, "अमेरिका में एक लाख आठ हजार भारतीय छात्र हैं और हम अब 12 अथवा 18 छात्रों के बारे में बात कर रहे हैं जिनके साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है।" उन्होंने बताया, "मैं देश के नागिरिकों और खासकर मीडिया से अपील करूंगा कि हमें विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने वाले एक लाख भारतीय छात्रों को व्यापक परिप्रेक्ष्य में रखकर देखना है।" ज्ञात हो कि ट्राई वैली विश्वविद्यालय के करीब 1555 छात्रों में 90 प्रतिशत छात्र भारतीय हैं और इनमें से ज्यादातर छात्र आंध्र प्रदेश के हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने पैसे लेकर छात्र वीसा बेचने के आरोप में विश्वविद्यालय पर ताला लगा दिया। कृष्णा ने जोर देकर कहा, "हमने अमेरिका के साथ इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाया है। हमारे राजदूत और सैन फ्रांसिस्को स्थित वाणिज्य दूतावास भारतीय छात्रों के साथ सम्पर्क में हैं। जानकार सूत्रों ने बताया कि विदेश सचिव निरूपमा राव की अमेरिकी यात्रा के समय होने वाली चर्चाओं में इस मुद्दे को भी प्रमुखता से शामिल किया जाना है। इस बीच, अमेरिका ने कैलीफोर्निया में एक बोगस विश्वविद्यालय के कुछ विद्यार्थियों के घुटने में रेडियो कालर पहनाए जाने को उचित बताया है और कहा है कि अमेरिका ने वीजा धोखाधड़ी के आरोपों को बहुत गम्भीरता से लिया है।
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