प्रतीकात्मक तस्वीर
ढाका:
बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामियों ने इस मुस्लिम बहुल देश के राजकीय धर्म को खत्म करने के विषय पर होने वाली अदालती सुनवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया। करीब तीन दशक पहले हुए संवैधानिक बदलाव से बांग्लादेश असामान्य स्थिति में है।
बांग्लादेश आधिकारिक रूप से धर्मनिरपेक्ष देश भले ही है, लेकिन वहां इस्लाम अब भी राजकीय धर्म है। देश में 90 फीसदी से अधिक लोग मुसलमान हैं जबकि हिंदू और बौद्ध मुख्य अल्पसंख्यक वर्ग हैं।
27 मार्च को हाईकोर्ट में होने वाली विवादास्पद सुनवाई के खिलाफ ढाका में जुमे की नमाज के बाद सड़कों पर करीब 7000 कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। उनके हाथों में बैनर थे।
इस महीने की शुरुआत में हाईकोर्ट धर्मनिरपेक्षवादियों की एक याचिका पर सुनवाई पर राजी हो गया था। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि दशकों से इस्लाम का राजकीय धर्म होना बांग्लादेश के धर्मनिरपेक्ष चार्टर के विरुद्ध है और यह गैर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करता है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
बांग्लादेश आधिकारिक रूप से धर्मनिरपेक्ष देश भले ही है, लेकिन वहां इस्लाम अब भी राजकीय धर्म है। देश में 90 फीसदी से अधिक लोग मुसलमान हैं जबकि हिंदू और बौद्ध मुख्य अल्पसंख्यक वर्ग हैं।
27 मार्च को हाईकोर्ट में होने वाली विवादास्पद सुनवाई के खिलाफ ढाका में जुमे की नमाज के बाद सड़कों पर करीब 7000 कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। उनके हाथों में बैनर थे।
इस महीने की शुरुआत में हाईकोर्ट धर्मनिरपेक्षवादियों की एक याचिका पर सुनवाई पर राजी हो गया था। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि दशकों से इस्लाम का राजकीय धर्म होना बांग्लादेश के धर्मनिरपेक्ष चार्टर के विरुद्ध है और यह गैर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करता है।
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