हमले के बाद सुरेशभाई पटेल का आधा शरीर लकवाग्रस्त हो गया है
वाशिंगटन:
एक भारतीय बुजुर्ग को जमीन पर पटकने के आरोपी अमेरिका के अलाबामा के पुलिस अधिकारी को अदालत ने बरी कर दिया है। इस फैसले से भारतीय मूल के अमेरिकी समुदाय को तगड़ा झटका लगा है।
एवन डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय न्यायाधीश मैडेलिन ह्यूज हैकाला ने मैडिसन के पुलिस अफसर एरिक पार्कर के खिलाफ मामले को खत्म कर दिया। पार्कर पर आरोप था कि उसने 57 साल के सुरेशभाई पटेल को जमीन पर पटकने के मामले में जरूरत से ज्यादा बल का प्रयोग किया था। दोषी पाए जाने पर पार्कर को 10 साल की कैद हो सकती थी।
दो गलत मुकदमों (मिसट्रायल) के बाद हैकाला ने बुधवार को अभियोजन पक्ष की तीसरे मुकदमे की मांग खारिज कर दी। उन्होंने कहा, 'सरकार ने दोषसिद्धि के लिए दो पूर्ण और निष्पक्ष मौके दिए। अब तीसरा नहीं दिया जा सकता'। हैकाला ने अपने 92 पन्ने की राय में लिखा, 'इस मामले का नतीजा किसी भी रूप में संतोषजनक नहीं है। पटेल के उत्साहपूर्वक इस देश में आने और अपने बेटे के साथ नए जीवन को शुरू करने की इच्छा दो त्रासद मिनटों में बाधित हो गई'।
न्यायाधीश ने लिखा, 'श्री पटेल को पूरा अधिकार था और है कि इस देश के तमाम नागरिकों की तरह उन्हें भी अत्यधिक बल प्रयोग से आजादी मिले। उनका यहां स्वागत है और उन्हें पहुंची चोट पर दुख जताना जायज है'। हैकाला लिखती हैं, 'लेकिन, यह चोट अपने आप में श्री पार्कर के खिलाफ आपराधिक फैसले का आधार नहीं बन सकती'।
इससे पहले इस मामले में दो निर्णायक मंडल किसी सर्वसम्मत नतीजे पर पहुंचने में असफल रहे थे। संघीय अभियोजकों ने बुधवार को पार्कर को बरी करने के खिलाफ एक निवेदन दाखिल किया। इसमें उन्होंने आग्रह किया है कि एक तर्कसंगत निर्णायक मंडल वीडियो को देख सकता है, गवाहियों को सुन सकता है और फैसला कर सकता है कि पार्कर ने पटेल के खिलाफ अत्यधिक बल का प्रयोग किया था।
गौरतलब है कि पटेल अपने पोते की देखभाल करने अमेरिका आए थे। 6 फरवरी 2015 को हुई इस घटना में पटेल की रीढ़ में ऐसी चोट लगी कि वह व्हील चेयर पर पहुंच गए। वह अपने बेटे के घर के बाहर टहल रहे थे। एक पड़ोसी ने पुलिस को फोन किया कि 'एक दुबला अश्वेत' बिना वजह घूम रहा है और गैरेजों में झांक रहा है। पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और पटेल को रोका। पटेल ने कहा कि उन्हें अंग्रेजी नहीं आती (नो इंगलिश कहा था), अपने घर की तरफ इशारा किया, लेकिन पुलिस अफसर पार्कर ने उन पर बल प्रयोग किया।
पार्कर का कहना है कि पटेल की हरकतों से ऐसा लगा था कि वह अपनी जेब से कुछ निकालने जा रहे हैं। किसी हथियार की आशंका में उसने पटेल को नीचे गिराया था। उसकी मंशा उन्हें घायल करने की नहीं थी। पार्कर अभी भी लाइमस्टोन काउंटी में खराब आचरण में हमले के मामले का सामना कर रहा है।
एवन डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय न्यायाधीश मैडेलिन ह्यूज हैकाला ने मैडिसन के पुलिस अफसर एरिक पार्कर के खिलाफ मामले को खत्म कर दिया। पार्कर पर आरोप था कि उसने 57 साल के सुरेशभाई पटेल को जमीन पर पटकने के मामले में जरूरत से ज्यादा बल का प्रयोग किया था। दोषी पाए जाने पर पार्कर को 10 साल की कैद हो सकती थी।
दो गलत मुकदमों (मिसट्रायल) के बाद हैकाला ने बुधवार को अभियोजन पक्ष की तीसरे मुकदमे की मांग खारिज कर दी। उन्होंने कहा, 'सरकार ने दोषसिद्धि के लिए दो पूर्ण और निष्पक्ष मौके दिए। अब तीसरा नहीं दिया जा सकता'। हैकाला ने अपने 92 पन्ने की राय में लिखा, 'इस मामले का नतीजा किसी भी रूप में संतोषजनक नहीं है। पटेल के उत्साहपूर्वक इस देश में आने और अपने बेटे के साथ नए जीवन को शुरू करने की इच्छा दो त्रासद मिनटों में बाधित हो गई'।
न्यायाधीश ने लिखा, 'श्री पटेल को पूरा अधिकार था और है कि इस देश के तमाम नागरिकों की तरह उन्हें भी अत्यधिक बल प्रयोग से आजादी मिले। उनका यहां स्वागत है और उन्हें पहुंची चोट पर दुख जताना जायज है'। हैकाला लिखती हैं, 'लेकिन, यह चोट अपने आप में श्री पार्कर के खिलाफ आपराधिक फैसले का आधार नहीं बन सकती'।
इससे पहले इस मामले में दो निर्णायक मंडल किसी सर्वसम्मत नतीजे पर पहुंचने में असफल रहे थे। संघीय अभियोजकों ने बुधवार को पार्कर को बरी करने के खिलाफ एक निवेदन दाखिल किया। इसमें उन्होंने आग्रह किया है कि एक तर्कसंगत निर्णायक मंडल वीडियो को देख सकता है, गवाहियों को सुन सकता है और फैसला कर सकता है कि पार्कर ने पटेल के खिलाफ अत्यधिक बल का प्रयोग किया था।
गौरतलब है कि पटेल अपने पोते की देखभाल करने अमेरिका आए थे। 6 फरवरी 2015 को हुई इस घटना में पटेल की रीढ़ में ऐसी चोट लगी कि वह व्हील चेयर पर पहुंच गए। वह अपने बेटे के घर के बाहर टहल रहे थे। एक पड़ोसी ने पुलिस को फोन किया कि 'एक दुबला अश्वेत' बिना वजह घूम रहा है और गैरेजों में झांक रहा है। पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और पटेल को रोका। पटेल ने कहा कि उन्हें अंग्रेजी नहीं आती (नो इंगलिश कहा था), अपने घर की तरफ इशारा किया, लेकिन पुलिस अफसर पार्कर ने उन पर बल प्रयोग किया।
पार्कर का कहना है कि पटेल की हरकतों से ऐसा लगा था कि वह अपनी जेब से कुछ निकालने जा रहे हैं। किसी हथियार की आशंका में उसने पटेल को नीचे गिराया था। उसकी मंशा उन्हें घायल करने की नहीं थी। पार्कर अभी भी लाइमस्टोन काउंटी में खराब आचरण में हमले के मामले का सामना कर रहा है।
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