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This Article is From Mar 28, 2013

प्रधानमंत्री ने की चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात, ब्रह्मपुत्र का मुद्दा उठाया

प्रधानमंत्री ने की चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात, ब्रह्मपुत्र का मुद्दा उठाया
डरबन: चीन में नए नेतृत्व द्वारा शासन संभाले जाने के बाद पहले उच्चस्तरीय संपर्क के तहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर तीन बांध बनाए जाने के बीजिंग के प्रस्ताव का मुद्दा उठाया।

मनमोहन ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर राष्ट्रपति शी से मुलाकात की। दोनों नेता यहां सम्मेलन में भाग लेने आए हैं।

शी ने इस महीने के शुरू में राष्ट्रपति के रूप में चीन की कमान संभाली थी।

चीन में हाल में सत्ता के ढांचे में बदलाव के बाद दोनों नेताओं के बीच सर्वोच्च स्तर की यह पहली आमने-सामने की मुलाकात है।

सम्मेलन के बाद बीती देर रात 25 मिनट तक चली इस बैठक के बाद आधिकारिक सूत्रों ने संक्षिप्त रूप से कहा, पानी पर चर्चा की गई। समझा जाता है कि प्रधानमंत्री ने चीनी राष्ट्रपति को ब्रह्मपुत्र नदी पर तीन बांध बनाए जाने के चीनी प्रस्ताव को लेकर भारत की चिंताओं से अवगत कराया।

भारत कह चुका है कि प्रस्ताव से भारत आने वाले पानी के प्रवाह पर असर पड़ेगा, जबकि चीन का कहना है कि यह कोई ऐसी परियोजना नहीं है, जिससे पानी रुकेगा। सूत्रों ने बताया कि द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक चर्चा हुई और मुलाकात बहुत सकारात्मक थी ।

दोनों नेताओं ने एक..दूसरे के प्रति सम्मान व्यक्त किया। सूत्रों ने कहा कि संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा हुई, लेकिन दक्षिण चीन के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई।

यह पूछे जाने पर कि क्या सीमा और व्यापार मुद्दे पर चर्चा हुई, सूत्रों ने उल्लेख किया कि द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। दोनों ने अपने संबंधों को जारी रखने की इच्छा जताई।

सूत्रों ने बताया कि इसके पूर्व दिन में शिखर सम्मेलन में एक अनौपचारिक चर्चा के दौरान राष्ट्रपति शी ने मनमोहन से कहा कि वह इस बात को जानते हैं कि पूर्व चीनी राष्ट्रपति हू जिन्ताओ और चीनी प्रधानमंत्री वेन च्याबो के साथ उनके अच्छे संबंध थे। शी ने कहा कि वह इन संबंधों को आगे ले जाना चाहेंगे। पिछले हफ्ते बीजिंग में ब्रिक्स संवाददाताओं के साथ बातचीत में शी ने कहा था कि वह डरबन में मनमोहन से मिलने के उत्सुक हैं।

शी ने भारत के साथ संबंधों को लेकर गर्मजोशी भरे शब्दों का इस्तेमाल किया था और पांच सूत्री फॉर्मूला प्रस्तावित किया था, जिसके तहत दोनों देश मुख्य हितों के संबंध में एक-दूसरे की चिंताओं का ध्यान रखेंगे।

कम्युनिस्ट पार्टी और सेना के मुखिया की भी भूमिका संभालने वाले शी ने कहा था कि इतिहास ने सीमा का मुद्दा जटिल बना छोड़ा है और शांति कायम रखी जानी चाहिए।

लंबित मुद्दे के समाधान तक दोनों देशों को द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास में मतभेदों को आड़े नहीं आने देना चाहिए।

मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति शी को भारत आने का न्योता दिया। इस पर शी ने कहा कि वह इसे स्वीकार करते हैं और उचित समय पर भारत की यात्रा करेंगे। इसी तरह, शी ने मनमोहन को चीन आने का निमंत्रण दिया और उन्होंने भी इसे स्वीकार कर लिया।

मनमोहन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन थे और शी के साथ उनके नए विदेश मंत्री, दो पोलित ब्यूरो सदस्य और स्टेट काउंसलर यांग जीची थे।

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